श्रमदान : पांच सौ किसानों ने कायम की मिसाल, दो हजार एकड़ खेतों आएगी हरियाली
ग्रामीणों ने लघु सिंचाई विभाग को इसकी सूचना दी थी। स्थानीय विधायक, जनप्रतिनिधि व उपायुक्त को भी समस्या से अवगत कराया गया, पर कोई सरकारी हर नहीं निकला। दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके किसानों ने सोमवार को बैठक कर खुद ही नहर साफ करने की ठान ली। ग्रामीण मंगलवार को हाथों में कुदाल व सिर में कड़ाही लेकर नहर साफ करने उतर गए।
सुबह सात बजे से श्रमदान शुरू हुआ, जो दोपहर तक चला। सफाई में किसानों ने ट्रैक्टर का भी उपयोग किया। श्रमदान में नवल किशोर मिश्रा, रवींद्र उरांव, जयराम उरांव, सुरेंद्र उरांव, तारकनाथ गोप, एतवा उरांव, दिलीप उरांव व बुचला उरांव ने अहम भूमिका निभाई। सफाई के दौरान किसानों के चेहरे पर आक्रोश था। किसानों ने विभाग के खिलाफ नारेबाजी भी की।
ग्रामीणों के मुताबिक डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने नहर की मरम्मत के लिए राशि आवंटन किया था। इसके बाद भी विभाग द्वारा नहर की सफाई नहीं की गई। राज्य समन्वय समिति के सदस्य डॉक्टर देवशरण भगत ने लघु सिंचाई विभाग के अभियंताओं को लेकर पारस डैम का निरीक्षण भी किया था। इसके बाद विधायक गीताश्री उरांव ने भी डैम का मुआयना किया। भाजपा व झामुमो ने भी किसानों को आश्वासन दिए थे।
सात गांव कुम्हरो, कुसूमबाहा, भगतटोली, सतीटोली, मारासिली, पड़की टोलीव खरवागढ़ा के किसानों ने श्रमदान किया। कुल मिलाकर इनके गांव दो हजार एकड़ खेत है। जहां पांच सौ से अधिक किसान आलू, टमाटर, फरसबीन, मकई सहित मौसम के अनुसार खेती करते थे। पर नहर जाम होने के कारण फसल बर्बाद होने लगी थी।