छोटी नदियों के कायाकल्प में उपग्रह डेटा की भूमिका Pc-सरजू विकिपीडिया  
जलवायु परिवर्तन

छोटी नदियों के कायाकल्प में उपग्रह डेटा की भूमिका

Satellite Image of Choti Saryu River. भूविज्ञान विभाग, केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार, (सीयूएसबी) गया पिछले कुछ दशकों के दौरान यह देखा गया है कि अधिकांश छोटी नदी और उनकी सहायक नदियाँ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और अधिक आबादी एवं अतिरिक्त भूजल शोषण और नदी मार्ग या इसके जल-ग्रहण क्षेत्र के साथ निर्मित भूमि की बड़ी मात्रा में वृद्धि के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं। जलविज्ञानी योजनाकारों पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे निर्णय निर्माताओं के बीच जल संसाधन को समझना और प्रबंधित करना और छोटी नदियों की पारिस्थितिकी और प्रवाह को बनाए रखना बहुत चुनौतीपूर्ण है।

Author : प्रोफेसर, डॉ. प्रफुल्ल सिंह

नदी चैनल की पहचान परिसीमन और प्रबंधन से तात्पर्य नदियों, तालाब, झीलों की आर्द्रभूमि फसल पैटर्न भूमि उपयोग प्रथाओं भू आकृति विज्ञान और क्षेत्र के भूविज्ञान सहित इलाके की सभी सतह विशेषताओं के आकलन से है।क्योंकि वे बड़ी नदियों को जिन्दा रखती हैं। इस बहुमूल्य स्रोत की रक्षा और छोटी नदियों के कायाकल्प और पैलियो चैनलों की पहचान के लिए वैश्विक स्तर पर बड़ी संख्या में अनुसंधान और जल प्रबंधन पहल चल रही है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के कारण, विशेष रूप से अंतरिक्ष विज्ञान (रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी) नदी की गतिशीलता को समझने के साथ-साथ ऑप्टिकल माइक्रोवेव और फाइन रिजॉल्यूशन डीईएम जैसे विभिन्न डेटा सेटों के उपयोग के माध्यम से छोटे नदी निकाय की पहचान, चित्रण और कायाकल्प करने के लिए आशाजनक डेटा और वैज्ञानिक उपकरण में से एक है। रिमोट सेंसिंग तकनीक पारंपरिक मानचित्रण और निगरानी प्रौद्योगिकी की तुलना में सतह जल निकाय और नदी की गतिशीलता को मैप करने के लिए बहुत वैज्ञानिक और लागत प्रभावी तरीके प्रदान करती है। 

वर्ष 2022 के लिए छोटी सरयू नदी की एक उपग्रह छवि है और हम शुष्कधारा, पैलियो चैनलों और कई अन्य भू-आकृतिक के रूप में छोटी सरयू नदी की विभिन्न महत्त्वपूर्ण सतह विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले रंग, आकार और पैटर्न के संदर्भ में उपग्रह छवियों और छाप पर अलग-अलग देख सकते हैं जो नदी जलग्रहण में जलवायु परिवर्तन और मानव जनित दबाव के प्रभाव के कारण तनाव में है। छोटी सरयू नदी को कायाकल्प और प्रबंधन के लिए सरकार, सामाजिक समूह और बढ़ी संख्या में जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों से तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। 

इस संदर्भ में लोक दायित्व द्वारा किया जा रहा कार्य निःसंदेह ही श्रमसाध्य और सराहनीय है। पूर्वांचल में इसने गहन रूप में विशेषज्ञों, जनसमुदायों एवं प्रशासन को एक साथ लाकर छोटी नदियों पर शायद ही कहीं कार्य हो रहा है। बड़ी नदियों के लिए छोटी नदियों का जीवित रहना आवश्यक है। लोक दायित्व का ऐसा मानना सर्वथा उचित और तथ्य परक है। 

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