सारणी 1- चने का पोषण तत्वीय संघटन | ||
क्रमांक | घटक | पोषण मान (प्रतिशत में) |
1. | कार्बोहाइड्रेट | 55.5 |
2. | प्रोटीन | 19.4 |
3. | वसा | 4.5 |
4. | रेशा | 7.4 |
5. | खनिज लवण | 3.4 |
6. | पानी | 10.2 |
प्रति 100 ग्राम खाद्य भाग में पोषण मान (मि.ग्रा. में) | ||
7. | कैल्शियम | 280.0 |
8. | फॉस्फोरस | 301.0 |
9. | लोहा | 12.3 |
10. | ऊर्जा | 396.0 |
सारणी 2- बुवाई की तिथि, प्रजातियों और फास्फोरस स्तरों का छोलिया की बढ़वार और उपज घटकों पर प्रभाव | ||||
उपचार | पौधों की ऊँचाई (सेमी.) | फलियां प्रति पौधा | बीज प्रति फली | 1000 दानों का भार (ग्रा.) |
बुवाई की तिथि |
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30 सितम्बर | 51.5 | 39.5 | 1.32 | 246.9 |
7 अक्टूबर | 49.5 | 44.0 | 1.35 | 250.0 |
15 अक्टूबर | 43.5 | 37.5 | 1.22 | 247.4 |
प्रजातियां | ||||
आई.सी.सी.वी.- 96029 | 52.5 | 45.0 | 1.30 | 259.0 |
आई.सी.सी.वी.- 96030 | 44.5 | 35.5 | 1.28 | 219.5 |
फास्फोरस स्तर (कि.ग्रा./है.) | ||||
0 | 44.5 | 36.5 | 1.23 | 235.5 |
13.2 | 48.5 | 40.5 | 1.31 | 252.3 |
26.4 | 50.5 | 42.0 | 1.34 | 256.4 |
सारणी 3- बुवाई की तिथि, प्रजातियों और फास्फोरस स्तरों का छोलिया की उत्पादकता और आय पर प्रभाव | ||||
उपचार | बायोलॉजिकल उपज (टन/हे.) | छोलिया उपज (टन/हे.) | फास्फोरस अवशोषण (कि.ग्रा./हे.) | शुद्ध लाभ (रु./हे.)
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बुवाई की तिथि |
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30 सितम्बर | 7.76 | 1.06 | 5.05 | 20,150 |
7 अक्टूबर | 8.95 | 1.31 | 5.84 | 28,120 |
15 अक्टूबर | 7.30 | 0.82 | 4.94 | 12,840 |
प्रजातियां | ||||
आई.सी.सी.वी.- 96029 | 9.03 | 1.20 | 5.76 | 24,915 |
आई.सी.सी.वी.- 96030 | 6.98 | 0.93 | 4.79 | 15,925 |
फास्फोरस स्तर (कि.ग्रा./हे.) | ||||
0 | 7.35 | 0.94 | 3.55 | 17,210 |
13.2 | 8.16 | 1.09 | 5.82 | 21,235 |
26.4 | 8.51 | 1.15 | 6.74 | 22,375 |
छोलिया की कीमत रु. 30,000/टन हरा चारा रु. 500/टन |
प्रयोग के अंतर्गत बुवाई की तीन तिथियाँ (30 सितम्बर 7, अक्टूबर व 15 अक्टूबर), छोलिया की दो प्रजातियाँ ( आई.सी.सी.वी. 96029- आई.सी.सी.वी. -96030) व फॉस्फोरस के तीन स्तरों (0,13.2 व 26.4 कि.ग्रा./हे.) का छोलिया की उपज व उपज घटकों पर प्रभाव का मूल्यांकन किया गया। उपचारों के अनुसार फास्फोरस की संपूर्ण मात्रा सिंगल सुपर फास्फेट के रूप में बुवाई के समय दी गई। इसके अलावा फसल में नाइट्रोजन की एक समान मात्रा 20 कि.ग्रा./हे. की दर से यूरिया के रूप में दी गई। पलेवा के अतिरिक्त छोलिया की फसल में दो सिंचाईयाँ क्रमशः बुवाई के 35 व 80 दिनों बाद दी गई। सभी तिथियों में बोयी गई फसल की कटाई 15 फरवरी को की गई जब बाजार में छोलिया की अत्यधिक मांग रहती है। छोलिया की फसल को कीटों की फसल से बचाने के लिये समेकित कीट नियंत्रण प्रणाली अपनाई गई। छोलिया की फसल से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पाया गया गया कि छोलिया की दोनों प्रजातियाँ उपज, बढ़वार व उपज घटकों में पूर्णतया भिन्न थीं। छोलिया की आई.सी.सी.वी.- 96029 की कुल पैदावार, आई.सी.सी.वी.- 96030 की अपेक्षा सार्थक रूप से 29.4 प्रतिशत अधिक पाई गई (सारणी 3)। आई.सी.सी.वी. -96029 के पौधों की अधिक-ऊँचाई अत्यधिक शाखाएँ, प्रति पौधा फलियों की अधिक संख्या, 1000 हरे दानों का भार भी आई.सी.सी.वी. -96030 की तुलना में सार्थक रूप से अधिक पाया गया (सारणी 3)।
जो दोनों वर्षों के औसत के आधार पर आई.सी.सी.वी.- 96030 के मुकाबले 28.5 प्रतिशत अधिक पाई गई। सन्धू व अन्य ने भी लुधियाना में छोलिया की अगेती प्रजातियों पर ऐसे ही परिणाम प्राप्त किये। बुवाई तिथियों के संदर्भ में छोलिया की 7 अक्टूबर को बोयी गई फसल से उत्साहवर्द्धक परिणाम प्राप्त हुए। छोलिया की 7 अक्टूबर को बोयी फसल से अन्य तिथियों 30 सितम्बर व 17 अक्टूबर को बोयी गई फसल की अपेक्षा अधिक बायोलॉजिकल उपज प्राप्त हुई। जो 30 सितम्बर व 17 अक्टूबर की अपेक्षा क्रमशः 15.3 व 22.6 प्रतिशत अधिक थी (सारणी 3) छोलिया की 30 सितम्बर व 15 अक्टूबर को बोयी गई फसल से प्रायः समपरिमाप उपज प्राप्त हुई। छोलिया की 7 अक्टूबर को बोयी फसल से प्रति पौधा फलियों की संख्या, प्रति फली दानों की संख्या और दानों का टेस्ट वेट भी अन्य तिथियों को बोयी गई फसल की अपेक्षा अधिक पाया गया। छोलिया की फसल में 13.2 कि.ग्रा./हे. की दर से फास्फोरस का प्रयोग करने पर नियंत्रण (अनुपचारित) की अपेक्षा बायोलॉजिकल उपज में 10.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। जबकि फॉस्फोरस की मात्रा 26.4 कि.ग्रा./हे. तक बढाने पर 13.2 कि.ग्रा./हे. की अपेक्षा केवल 4.3 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई। फास्फोरस की 13.2 कि.ग्रा./हे. का प्रयोग करने पर नियंत्रण की अपेक्षा प्रति फली औसत दानों की संख्या में भी सार्थक वृद्धि पाई गई। परंतु फास्फोरस की मात्रा 26.4 कि.ग्रा./हे. तक बढ़ाने पर दानों की संख्या पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पाया गया। छोलिया की खेती से अधिकतम शुद्ध लाभ रु. 28,120/हे. आई. सी.सी.वी.- 96029 प्रजाति की बुवाई 7 अक्टूबर को करने पर पाया गया (सारणी 3)।
संदर्भ
1. Annual Report (2013-14). Indian Institute of pulse research, Kanpur, Uttar Pradesh, 26.
2. Basu P S & Gupta S, vision 2030- A compilation report, Indian Institute of Pulses Research Kanpur, (2011_ 3-8.
3. FAOSTAT. 2014. Database [Internet] Rome : Food and Agriculture Organization ; [cited 2014 Mar 1] Available from http:/faostat.fao.org.
4. Agriculture Situation in India. Directorate of Economics and Statistics, Department of Agriculture and Cooperation Ministry of Agriculture, Government of India, New Delhi. (2005) 51.
5. Tripathi L K, Thomas T, Singh V J, Gupta S & Kumar Rahul, Effect of nitrogen and phosphorus application on soil nutrient balance in chickpea (Cicer arietinum) cultivation. Agricultural research review. 6(2) (2015) 319-322.
6. Singh A, Singh L & Singh N P, Performance analysis of pulses in frontline demonstration, Indian J. pulses research. 18 (2) (2005) 202-205.
7. Srivastava S K, Sivarmanane N & Mathur V C, (Eds,) Agricultural Economics Research Review, 23 (2010) 137-148.
8. Malik J P, Boosting Agricultural Production an overview. Kurukshetra- A Journal of Rural Development. Ministry of Rural Development. Government of India, New Delhi. 61 (11) (2015) 5-9.
9. Simpson R J, Oberson A, Culvenor R A, Ryan M H, Veneklaas E J, Lambers H, Lynch J P, Ryan P R, Delhaize E, Smith FA, et al., Strategies and agronomic interventions to improve the phosphorus-use efficiency of farming systems. Plant Soil. 349 (2011) 89-120.
10. Yadav R L, Prasad K, Gangwar K S & Dwivedi BS, Cropping Systems and Resource Use Efficiency. Indian J. Agricu Sciences. 68 (8) (1998) 548-558.
वीरेन्द्र कुमार एवं बी गगैया, Virendra Kumar and B Gangaiah
सस्य विज्ञान संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली 110012, Division of Agronomy, Indian Agricultural Research Institute, New Delhi 110012