उत्तर -
मजदूरों को उनके राज्य में कृषि मजदूरों के लिए मान्य न्यूनतम मजदूरी का हक है, जब तक कि केंद्र सरकार इसे निरस्त करने की अधिसूचना जारी कर कोई भिन्न मजदूरी दर की घोषणा न करे। अगर केंद्र सरकार कोई मजदूरी दर की घोषणा करती है तो यह दर रु. 60 प्रति दिन से कम नहीं होगी (भाग 6)
उत्तर -
किए गए काम का भुगतान हर सप्ताह या किसी भी हाल में ‘काम करने की तारीख से एक पखवाड़े के अंदर’ करना होगा। साथ ही राज्य सरकार चाहे तो यह निर्देश भी दे सकती है कि मजदूरी में नकद दी जाने वाली राशि का दैनिक भुगतान किया जाए।
ऐसी सूरत में मजदूरों को वेतन भुगतान कानून 1936 के प्रावधानों के अनुसार मुआवजा पाने का हक होगा (अनुसूची II, अनुच्छेद 30)।
उत्तर -
बिल्कुल नहीं। सभी स्त्रियों और पुरुषों को समान वेतन का हक है। सच तो यह है कि किसी भी तरह का लिंग आधारित भेदभाव करने की यह कानून मनाही करता है। (अनुसूची II, अनुच्छेद 32)