प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की घोषणा होते ही हमने पाठकों के लिये ‘कृषि चौपाल’ के मार्च अंक में विस्तृत लेख प्रकाशित किया था। उस लेख की प्रतिक्रिया में हमें कई किसान भाइयों के पत्र मिले। इस योजना को लेकर उनके मन में अनेक प्रकार की शंकाएं थीं। उन्हें दूर करने के लिये इस बार हम मंत्रालय के सहयोग से हर उस प्रश्न का उत्तर यहाँ दे रहे हैं, जो संभवतः उनके मन में होंगे।
फसल बीमा किसानों की फसलों से जुड़े जोखिम की वजह से हो सकने वाले नुकसान से रक्षा करने का माध्यम है। इससे किसानों को अचानक आये जोखिम या खराब मौसम से फसल को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है।
इस समय राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस), संसोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस), मौसम आधारित फसल बीमा योजना (डब्ल्यूबीसीआईएस) एवं नारियल पाम बीमा योजना (सीपीआईएस) चल रही हैं। राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और संसोधित कृषि बीमा योजना को रबी 2015-16 के बाद बंद कर किसानों को अधिक सुविधा देने के लिये अब खरीफ 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरू की जा रही है।
इन योजनाओं में कुछ ऐसे प्रावधान थे, जिनसे किसानों को अधिक प्रीमियम देने के बावजूद नुकसान का सही मुआवजा नहीं मिल पा रहा था। बीमित प्रीमियम ज्यादा होने पर तो प्रीमियम पर कैपिंग के कारण बीमा की मूल राशि घटा दी जाती थी, इसके अलावा ज्यादा जोखिम वाले जिलों में ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता था, नजदीकी जिलों में प्रीमियम की दर अलग-अलग होती थी एवं किसानों के दावों के भुगतान में काफी देर होती थी। ये योजनाएं किसान के लियेज्यादा मददगार और फायदेमंद नहीं थी। इस कारण रबी 2015-16 के बाद इन्हें बंद किया जा रहा है।
इस योजना में किसानों को पुरानी सभी योजनाओं की तुलना में सबसे कम प्रीमियम राशि देनी होगी। किसानों को प्रीमियम की रकम का बोझ अब महसूस नहीं होगा। इस बोझ की वजह से पहले बहुत से किसान बीमा नहीं कराते थे और उन्हें नुकसान होने पर कोई भरपाई नहीं मिल पाती थी। नई योजना में अब सभी फसलों के लिये खरीफ में ज्यादा से ज्यादा 2 फीसदी और रबी में ज्यादा से ज्यादा 1.5 फीसदी बीमा दर रखी गई है। इसके अलावा सालाना बागवानी/व्यावसायिक फसल के लिये प्रीमियम की दर ज्यादा से ज्यादा 5 फीसदी की गई है। ये दरें पहले से काफी कम हैं।
नहीं, पहले की योजनाओं में अधिक प्रीमियम होने पर बीमित राशि की सीमा तय करने से नुकसान होने पर भरपाई की रकम भी कम हो जाया करती थी, इसलिए नई योजना में इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। अब किसानों को बीमित राशि की पूरी रकम अनुसार पूरा हर्जाना मिल सकेगा।
इस योजना के तहत निम्नलिखित जोखिम कवर किये गये हैं-
1. उपज नुकसान के आधार पर- इस योजना में आग लगने के अलावा बिजली गिरने, तूफान, ओला पड़ने, चक्रवात, अंधड़, बवंडर, बाढ़, जलभराव, जमीन धंसने, सूखा, खराब मौसम, कीट एवं फसल को होने वाली बीमारियाँ आदि जोखिम से फसल को होने वाले नुकसान को शामिल करके एक ऐसा बीमा कवर दिया जाएगा जिसमें इससे होने वाले सारे नुकसान से सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
2. संरक्षित बुआई के आधार पर- अगर बीमित किसान बुआई/रोपाई के लिये खर्च करने के बावजूद खराब मौसम की वजह से बुआई/रोपाई नहीं कर सकते तो वे बीमित राशि के 25 प्रतिशत तक नुकसान का दावा ले सकेंगे।
3. फसल कटाई के बाद रखी फसल को चक्रवात, बेमौसम बारिश और स्थानीय आपदा जैसे ओलों, जमीन धंसने और जलभराव से होने वाले नुकसान का अंदाजा प्रभावी खेत के आधार पर किया जाएगा और इसके अनुसार किसानों के नुकसान का आकलन करके दावे तय किये जाएंगे।
यह योजना सभी राज्य सरकारों और संघ शासित क्षेत्रों के लिये स्वैच्छिक है। अतः इस योजना में सभी राज्य और संघ शासित क्षेत्र शामिल हो सकते हैं।
राज्य सरकारों/संघ शासित क्षेत्रों द्वारा तय किये गए इलाके में तय की गई फसल जोकि अनाज, खाद्यान्न, तिलहन, सालाना व्यावसायिक और बागवानी फसल हो सकती है, उगाने वाले किसान बीमा करवा सकते हैं। नई बीमा योजना तय किये गये क्षेत्र में केसीसी खाता धारक किसानों (जिन्हें ऋणी किसान कहा जाता है) के लिये अनिवार्य है तथा अन्य सभी किसान अगर चाहें तो बीमा का लाभ ले सकते हैं।
इस योजना के तहत बैंक, केसीसी खाता (जिन्हें ऋणी किसान कहा जाता है) धारक किसानों के लिये जरूरी प्रीमियम, बीमा कम्पनियों के पास अपने आप भेज देते हैं और उन किसानों का बीमा हो जाता है। अन्य सभी किसान निकटतम बैंक या तय की गई बीमा कम्पनी के स्थानीय एजेंट को प्रीमियम का भुगतान करके फसल बीमा करा सकते हैं।
नई बीमा योजना में यह नियम बनाया गया है कि स्थानीय आपदाओं जैसे ओला पड़ने, जमीन धंसने और जलभराव से नुकसान होने पर योजना में खेतवार नुकसान का आकलन किया जाएगा। ठीक उसी तरह फसल कटाई के बाद खेत में पड़ी हुई फसल को 14 दिन के भीतर चक्रवात और बेमौसम बरसात से नुकसान होने पर भी खेतवार आकलन करके भुगतान करने का नियम बनाया गया है।
नई योजना में स्मार्टफोन से फसल कटाई आकलन की तस्वीरें खींचकर सर्वर पर अपलोड की जाएंगी जिससे फसल कटाई के आँकड़े जल्द से जल्द बीमा कम्पनी को मिल सकेंगे। इससे दावों का भुगतान करने में लगने वाले समय को काफी कम किया जाएगा। रिमोट सेंसिंग और ड्रोन जैसी तकनीक के इस्तेमाल से फसल कटाई प्रयोग की संख्या को कम करने में और नुकसान के आकलन में सहायता मिलेगी।
यह योजना क्षेत्रीय दृष्टिकोण आधार पर अमल में लायी जाएगी। मुख्य फसलों के बीमा इकाई ग्राम/ग्राम पंचायत स्तर पर होगी और अन्य फसलों के लिये बीमा इकाई राज्य सरकार द्वारा तय की जाएगी और यह ग्राम/ग्राम पंचायत से बड़े आकार की भी हो सकती है।
इस योजना के तहत बीमित राशि जिला स्तर तकनीकी समिति (डीएलटीसी) द्वारा उस फसल के लिये तय वित्त पैमाने के बराबर होगी।
बीमा के लिये अपने निकटतम बैंक शाखा, कृषि सहकारिता समिति, बीमा कम्पनी या उनके एजेंट से सम्पर्क करें। अधिक जानकारी के लिये नीचे दी गई वेबसाइट को देखेंः http:www.agri-insurance.gov.in