गर्मी ने अभी दस्तक ही दी है और अभी से नैनीताल तथा हल्द्वानी के लोगों का जल संकट से हाल बेहाल हो चुका है। लोगों का कहना है कि गर्मी में उनके पास इस संकट से जूझने के अलावे कोई और विकल्प नहीं बचता है। हल्द्वानी में लोग करीब 700 से 1200 रुपए एक टैंक के लिए खर्च करने पर मजबूर हैं वहीँ नैनीताल में सैकड़ों निवासी प्राकृतिक जल-स्त्रोतों जैसे झरने आदि पर निर्भर हैं। हल्द्वानी और नैनीताल में इस समस्या के विभिन्न कारण हैं।
नैनीताल के ऊपरी इलाकों पर जल संस्थान के द्वारा की जाने वाली पानी की आपूर्ति में तकनीकी गड़बड़ियाँ भी पानी की समस्या का मुख्य कारण बताया जाता है। जबकि हल्द्वानी में पुराने कुओं में पुराने मोटर्स की मदद से क्षेत्र में पानी की आपूर्ति की जा रही है। यहां पाइपलाइन सेहत ठप पड़ चुकी बुनियादी ढांचे भी इन क्षेत्रों में पानी की समस्या का मुख्य कारण है। इसे ध्यान में रखते हुए, 2016 में पहली बार पानी की राशनिंग को लागू किया गया। नैनीताल शहर में पीने योग्य पानी का मुख्य स्रोत नैनी झील के जल-स्तर को संतुलित रखने व उसे संरक्षित करने के लिए कदम भी उठाए गए थे। लेकिन इतना पहल ना काफी साबित हुआ।
2017 में झील के पानी का स्तर घटकर अभूतपूर्व 18 फ़ीट नीचे अपने ज़ीरो मार्क पर पहुंच गयी, तब से शहर में इस झील से पानी की आपूर्ति आधी हो गई है। वर्तमान में झील का जल-स्तर शून्य से 3 फूट ऊपर है। विशेषज्ञों, और पर्यावरणविदों का कहना है कि हल्द्वानी और नैनीताल शहरों के रिचार्ज जोन को संरक्षित किए जाने की आवश्यकता है। 70 वर्षीय वैश्विक कार्यकर्ता अजय सिंह रावत का कहना है कि “नैनीताल का सुखताल क्षेत्र जो नैनी झील का 50% तक रिचार्ज करता है, उसे आवश्यक तथा नियमित रूप से संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है।” श्री रावत उत्तराखंड हाई-कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नैनी झील और नैनीताल शहर के संरक्षण के लिए कई मुकदमे दायर कर चुके हैं, जिसमे उन्होंने नैनी झील और नैनीताल शहर को संरक्षित करने पर जोर दिया है।
हल्द्वानी के कम-से-कम 10,000 की आबादी को इस समस्या से राहत देने के लिए जल संस्थान ने नई पाइपलाइन बिछाने की एक योजना बनाई है। यह वह आबादी है जो हर साल पानी की समस्या से जूझते हैं। सरकार ने इस पाइपलाइन परियोजना के लिए 45.85 लाख रुपए आवंटित कर दिए हैं।
हल्द्वानी कुमाऊं मंडल का एक बड़ा शहर है जिसकी वजह से यहां पूरे राज्य से लोग पलायन करते हैं। जनसंख्या बढ़ जाने के कारण इन पुरानी पाइपलाइनों पर बहुत दबाव पड़ता है। इससे निजात हेतु हलद्वानी के 13 स्थानों को चिन्हित किया गया है जो पिछले एक दशक से लगातार पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। इन स्थानों में सत्य विहार, जगदंबा विहार, देवलचौरा, कुसुमखेड़ा, आदर्श नगर, ओंकार सिटी, शिव कॉलोनी, सत्यलोक कॉलोनी, कालिका कॉलोनी, वैष्णवी कॉलोनी, इंदिरा नगर, रिवर वैली कॉलोनी और भट्ट कॉलोनी जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
जल संस्थान के कार्यकारी अभियंता, विशाल कुमार सक्सेना का कहना है, “यदि पुरानी पाइपलाइनों को नए के साथ बदल दिया जाता है, तो समस्या दूर हो जाएगी। लेकिन हमें खुद भी याद रखना होगा कि पानी बर्बाद नहीं करना चाहिए। लोगों को भी इस ज़िम्मेदारी का एहसास हो कि पानी का एक बूंद भी अनमोल है और इसके दुरुपयोग से बचना होगा।”