केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड द्वारा अनुमोदित भूमिजल पुनर्भरण करने के तरीके व तकनीकें (भाग 2) में हम आगे की कुछ तकनीकों के बारे में जानेंगे। भूजल संचयन की विधियाँ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं क्योंकि शहरों में मकानों, फर्श, सड़कों आदि की संरचना गांवों से भिन्न होती है। अतः ग्रामीण इलाकों व शहरी इलाकों के लिए वर्षाजल संचयन के लिए केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड ने शहरी क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अगल-अलग तकनीकों को विकसित किया है।
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड ने आठवीं योजना से कृत्रिम जल भरण (Artificial Recharge) पर काफी अध्ययन करके विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी है जो विभिन्न भौगोलिक एवं जमीन के नीचे की स्थितियों के लिए उपयुक्त हैं। शहरी क्षेत्रों (Urban-Areas) के लिए
शहरी क्षेत्रों में कच्चा स्थान कम होने के कारण इमारतों की छत व पक्के क्षेत्रों से प्राप्त वर्षा-जल व्यर्थ चला जाता है। यह जल जलभृतों (Aquifer) में पुनर्भरित (Recharge) किया जा सकता है। इस जल को जरूरत के समय काम में लाया जा सकता है। पढ़िए आगे का भाग . . .
परिस्रवण टैंक द्वारा वर्षा जल संचयन
- परिस्त्रवण टैंक (Percolation Tank) का निर्माण वथासंभव द्वितीय से तृतीय चरण की जलधारा पर किया जाना चाहिए। यह अत्यधिक दरार वाली कच्ची चट्टानों जो सीध में बहने वाली जलधारा (Down Stream) तक फैली हो, पर स्थित होना चाहिए।
- परिस्त्रवण टैंक कृत्रिम रूप से सृजित सतही जल संरचना है। इसके जलाशय में अत्यंत पारगम्य भूमि जलप्लावित हो जाती है जिससे सतही अपवाह स्त्रावित होकर भूमिजल भण्डार का पुनर्भरण करता है।
- निचली जलधारा (Down Stream) के पुनर्भरण क्षेत्र में पुनर्भरित जल विकसित करने के लिए पर्याप्त संख्या में कुएँ व कृषि भूमि होनी चाहिए ताकि संचित जल का लाभ उठाया जा सके।
- परिस्त्रवण टैंक का आकार टैंक तल के संस्तर (Strata) की परिस्त्रवण क्षमता के अनुसार निर्धारित किया जाना चाहिए। सामान्यतः परिस्त्रवण टैंक का डिजाइन 0.1 एम.सी.एम. से 0.5 एम.सी.एम. क्षमता के लिए होता है। यह आवश्यक है कि टैंक का डिजाइन इस तरह का हो जिसमें सामान्यतः 3 मीटर से 4.5 मीटर का टैंक में जमा जलशीर्ष (Bounded Water Column) रहे। परिस्त्रवण टैंक अधिकांशतः जमीनी बाँध ही होते हैं जिनमें केवल उत्लव मार्ग (Spill way) के लिए चिनाई की गई संरचना होती है। परिस्त्रवण टैंक का उद्देश्य भूमि जल भण्डारण का पुनर्भरण करना होता है। इसलिए संस्तर के नीचे रिसाव होने दिया जाता है। 4.5 मीटर तक की ऊँचाई वाले बाँध के लिए खाइयों का काटा जाना अनिवार्य नहीं होता है व प्राकृतिक भूमि (Natural Ground) व बाँध तल (Dam Seat) के बीच बाधाओं का निर्माण ही पर्याप्त होता है।
चैक डैम/सीमेंट प्लग/ नाला बंध के द्वारा वर्षा जल संचयन
- चैक डैम का निर्माण अति सामान्य ढलान वाली छोटी जलधाराओं पर किया जाता है। चयनित जगह पर पारगम्य स्तर (Permeable Bed) की पर्याप्त मोटाई होनी चाहिए ताकि एकत्रित जल कम समयान्तराल में पुनर्भरित हो सके।
- इन संरचनाओं में संचित जल अधिकतर नालों के प्रवाह क्षेत्र में सीमित रहता है तथा इसकी ऊँचाई सामान्यतः 2 मीटर से कम होती है व अतिरिक्त जल को संरचना की दीवार के ऊपर से बहकर जाने दिया जाता है। अत्यधिक जल द्वारा गड्डे न वनें व कटाव न हो, इसलिए डाउन स्ट्रीम (Down Stream) की तरफ जल कुशन (Water Cushion) बनाए जाते हैं।
- जलधारा के अधिकांश अपवाह का उपयोग करने के लिए इस तरह के चैक डैम की श्रृंखला का निर्माण किया जा सकता है ताकि क्षेत्रीय पैमाने पर पुनर्भरण हो सके।
- चिकनी मिट्टी से भरे सीमेंट बैगों को दीवार की तरह लगाकर छोटे नालों पर अवरोध के रूप में सफलतापूर्वक प्रयोग हो रहा है। कई स्थानों पर नाले के आर-पार उथली खाई खोदी जाती है य दोनों तरफ एस्बेस्टस की शीट लगा दी जाती है।
- नाले पर एस्बेस्टस की शीट की दोनों श्रृंखलाओं के बीच का स्थान चिकनी मिट्टी द्वारा भर दिया जाता है। इस तरह कम लागत वाले चैक डेम का निर्माण किया जाता है। संरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए जलधारा के ऊपरी भाग की तरफ चिकनी मिट्टी से भरे सीमेंट बैगों को ढलवीं क्रम में लगा दिया जाता है।
पुनर्भरण शाफ्ट द्वारा वर्षा जल संचयन
- जलभृत जिसके ऊपर कम पारगम्य स्तर हो, पुनर्भरण के लिए सबसे उपयुक्त व कम लागत वाली तकनीक है।
- शॉफ्ट का व्यास सामान्यतः 2 मीटर से अधिक होता है।
- शॉफ्ट का अंतिम सिरा ऊपरी अपारगम्य स्तर (Top Impermeable Strata) के नीचे अधिक पारगम्य स्तर (More Permeable Strata) में होना चाहिए। यह आवश्यक नहीं कि शाफ्ट जलस्तर को छूता हो।
- अपंक्ति बद्ध ((Unlined) शाफ्ट में पहले शिलाखण्ड, फिर बजरी व अन्त में मोटी रेत भरी जानी चाहिए।
- यदि शाफ्ट पंक्ति बद्ध हो तो पुनर्भरित जल को फिल्टर तक पहुँचने वाले एक छोटे चालक पाइप के माध्यम से शाफ्ट में डाला जाता है।
- इस तरह की पुनर्भरण संरचनाएँ ग्रामीण टैंकों के लिए काफी लाभप्रद होती हैं, जहाँ छिछली चिकनी मिट्टी की परत जल के जलभृत रिसाव होने में बाधक होती है।
- ऐसा देखा गया है कि बरसात के मौसम में गाँवों के टैंक पूरी तरह से भरे होते हैं, लेकिन गाद भरने के कारण इन टैंकों से जल का नीचे रिसाव नहीं हो पाता है तथा साथ ही वने नलकूप कुएँ सूखे रह जाते हैं। गाँवों के तालाबों से जल वाष्पीकृत हो जाता है तथा लाभकारी उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं हो पाता है।
- तालाबों में पुनर्भरण शाफ्ट के निर्माण से अतिरिक्त उपलब्ध (Surplus) जल को भूजल में पुनर्भरित किया जा सकता है। जल की उपलब्धता के अनुसार पुनर्भरण शाफ्ट 5 मीटर से 3 मीटर व्यास व 10 मीटर से 15 मीटर गहराई तक बनाई जाती है। शाफ्ट का ऊपरी सिरा टैंक के तल स्तर (Bed Level) के ऊपर पूर्ण आपूर्ति स्तर (Full Supply Level) के आधे तक रखा जाता है। यह शिलाखण्ड बजरी और मोटी रेत द्वारा पुनः भर दिया जाता है।
- संरचना की मजबूती के लिए ऊपरी एक या दो मीटर की गहराई वाले भाग की ईटों व सीमेंट मिश्रित मसाले से चिनाई की जाती है।
- इस तकनीक के माध्यम से ग्रामीण तालाब (Tank) में इकट्ठे हुए सम्पूर्ण जल में से पूर्ण आपूर्ति स्तर के 50 प्रतिशत से अधिक को भूजल में पुनर्भरित किया जा सकता है। पुनर्भरण के पश्चात् घरेलू कार्यों हेतु पर्याप्त जल टैंक में बचा रह जाता है।
पुनर्भरण कुओं द्वारा वर्षा जल संचयन
- चालू व बंद पड़े कुओं को सफाई व गाद निस्तारण के पश्चात पुनर्भरण संरचना के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है।
- पुनर्भरित किए जाने वाले जल को गाद निस्तारण कक्ष से एक पाइप के माध्यम से कुएँ के तल या जल स्तर के नीचे ले जाया जाता है ताकि कुएँ के तल में गड्ढे होने व जलभृत में हवा के बुलबुलों को फँसने से रोका जा सके।
- पुनर्भरण जल गादमुक्त होना चाहिए तथा गाद को हटाने के लिए अपवाहित जल को या तो गाद निस्तारण कक्ष या फिल्टर कक्ष से गुजारा जाना चाहिए।
- जीवाणु संदूषक (Bacteriological Contaminations) को नियंत्रित रखने के लिए क्लोरीन (Chlorine) समय समय पर डालते रहना चाहिए।
भूमिगत जलबांध या उपसतही डाइक
- भूमिगत जलबाँध वा उपसतही डाइक (Sub- surface Dyke) नदी के आर-पार एक प्रकार का अवरोधक होता है, जो बहाव की गति को कम करता है। इस तरह भूजल वाँध के ऊपरी क्षेत्र में जलस्तर जलभृत के सूखे भाग को संतृप्त कर के बढ़ाता है।
- भूमिगत जल बाँध या उपसतही डाइक के निर्माण के लिए स्थल का चयन ऐसी जगह किया जाता है जहाँ अपारगम्य स्तर छिछली गहराई में हो और संकरे निकास वाली चौड़ी खाई हो।
- उपयुक्त स्थल चुनाव के पश्चात् नाले की पूर्ण चौड़ाई में। मीटर से 2 मीटर चौड़ी तथा कड़ी चट्टानों अभेद्य सतह तक एक खाई खोदी जाती है। खाई को चिकनी मिट्टी या ईंटों कंक्रीट की दीवार से जलस्तर के आधा मीटर नीचे तक भर दिया जाता है।
- जल का संचयन जलभृत में होता है। इसलिए जमीन का जलाप्लायन रोका जा सकता है तथा जलाशय के ऊपर की जमीन को वाँध बनने के पश्चात प्रयोग में लाया जा सकता है। इससे जलाशय से वाष्पीकरण द्वारा नुकसान नहीं होता और न ही जलाशय में गाद जमा हो पाती है। बाँध के बैठ जाने (टूट जाने) जैसे भयंकर खतरे को भी टाला जा सकता है।
संपर्क करेंः
डॉ. शोभा अग्रवाल 'चिलबिल'
मातृ-पितृ सेवा सदन, भूहेरा, सफेदाबाद, बाराबंकी-225-003 ईमेल: chilbil.shubh@gmail.com
मा. 8882161295, 9535924979
भाग 1 पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं