अमर्त्य सेन, अभिजीत बनर्जी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में एक बात कॉमन है। ये तीनों ही भारत के मशहूर अर्थशास्त्री हैं। अर्थशास्त्र में किसी व्यक्ति की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। ये तो हम सभी जानते हैं। कठिन विषय होने की वजह से अधिकतर छात्र-छात्राएँ इसमें करियर बनाने से बचते हैं। अगर आप भी इनमें से एक हैं तो यह जान लीजिए कि अर्थशास्त्र की गिनती मार्केट फ्रेडली कोर्स में होती है। इसकी पढ़ाई करने वाला आमतौर पर बेकार बैठा नजर नहीं आता। उसे रोजगार के अवसर कहीं-न-कहीं जरूर मिल जाते हैं। यहाँ पारम्परिक और नए दोनों तरह के अवसर हैं।
इकोनॉमिक्स और स्टैटिक्स की अच्छी समझ रखने वाले युवा फाइनेस रिस्क एनालिस्ट के तौर पर काम कर सकते हैं और विशेष दक्षता हासिल करने के लिए पीजी है। अक्टूरियल में पीजी करने के बाद इनका प्रमुख काम जोखिम का आकलन कर कम्पनी और क्लाइंट्स को सलाह देता है इसके प्रमुख कार्य इनश्योरेन्स, पेंशन, इनवेस्टमेंट, बैंक हो सकते हैं।
कृषि अर्थशास्त्र दरअसल एक ऐसा बहुविषयक क्षेत्र है, जहाँ खेती-किसानी से जुड़ी समस्याओं के हल सूक्ष्म और वृहत अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों के सहारे तलाशने का प्रयास किया जाता है। कृषि अर्थशास्त्र खेती के व्यावसायिक पक्ष से सम्बन्धित है इसलिए कृषि अर्थशास्त्र में बेहतरीन करियर है। कृषि अर्थशास्त्री खेती और अन्य कृषि उद्योगों के प्रबंधन का कामकाज संभालता है और इस दिशा में व्यापार की अवधारणाओं और समस्याओं को हल करने की तकनीक का इस्तेमाल भी करता है। वे बाजार पर निगाहें रखते हैं और कृषि उत्पादों को लेकर बाजार के रुझान की भविष्यवाणी भी करते है।
आज जलवायु परिवर्तन को लेकर सारी दुनिया चिंतित है। ऐसे में एन्वायरनमेंटल इकॉनोमिक्स का काम अहम हो जाता है। इन क्षेत्र में छात्रों को वायु प्रदूषण, पानी की गुणवत्ता, ग्लोबल वार्मिंग, जहरीला पदार्थ और वेस्ट प्रोडक्ट्स के बारे में पढ़ाया जाता है।
अर्थशास्त्र के छात्र बीमा व बैंकिंग के क्षेत्र में भी किस्मत आजमा सकते हैं। बीमा व बैंकिंग के क्षेत्र में अर्थशास्त्र की जानकारी मूलभूत जरूरत है। इकॉनोमिक्स के ब्रिलियंट छात्र इंडियन इकोनॉमिक्स सर्विसेज की भी तैयारी कर सकते हैं।
जिन छात्रों ने अर्थशास्त्र में मैट्रिक्स की पढ़ाई की है, उन्हें रिसर्च में काफी मौके मिलते हैं। रिसर्च पर आधारित कम्पनियाँ ऐसे छात्रों को अवसर प्रदान करती है। आप फॉरन केरेन्सी एक्सचेंज में भी काम कर सकते हैं।
इकोमेट्रिक्स गणित, सांख्यिकी और अर्थशास्त्र का मिलाजुला रूप है। इसमें किसी भी प्रोडक्ट की भविष्य में क्या माँग रहेगी, इसका आकलन किया जाता है और यह आकलन इकॉनोमिक्स के एक्सपर्ट ही कर सकते हैं। बाजारीकरण के दौर में विशेषज्ञ की काफी जरूरत रहती है, जो प्रोडक्ट का बाजार के हिसाब से आकलन करते हैं।
कॉरपोरेट जगत में अर्थशास्त्र बैकग्राउंड वाले छात्रों को एमबीए में बड़ी मदद मिलती है। अर्थशास्त्र में स्नातक के लिए फाइनेशियल सेक्टर ऐसा क्षेत्र है जहाँ सर्वाधिक वेतन मिलनी की सम्भावना रहती है।
अगर आपकी अर्थशास्त्र की पृष्ठभूमि है और आपने लॉ भी कर रखा है तो आफ लॉ फर्म में भी जॉब पा सकते हैं। इसके अलावा इन दिनों बिजनेस पत्रकारिता का भी काफी महत्व है। व्यापार पर आधारित पत्र-पत्रिकाओं में अर्थशास्त्र की विशेषता रखने वाले छात्रों की काफी जरूरत रहती है।
इकोनॉमिक्स की विशेष समझ रखने वाले ग्रेजुएट साथ-साथ या इसके बाद चार्टेड अकाउंट के प्रोफाइल में अप्लाई कर सकते हैं। या फिर फाइनेंसियल ऑडिट के अलावा ये टैक्स प्लानिंग समेत अनेक आर्थिक मुद्दे पर कम्पनी या क्लाईंटों को सलाह दे सकते हैं।