शब्दकोश

धातु (Metals)

Author : इंडिया वाटर पोर्टल

धातु (Metals) रासायनिक तत्वों को सर्वप्रथम धातुओं और अधातुओं में विभाजित किया गया, यद्यपि दोनों समूहों को बिल्कुल पृथक्‌ नहीं किया जा सकता था। धातु की परिभाषा करना कठिन कार्य है। मोटे रूप से हम कह सकते हैं कि यदि किसी तत्व में निम्नलिखित संपूर्ण या कुछ गुण हों तो उसे धातु कहेंगे :

(1) चमक, (2) परांधता, (3) साधारण ताप पर ठोस, (4) स्वच्छ सतह द्वारा प्रकाश के परावर्तन (Reflection) का गुण, (5) ऊष्मा एवं विद्युत्‌ की उत्तम चालकता, एवं (6) द्रव अवस्था से ठंड़ा करने पर क्रिस्टल रूप में ठोस पदार्थ का बनना।

हम यह अवश्य कह सकते हैं कि यदि कोई तत्व विशुद्ध अवस्था में चमकदार और विद्युत्‌ का चालक नहीं है, तो वह अधातु है। प्रकृति में असंयुक्त अवस्था में बिरली धातु ही मिलती है। स्वर्ण, रजत, प्लैटिनम और कभी-कभी ताम्र धातुएँ यदा कदा मिल जाती हैं। अधिकांश धातुओं के अयस्क (Ores) मिलते हैं जो अधातुओं (जैसे ऑक्सीजन, कार्बन, गंधक आदि) के साथ धातुओं के यौगिक होते हैं। ये यौगिक भी शुद्ध अवस्था में न होकर अन्य खनिज में मिश्रित रहते हैं। इन अयस्कों से विविध रीतियों द्वारा धातुएँ निकाली जाती हैं।

अधिकतर धातुएँ भूरे श्वेत से लेकर चमकदार श्वेत रंग की होती हैं। स्वर्ण और ताम्र इसके अपवाद हैं। पारद को छोड़कर (गलनांक -38.87 सें.) और सारे धातु साधारण ताप पर ठोस हैं। सीजियम तथा गैलियम धातु का गलनांक क्रमश: 280 सें. तथा 29.780 सें. हैं। दूसरी और टंग्स्टेन धातु 3,3800 सें. पर द्रव बनती है। उच्च ताप पर धातुएँ वाष्प में परिवर्तित हो जाएँगी। पर इसमें भी उनमें कोई समानता नहीं दिखाई देती। पारद का क्वथनांक 3560 सें. है, परंतु टंग्स्टेन का 5,9300 सें.। ऐसा अनुमान है कि टैंटेलम 6,1000 सें. पर वाष्पित होगा।

यदि हम विद्युच्चालकता पर ध्यान दें, तो ज्ञात होगा कि अधातुओं के विपरीत धातुएँ उत्तम चालक हैं। धातुओं में सबसे श्रेष्ठ विद्युच्चालक रजत है। यदि तुलना के लिए उसकी चालकता 100 मान ली जाए तो कुछ अन्य साधारण धातुओं की चालकता निम्नलिखित सारणी के अनुसार होगी।

सारणी

धातु का नाम

चालकता

रजत

100

ताम्र

95

स्वर्ण

73

ऐल्यूमिनियम

60

यशद

27

निकल

23

लौह

16

वंग

14

सीस

8

पारद

1.7

अन्य स्रोतों से:

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बाहरी कड़ियाँ:


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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):

संदर्भ:


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