धार जिले के बाग की जीवन दायिनी बाघनी नदी की स्थिति स्वच्छता अभियान को धत बता रही है। नदी के अन्दर और तटों पर स्थानीय लोगों द्वारा पुराने मकानों का मलबा और गाँव का कूड़ा-करकट बेरहमी के साथ डाला गया है। ऐस में चौड़े पाट में बहने वाली बाघनी नदी ने सिमटकर नाले का रूप ले लिया है। नदी में गन्दा पानी जमा हो रहा है, जिससे नदी किनारे जबरेश्वर मन्दिर के सामने लगे हैण्डपम्प से निकलने वाले पानी में बदबू आने लगी है। बाघनी नदी को संरक्षण की जरूरत है। इसके तहत गहरीकरण और साफ-सफाई करना आवश्यक हो गया है।
15-20 वर्ष पूर्व तक नदी की रेत पर बैठकर शाम गुजारने वाले बाग के बाशिन्दे अब नदी के मटमैले पानी की सड़ान्ध से मुँह फेरते नजर आ रहे हैं। दरअसल, नदी की रेत पर कूड़े-कचरों के टीले दूर से ही दिखाई दे रहे हैं। स्मार्ट विलेज के लिये बाग का नाम चयनित होने पर इसे लेकर शिक्षक महेश राठौर ने मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि गन्दगी की वजह से नदी अपना स्वरूप खोती जा रही है, जो चिन्ताजनक है।
इसके अलावा नदी में लगने वाले कवेलू के भट्टों से नदी उथली हो रही है। साथ ही दिनों-दिन जल संग्रहण में कमी होती जा रही है। नदी के अन्दर लगाए जाने वाले कवेलू के भट्टों को राजस्व विभाग द्वारा अन्य जगह स्थानान्तरित किया जाना चाहिए। एक ओर जल संवर्द्धन के लिये नदी व तालाबों का गहरीकरण किया जा रहा है, तो दूसरी ओर वर्षों से बहने वाली नदी अपना अस्तित्व खोते जा रही है।
जबरेश्वर मन्दिर के पुजारी संजयपुरी गोस्वामी ने बताया कि इस वर्ष अल्पवर्षा की स्थिति के कारण नदी में बाढ़ की स्थिति निर्मित नहीं हुई। ऐसे में एक बार भी बाघनी से पानी बहकर नहीं निकला। जिससे गन्दा और मटमैला पानी जमा हो गया। गन्दगी की वजह से नदी के समीप लगे हैण्डपम्प से गन्दा और बदबूदार पानी आ रहा है। राह चलते लोग मजबूरी में पानी पी रहे हैं।
हाल ही में बाघनी को बचाने के प्रयास शुरू हुए। इसके तहत गाँव का कूड़ा-करकट नदी में डालने से रोकने के लिये एक बैरिकेट्स लगाया गया। बीते दिनों नदी में मैला डालने के बाद आक्रोशित लोगों ने बैरिकेट्स लगाकर अच्छी शुरुआत की है।