रिसर्च

जल संसाधन उपयोग

Author : कुबेर सिंह गुरुपंच

सिंचाई :

सिंचाई के साधन :

सिंचाई का वितरण :

सिंचाई योजनाएँ -

1. सतही जल पर आधारित सिंचाई योजनाएँ :

अ. वृहद सिंचाई परियोजनाएँ :


बेसिन में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से योजनाक्रम में वृहद सिंचाई परियोजनाओं से वास्तविक सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है। इन योजनाओं से 4,60,644 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई होती है। इसमें खरीफ एवं रबी फसलें उत्पन्न की जाती हैं। इसमें योजनाओं की संख्या 502 है। जिसका रूपांकित एवं निर्मित क्षमता 6016.00 हे. है। इसमें रविशंकर सागर जलाशय परियोजना, दुधावा, मुरुमसिल्ली, सिकासार, सोंदूर, कोडार, पैरीहाइडेम, हसदेव बांगो परियोजना, तांदुला, गौदली एवं खरखरा जलाशय (दुर्ग) सम्मिलित हैं।

ब. मध्य सिंचाई परियोजनाएँ -


बेसिन के उन भागों में जहाँ नहरें निर्मित नहीं की जा सकती या नलकूप आदि की व्यवस्था नहीं है वहाँ शासकीय साधनों से छोटे नालों को बाँधकर एवं जल एकत्र करके सिंचाई की जाती है। इसमें केशवनाला जलाशय, कुम्हारी, पेंड्रावन एवं राजनांदगाँव जिले की योजनाएँ सम्मिलित हैं, जिनका रूपांकित एवं निर्मित क्षमता 20,014.00 हे. है। इनकी संख्या 249 है इसमें 1,167 हे. क्षेत्रफल में सिंचाई होती है।

स. लघु सिंचाई परियोजना -


वर्तमान समय में जहाँ नहरे एवं सिंचाई साधनों का अभाव है, वहाँ शासकीय साधनों से उप नहरें तथा बांधिया नहरें निर्मित कर सिंचाई की जाती है। इनकी कुल संख्या 358 है, जिनकी रुपांकित एवं निर्मित क्षमता 88,229 हे. तथा वास्तविक सिंचाई क्षमता 67,729.00 हेक्टेयर है। पर्वतीय एवं पहाड़ी क्षेत्रों में जलस्रोतों के आधार पर छोटी-छोटी नहरों का निर्माण किया गया है। यहाँ इस परियोजनाओं से अधिकाधिक सिंचाई सुविधाओं का विकास हुआ है।

निष्कर्षत: सम्पूर्ण महानदी बेसिन में इन योजनाओं की कुल संख्या 1,109 है जो रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगाँव एवं बस्तर जिले के कांकेर तहसील में क्रियान्वित है। इनकी रुपांकित एवं निर्मित क्षमता 1,14,259.00 हे. एवं वास्तविक सिंचाई क्षमता 5,40,044.00 हे. है। इस प्रकार की योजनाएँ नदियों के सहारे स्थित हैं। वर्तमान में कुछ वृहद एवं मध्यम योजनाएँ निर्माणाधीन हैं जैसे - रुद्री, बेरॉज, हसदेव, बोगो आदि।

धरातलीय जल संसाधन के भविष्य में उपयोग के लिये राज्य सरकार द्वारा तीन वर्गीय योजनाएँ बनायी गई हैं :-

1. शासन को प्रशासकीय स्वीकृति हेतु भेजी गयी सिंचाई योजनाएँ- रविशंकर सागर एवं उदन्ति जलाशय,
2. सर्वेक्षण विहीन योजनाएँ, इनकी संख्या 09 है।
3. पूर्ण योजनाएँ - इनकी संख्या 196 है।

2. भूमिगत जल पर आधारित सिंचाई योजनाएँ -

1. महानदी जलाशय (रविशंकर सागर परियोजना) :

2. मुरूमसिल्ली जलाशय -

3. रूद्री जलाशय -

4. दुधावा जलाशय -

5. हंसदेव - बांगो परियोजना -

प्रथम चरण -


इसके अंतर्गत कोरबा के निकट हसदेव नदी पर एक बराज का निर्माण किया गया है तथा चार किलोमीटर लंबी बांध तट से मुख्य नहर का निर्माण किया गया है। यह कार्य 1967 में पूर्ण हो गया। इसका उद्देश्य कोरबा स्थित 200 मेगावाट के ताप विद्युत गृह को पानी देने के साथ-साथ औद्योगिक उपयोग के बाद बच रहे अतिरिक्त पानी का उपयोग नहर के नियंत्रण क्षेत्र के अंदर सीमित सिंचाई सुविधा उपलब्ध करना था।

द्वितीय चरण -


इसके अंतर्गत मुख्य नहर के निर्माण के साथ बराज से 42,000 हे. में सिंचाई करने का लक्ष्य रखा गया जबकि इसके नियंत्रण (कमांड) में 1,34,000 हेक्टेयर कृषि भूमि आती है। खरीफ फसल के 42,000 हे. में जांजगीर नहर के माध्यम से सिंचाई की जाती थी। यह प्रणाली 1976 में प्रारम्भ हुई।

तृतीय चरण –


इस चरण में हसदवे के ऊपर बांगो बांध बनाया गया था जिसका उपयोगी जल संग्रहण क्षमता 3,415 लाख घन मीटर है। इन परियोजनाओं की क्षमता 2,55,000 हे. है। जल की प्रचुर मात्रा के कारण 2,34,600 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल को पानी दिया जा रहा है, वहीं रबी तथा अन्य फसलों के लिये 1,27,500 हेक्टेयर कृषि भूमि के लिये पानी मिल रहा है। साथ ही गेहूँ 51,000 हेक्टेयर, गन्ना तथा केले जैसी वर्ष भर की जा सकने वाली फसलों के लिये 20,400 हेक्टेयर क्षेत्र में पानी मिल रहा है। इस प्रकार कुल वार्षिक सिंचाई क्षमता 4,33,600 हेक्टेयर है।

सिंचाई के साथ-साथ इस परियोजना के माध्यम से 3,740 मेगावाट क्षमता की ताप विद्युत इकाईयों के अतिरिक्त कोरबा के आस-पास स्थित औद्योगिक संस्थानों तथा कोरबा नगरपालिका क्षेत्र की आबादी को जल प्रदाय किया जा रहा है। बांध पर 45 मेगावाट क्षमता की 3 जल विद्युत इकाईयों की स्थापना भी की जा रही है।

इस प्रकार हसदेव बांगो परियोजना की सिंचाई की क्षमता 2,55,200 हेक्टेयर है, जिसमें कोरबा (646), चांपा 23,639, पामगढ़ (35,231), अकलतरा (25,816), बलौदा (11,728), करतला (10,591), सक्ती (31,445), माल खरौदा (22,056), डबरा (18,218), जैजपुर (28,053) एवं रायगढ़ जिले के खरसियां विकास खंड के (4,444) हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। इस बांध के पूर्ण होने में 44.8 प्रतिशत क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। यहाँ से निकलने वाली शाखा नहरों की कुल सिंचाई क्षमता 1,38,000 हेक्टेयर है।

निष्कर्षत: महानदी नहर सिंचाई परियोजना के अंतर्गत मुरुमसिल्ली जलाशस से 14,810 हेक्टेयर रविशंकर सागर 3,40,000 हेक्टेयर, दुधावा 1,19,000 हेक्टेयर, सिकासार 43,734 हेक्टेयर, कोडार 72,198 हेक्टेयर, पैरीहाईडेम 9,140 हेक्टेयर, सोंदूर 12,260 हेक्टेयर, केशवनाला जलाशय 13,280 हेक्टेयर एवं कुम्हारी से 78,372 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। बेसिन की कुल सिंचाई क्षमता 7,02,794 हेक्टेयर है। इसमें सर्वाधिक सिंचाई (48.37 प्रतिशत) रविशंकर जलाशय से एवं कम पैरीहाईडेम से (1.30 प्रतिशत) हो रही है। इसी क्रम में दुधावा (16.93 प्रतिशत), कुम्हारी (11.15 प्रतिशत), कोडार (10.27 प्रतिशत), सिकासार (6.22 प्रतिशत), मुरुमसिल्ली (2.10 प्रतिशत), सोंदूर (1.74 प्रतिशत) एवं केशवनाला (1.88 प्रतिशत) क्षेत्र में सिंचाई हो रही है।

6. तांदुला जलाशय -

7. गोंदली जलाशय :

8. खरखरा जलाशय :

9. खारंग जलाशय :

सिंचित फसलें -

सिंचाई व्यवस्था -

सिंचाई का विकास :

विकास की सम्भावनाएँ :

जलीय सिंचाई समस्याएँ

उपाय -

SCROLL FOR NEXT