बोरवेल के माध्यम से पानी की आपूर्ति, PC-Wikipedia 
पेयजल

सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से ग्राम कार्य योजना तैयार करना

जानिए कैसे सामुदायिक सहभागिता से जल जीवन मिशन के तहत नांहली गाँव में जल आपूर्ति योजना बना कर समुदाय को फसल की पद्धति में आवश्यक बदलावों के बारे में जागरूक किया गया, ताकि पेयजल स्रोतों को सूखने से बचाया जा सके | Know how a water supply plan was made in Nanhali village under Jal Jeevan Mission with community participation and the community was made aware of the necessary changes in the cropping pattern, so that drinking water sources can be saved from drying up

Author : मंगेश और भार्गवी, यूनिसेफ इंडिया

नांहली गाँव नंदुरबार मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर दोंडाईचा राजमार्ग पर स्थित है। 1,305 की आबादी वाले इस गाँव में लगभग 265 घर हैं। इस गाँव में प्राथमिक विद्यालय और गाँव के बीच में एक आंगनवाड़ी केंद्र और एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी है। पहले, लोग पीने के पानी के लिए ग्राम पंचायत के कुंए पर निर्भर थे, लेकिन 2005 के बाद इस पानी की गुणवत्ता में गिरावट शुरू हो गई।

इसके अलावा, अनियमित बारिश की स्थिति, पानी की मांग में वृ‌द्धि और पानी के स्रोतों की कमी के कारण जल संकट पैदा हो गया। वर्तमान में, गांव की मौजूदा जल की मांग को पूरा करने के लिए बाल्डेन सड़क के पास 2007 में खुद एक बोरवेल के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है। इसके साथ पुनर्भरण ही भूजल के लिए स्रोत सुदृढीकरण उपायों को भी लागू किया गया है। इसके बावजूद, सभी घरों में एक समान प्रेशर के साथ पानी की आपूर्ति नहीं होने जैसी चुनौतियों के कारण जल कर की वसूली में कमी आई हैं; जिसके परिणामस्वरूप प्रचालन व रख- रखाव खराब हो गया है। इस पृष्ठभूमि के साथ जिला परिषद नंदुरबार द्वारा यूनिसेफ महाराष्ट्र और प्रियोव की सहायता से जिला कार्य योजना की तैयारी की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत, जनभागीदारी के माध्यम से ग्राम कार्य योजना तैयार करने के लिए नाहली गांव का चयन किया गया था। नाहली में जेजेएम और वीएपी की तैयारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक उन्मुखीकरण बैठक आयोजित की गई। माध्यमिक जानकारी प्राप्त करने के बाद, वीएपी की तैयारी की प्रक्रिया सभी हितधारकों को समझाई गई और इसने गति प्राप्त की। एक पीआरए गतिविधि कराने के बाद जिसमें लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया जहां भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को तय किया गया था। इसके अलावा, मौजूदा स्थिति को समझने के लिए, गाँव का एक सर्वेक्षण किया गया और पीआरए उपकरणों के कार्यान्वयन के लिए स्थलों की पहचान की गई। गाँव में ऐसी भावना थी कि अंततः सब कुछ व्यवस्थित हो रहा है और वह भी, काफी सुचारू रूप से। जल की आपूर्ति प्रक्रिया, पानी की गुणवत्ता और कीटाणुशोधन प्रक्रिया को समझने के लिए, प्रीमोव की जिला टीम ने 'जल सुरक्षकों के साथ चर्चा की। वितरण प्रणाली की प्रारंभ और अंत में पानी के प्रेशर को मापने के लिए 'बकेट टेस्ट किया गया।

जिला टीम की सहायता से जनभागीदारी के माध्यम से, सामाजिक मानचित्र और संसाधन मानचित्र तैयार किए गए थे। जल आपूर्ति योजना की परिसंपत्तियों, मौजूदा जल संसाधनों, पेयजल स्रोतों, घरेलू नल कनेक्शनों, सलेज प्रबंधन और फसल की पद्धति के बारे में जानकारी हासिल की गई।

इस आधार पर जल आपूर्ति योजनाओं से संबंधित समस्याओं की पहचान की गई। सावधानीपूर्वक रूप से, समुदाय को फसल की पद्धति में आवश्यक बदलावों के बारे में जागरूक किया गया, ताकि पेयजल स्रोतों को सूखने से बचाया जा सके।

इस प्रक्रिया में सहद्ध उपकरण और विधियाँ सबसे बड़े सक्षम कारक थे इसने ग्रामीणों को कमियों का विश्लेषण करने और मौजदा जल संसाधनों और जल आपूर्ति सुविधा में सुधार के लिए आवश्यक गतिविधियाँ को इंगित करने में मदद की। इस दृष्टिकोण के आधार पर, ग्रामीणों को पानी की आपूर्ति और मांग, घरेलू नल कनेक्शन, पानी की आपूर्ति के समान वितरण के महत्व, जल गुणवत्ता और सलेज प्रबंधन के बारे में निर्णय लेने के संबंध में सशक्त  बनाया। जेजेएम के तहत जल आपूर्ति की सुविधा की मरम्मत के लिए ग्राम पंचायत में एक प्रस्ताव पारित किया गया और जिला परिषद, नंदुरबार को प्रस्तुत किया गया था। नांहली दवारा किए गए छोटे, लेकिन लगातार और ठोस प्रयासों ने समुदाय के जीवन में एक परिवर्तन ला दिया है।

स्रोत-जल जीवन संवाद जनवरी,

वर्ष, 2021 अंक: 4

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