कृषि

प्लांटीबॉडी जैवप्रौद्योगिकी अनुसन्धान की नई दिशा

सिम्पल कुमार सुमन


शायद बहुत कम लोगों ने ही प्लांटीबॉडी का नाम सुना होगा। प्लांटीबॉडी पादप द्वारा निर्मित एंटीबॉडी है। साधारणतः सामान्य पादप एंटीबॉडी का निर्माण नहीं करते हैं। प्लांटीबॉडी का निर्माण ट्रांसजेनिक (जी.एम.) पादप के द्वारा होता है। हम सभी जानते हैं एंटीबॉडी एक प्रकार की ग्लाइकोप्रोटीन होती है, जो हम मनुष्यों एवं अन्य जानवरों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का मुख्य भाग है। जैव प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत रिकॉम्बिनेन्ट डी.एन.ए. टेक्नोलॉजी (आर.डी.टी.) के माध्यम से एंटीबॉडी उत्पन्न करने वाले जीन को पौधों में स्थानान्तरित करना सम्भव हो सका है। ऐसे पौधे जो वांछित जीन के प्रभावों को प्रदर्शित करते हैं, ‘ट्रांसजेनिक पादप’ कहे जाते हैं और स्थानान्तरित जीन को ‘ट्रांसजीन’ कहा जाता है। सर्वप्रथम 1989 में तम्बाकू के पौधे में चूहे, एवं खरगोश के जीनों को डाला गया और कैरोआरएक्स (CaroRx) का उत्पादन किया गया जिससे जैव प्रौद्योगिकी की विकास एवं अनुसन्धान में एक नई विमा का विकास हुआ। शब्द प्लांटीबॉडी एवं इसकी संकल्पना संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित बायोटेक कम्पनी बायोलेक्स थेरोप्यूटिक्स इन्कॉर्पोरेशन के द्वारा दिया गया।

सामान्य एंटीबॉडी एवं पादप एंटीबॉडी में अन्तर

प्लांटीबॉडी उत्पादन के प्रमुख कारण

पौधों का ही चुनाव क्यों?

प्लांटीबॉडी के उपयोग

1. एक्स-प्लांटा उपयोग (Ex-Planta Application) -
2. इन-प्लांटा उपयोग (In-Planta Application) -

प्लांटीबॉडी - अनुसन्धान एवं विकास की वर्तमान स्थिति

विश्व की कुछ प्रमुख कम्पनियाँ

प्लांटीबॉडी निर्माण एवं उपयोग के असीम खतरे

लेखक परिचय

श्री सिम्पल कुमार सुमन
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