आंकड़े:
दिल्ली में शहरी यात्री यात्रा के लिये विभिन्न प्रणालियों का उपयोग करते हैं। अन्य भारतीय शहरों में मोटर चालित यात्रा सर्वाधिक प्रयुक्त होती है। 1998 में बिना मोटर गाड़ी एवं साइकिल की यात्रा करने वाले कुल यात्रा करने वालों का 20 प्रतिशत था। लेकिन ये रिपोर्ट शहरी परिवहन के पर्यावरण के प्रभावों को कम करने की नीति पर केंद्रित है। सड़क परिवहन व्यवस्था में दुपहिया, तीन पहिया, गाड़ी टैक्सी, बस शामिल है और रेल प्रणाली आधारित मेट्रो तीव्र परिवहन सेवा शामिल (एम.आर.टी.एस.) है जो दिल्ली में 2002 से शुरू हुई है। ये आंकड़े टेरी ऊर्जा निर्देशिका और वार्षिक (ऊर्जा और संसाधन संस्थान, 2007) के स्रोतों, दिल्ली सांख्यिकी (दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार, 2008) से संकलित हुए हैं। योजना आयोग की रिपोर्ट, वैश्विक जलवायु परिवर्तन (2001) दास और पारिख (2004), विश्व बैंक (1997) आदि के रूप में और विभिन्न शोध-पत्रों एवं प्रकाशनों से संकलित है।
छह मोटर युक्त वाहन पद्धति की विशेषता तथा ईंधन के प्रकार से उसके विभाजन को सारणी-1 में दर्शाया गया है। दिल्ली में कुल आवागमन करने वालों की संख्या 2001 में 97 करोड़ प्रति किमी. थी, जोकि 113 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि से बढ़कर 2006 में 166 अरब प्रति किमी हो गई। शहरी परिवहन में बस दुपहिाय वाहन कार एवं एमआरटीएस मुख्य रूप से शामिल हैं। इनकी हिस्सेदारी 2006 में क्रमशः 52, 19, 18 एवं 9 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। तीन पहिया वाहन एवं टैक्सी की वृद्धि दर दो पहिया वाहन एवं कार की तुलना में कम हुई है। दुपहिया वाहन, कार एवं एमआरटीएस में क्रमशः 15% , 12% एवं 12% की वृद्धि हुई लेकिन बस टैक्सी एवं तीन पहिया वाहन में क्रमशः 7%, 7% एवं 5% की वृद्धि हुई।
प्रविधि:
चित्र (1) में एक मॉडल के प्रवाह के आरेख को दर्शाया गया है। प्रत्येक तीर एक दूसरे के प्रभाव को दर्शाता है, आयत, डामण्ड, और वृत क्रमशः स्तर, स्थिर एवं सहायक को दर्शाते हैं। पॉवरसिम मॉडलिंग को दृश्य सॉफ्टवेयर के रूप में प्रयोग किया जाता है। सामान्यतः शहरी परिवहन में ऊर्जा की खपत एवं वायु प्रदूषण के उत्सर्जन में कमी करना मुख्य लक्ष्य है। इस लक्ष्य को साकार करने के लिये वाहनों की कार्य-क्षमता, यातायात नेटवर्क का विस्तार, रेल स्टेशन की वृद्धि एवं एम आर टी एस की यात्री क्षमता का विस्तार ईंधन पर कर ईंधन की प्रगाढ़ता में कमी ये छह मॉडल (एम.एस.) यात्री गतिशीलता के लिये करते हैं। पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली की हिस्सेदारी को बढ़ाने से शहरी परिवहन प्रणाली की योजना के लक्ष्यों में कुछ पर्यावरणीय लाभ उत्पन्न होने की उम्मीद है। वर्ष 2001 से 2006 तक के एकत्रित आंकड़ों को आधार मानकर भविष्य में मोटर वाहन एवं एमएस का पता किया जाता है ताकि भविष्य में ऊर्जा की क्षमता एवं वायु प्रदूषक उत्सर्जन का मूल्यांकन किया जा सके। सर्वप्रथम एक लोच आधारित प्रतिगमन विधि (वी.एन.) के प्रक्षेपण के लिये प्रयोग किया जाता है। सार्वजनिक एवं निजी वाहनों के अलग समीकरण का प्रयोग करके वाहनों के निर्धारकों का आकलन करते हैं (अन्तरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी 2001, विश्व सतत 2004 विकास के लिये व्यापार परिषद)।
निजी वाहनों के लिये
VNiJ/Capita=ai+bi (income per capita)
सार्वजनिक वाहनों के लिये
CNi,t=ai+bi GD Pt - (1)
जहाँ i एवं t क्रमशः साधन एवं वर्ष को दर्शाता है। माना गया है कि प्रति व्यक्ति निजी वाहन दुपहिया एवं कार पूरी तरह से प्रति व्यक्ति आय से संबंधित हैं। जबकि सार्वजनिक परिवहन के साधन जैसे तिपहिया, टैक्सी और बस (जी.डी.पी.) में बदलाव से अन्तरसंबंधित हैं। परिणाम सारणी 2 में दर्शाए गए हैं।
सारणी 2- प्रक्षिप्त मोटर VNs हेतु प्राचल | |||
| ए | बी | आर2 |
दुपहिया वाहन | 0.077 (5.14) | 3.0 x10-6 (5.80) | 0.89 |
तिपहिया वाहन | -19,470.7 (-2.16) | 1.6 x10-7 (8.33) | 0.94 |
कार | 0.017 (1.95) | 2.1 x10-6 (7.19) | 0.92 |
टैक्सी | -8,901.8 (-4.83) | 4.4 x10-8 (11.43) | 0.97 |
बस | 11,001.9 (26.65) | 1.8x10-8 (20.70) | 0.98 |
एक क्रमित तरीका अति महत्त्वपूर्ण स्वतंत्र व्यंजनों को चुनने में बहुसंरेखिता से बचने में सक्षम है। सड़क एवं रेल संबंधित प्रणालियों के लिये एम.एस. का आकलन करने के लिये निम्नलिखित संघर्षण निदर्श (Regression Models) प्रयोग किए गए हैं।
प्रत्येक वायु प्रदूषक का टन/टीजे में उत्सर्जन कारक | |||||
CO2 | CH2 | CO | NMVOC | SO2 |
|
गैसोलीन | 68.61 | 0.02 | 8 | 1.5 | 4.65 X 10-8 |
डीजल | 73.33 | 0.005 | 1 | 0.2 | 1.41 X10-7 |
सीएनजी | 55.82 | 0.05 | 0.6 | 0.4 | नगण्य |
विद्युत | 73.91 | 9.5X10-4 | 0.24 | 0.017 | 0.35 |
कीर्ति भण्डारी, पूर्णिमा परिदा, नीलिमा चक्रवर्ती एवं कामिनी गुप्ता, Kriti Bhandari, Purnima Parida, Nilima Chakraborti & Chakraborti & Kamini Gupta
सीएसआईआर-केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली 110025, CSIR: Central Road Research Institute, New Delhi 110025