स्वच्छ एवं सुरक्षित जल अच्छे स्वास्थ्य की कुजीं है। गंदा व प्रदूष्रित जल बीमारियों फैला सकता है। सभी प्रकार की घरेलु आवश्यकताओं के आधार पर सामान्यता प्रतिदिन एक आदमी को 40 लीटर पानी की आवश्यकता होती है किन्तु अकाल जैसी स्थिति में दैनिक उपयोग के लिए प्रति व्यक्ति कम से कम 15 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
क्या आपके एवं आपके गांव में सभी के लिये इतना पानी है कि वर्षा कम होने पर भी आपकी जरुरत भर का पानी उपलब्ध रहे ?
प्रतिदिन न्यनतम सुरक्षित पानी की आवश्यकता (लीटर में)
परिवार में सदस्यों की संख्या | पीने का पानी/खाना पकाने का पानी | अन्य कार्यो के लिए | कुल योग |
6 | 30 | 60 | 90 |
7 | 35 | 70 | 105 |
8 | 40 | 80 | 120 |
9 | 45 | 90 | 135 |
10 | 50 | 100 | 150
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· वर्षा-जल के संरक्षण की कमी
· सिंचाई/तराई में अधिक उपयोग
· भूजल का पुनर्भरण कम व दोहन अधिक
गर्मियों के कम से कम 5 महिनों के लिये सुरक्षित पानी हमेशा उपलब्ध रहना चाहिए। इसके लिए घरेलू एवं सामुदायिक स्तर पर कई उपाय सम्भव है जैसे बरसात का पानी इक्ट्ठा करना आदि।
वर्षा के पानी का संग्रह अपनी वर्ष भर की आवश्यकता के लिए
यह तो आपको ज्ञात है कि राजस्थान में अन्य राज्यों से कम वर्षा होती है जिसके फलस्वरुप पूरे वर्ष के लिए पर्याप्त जल की आपूर्ति नहीं हो पाती है।
इसके अतिरिक्त हम वर्षा के जल को व्यर्थ में बहने देतें है। पानी की इस कमी को हम अपने प्रयासों से काफी हद तक पूरी कर सकते है जैसे -
· छत से बरसात के पानी को व्यर्थ न बहने दे। वर्षा काल में छतों की सफाई करें तथा छत के ढलान वाली ओर पाइप लगाकर यह पानी टांके/कुण्ड में सग्रह करें।
वर्षा जल की मात्रा लीटर में (कुल वर्षा का 80 % एकत्र करने पर)
छत का माप वर्ग मीटर | 50 | 100 | 150 | 200 | 250 |
वर्षा मि.मी. | |||||
200 | 8000 | 16000 | 24000 | 32000 | 40000 |
300 | 12000 | 24000 | 36000 | 48000 | 60000 |
400 | 16000 | 32000 | 48000 | 64000 | 80000 |
500 | 20000 | 40000 | 60000 | 80000 | 100000
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· यदि टांका बनाना सम्भव न हो तो मुर्गाजाली टांका या प्लास्टिक टैक इस्तेमाल करें।
राजस्थान में होने वाली औसत बरसात से एक पक्के मकान की छत (लगभग 25 वर्ग मीटर) से इतना पानी संग्रह हो सकता है जिससे 10 लोगों के परिवार की 200 से ज्यादा दिनों तक का खाना पकाने एवं पीने के पानी की आवश्यकता पूरी हो सकती है।
· पानी व्यर्थ न बहने दें।
· उन्नत तकनीक का सस्ता स्वच्छ शौचालय (वी.आई.पी) उपयोग में ले जिससे पानी की बहुत कम आवश्यकता पड़ती है।
· जंहा तक सम्भव हो नहाने-धोने के पानी को सब्जी की क्यारियों या पेड़ पौधों के लिए इस्तेमाल करें।
पानी में प्रदूषण कई कारणों से सम्भव है। वर्ष में एक बार पानी की नमूने की जांच के लिए राजस्थान के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) में ले जाएं एवं सुनिश्चित करें कि पानी मनुष्य के लिये सुरक्षित है।
· जल में जीवाणु का नाश करने के लिये 15 लीटर में 2 क्लोरीन की गोलियां (500 मिलीग्राम) या हर 1000 लीटर पानी में में 3 ग्राम ब्लीचिंग पावडर का घोल बनाकर डाले एवं आधे घन्टे बाद उपयोग में लें। क्लोरीन की गोलियां नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र एवं ब्लीचिंग पावडर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं स्वास्थ्य केन्द्र में उपलब्ध रहता है।
· जल संग्रहण के लिये बनाये गये टांकों को साफ रखें।
पानी की आपूर्ति प्राय: नलों , हैण्डपम्पों, तालाबों, कुओं, आदि से करते है। इन स्त्रोतों से पानी का उपयोग सही व स्वच्छ तरीके से हो इसके लिए आवश्यक है कि ग्राम स्तर पर सभी लोग मिलकर एक समिति का गठन करें।
· यह आवश्यकता किन स्त्रोतों से पुरी हो सकती है। गांव सुरक्षित पानी की आवश्यकताओं के अनुसार पेयजल एवं खाना पकाने के लिये अपने क्षेत्र में उपलब्ध जल स्त्रोंतों की पहचान करें। इन जल स्त्रोंतों का उपयोग केवल पीने व खाना पकाने के लिए ही करें।
· अन्य आवश्यकताओं के लिये शेष जल स्त्रोतों को परखें।
· जल के उपयोग पर निगाह रखे व आवश्यक कार्यवाही करें।
· समिति समय-समय पर सामूहिक स्तर पर धन एकत्र करे जिससे हैण्डपम्प की मरम्मत, कुएं/तालाब को गहरा करवाना, आवश्यकता होने पर टैंकरों से पानी मंगवाना, टांका बनवाना इत्यादि कार्य किये जा सकें।