पाखल झील वारंगल से 60 कि.मी. दूर नरसम पैट तालुक में वृक्षों से घिरी ऊंची-नीची पहाड़ियों के बीच है। करीब 1213 ईसा पूर्व इस झील का निर्माण काकातीय शासन के समय हुआ। कहा जाता है प्रतापरुद्र द्वितीय के समय दिल्ली के सम्राट की सेना ने इस झील को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था। 1922 तक यह अपनी दुर्व्यस्था में रही लेकिन बाद में लोक निर्माण विभाग ने इसका पुनरुद्धार कर दिया। इसमें जल-कृष्णा नदी के प्रपात के जरिये आता है। यह अद्भुत सौंदर्य लिए मनोहारिणी पर्यटन स्थल का रूप ले चुका है, साथ ही इससे 8 कि.मी. दूरी पर पक्षी अभयारण्य है। यह पक्षी अभयारण्य 350 वर्गमील के क्षेत्र में फैला हुआ है और समुद्र की सतह से 275 मीटर ऊंचाई पर है। यहां का मौसम बहुत ही सुखदायी है। इस क्षेत्र में बाघ, चीते, लक्कड़बग्घे आदि ऊंची मीनारों से देखे जा सकते हैं। पाखल झील घड़ियालों से भरी है।
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