कृषि

राजस्थान में बारानी खेती की प्रगति

Author : अरविंद कुमार सिंह

राजस्थान के गाँवों का कठिन जीवन वहाँ के लोगों में अजीब आत्म विश्वास भी भर देता है। चीताखेड़ा में आया बदलाव भी गाँव वालों की शक्ति से जुड़ा है। हालाँकि केन्द्र सरकार ने वाटरशेड योजना को जनभागेदारी वाला बनाया है पर बहुत से राज्यों में ऐसी स्थिति नहीं है जो राजस्थान में है।

इलाका विशाल पर जमीनें बेकार

कृषि मंत्रालय के सचिव जी.सी. पंत राजस्थान के नतीजों को काफी उत्साहजनक बताते हैं। एक बातचीत में उन्होंने कहा कि जहाँ कुछ नहीं है वहाँ अगर कुछ इलाज कर हम उत्पादन बढ़ाने का काम कर सकें तो बहुत अच्छी बात है। अगर जनभागीदारी ऐसी ही बनी रही तो आगे अच्छे नतीजे आएँगे ही।

परियोजनाओं का प्रभाव:

गाँव वालों ने परियोजना प्रदर्शनों से सबक लेकर खेती के तौर तरीके बदले हैं। यहाँ 143 हेक्टेयर इलाकों में हुए प्रदर्शन में 32.20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मक्के और 9.25 क्विंटल मूंग की उपज हुई। परम्परागत खेती से यह उपज क्रमशः 11.75 और 3.41 क्विंटल होती है।

भीलवाड़ा के प्रयोग:
उदयपुर के नतीजे:
मूल्यांकन:
पशुपालन:
अकाल से निजात:
अरविंद कुमार सिंह, वरिष्ठ संवाददाता ‘अमर उजाला’
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