कृषि

सिंचाई जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिए मृदा नमी आंकलन की तकनीक

Author : राजदेव सिंह, जयवीर त्यागी, एस.एल. श्रीवास्तव

भारत के सिंचित कृषि क्षेत्र में पानी का बेहतर उपयोग न होना एक चिन्ता का विषय है। अन्य क्षेत्रों में पानी की बराबर बढ़ती माँग के कारण सन् 2025 तक सिंचाई क्षेत्र में पानी की वर्तमान हिस्सेदारी 84% से घटकर 74% तक होने का अनुमान है। इसलिए सिंचाई जल उपयोग की दक्षता के वर्तमान स्तर में सुधार लाना सिंचाई के निर्धारण में उपयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मृदा नमी की माप और उसका सिंचाई के निर्धारण में उपयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मृदा सतह के नीचे मृदा नमी की जानकारी के अभाव में फसलों की ज्यादा या कम सिंचाई करने की परम्परा है। सिंचाई जल का सही समय प उचित मात्रा में उपयोग न केवल फसलों द्वारा पानी उपयोग की उच्च दक्षता को सुनिश्चित करता है बल्कि पोषक तत्वों के निक्षालन (Leaching) का भी कम करता है। परिणाम स्वरूप मिट्टी में बेहतर वायु संचरण से फसलों की पैदावार एवं कृषि उत्पादकता में महत्वपूर्ण सुधार होता है।

किसी समय पर फसल को कितना मृदा जल उपलब्ध है तथा कब और कितनी सिंचाई करनी है, की जानकारी के लिए मृदा नमी का आंकलन बहुत उपयोगी है। सिंचाई में मृदा नमी आंकड़ों का उपयोग जल और ऊर्जा के संरक्षण, सतही और भूमिगत जल के प्रदूषण को कम करने तथा फसलों की इष्टतम पैदावार बनाए रखने में भी सहायक है। मृदा नमी को मापने की बहुत सारी विधियाँ व उपकरण उपलब्ध हैं जिनका चयन उपकरणों की लागत एवं उपयोगिता पर निर्भर करता है। इस प्रपत्र का मुख्य उद्देश्य मृदा नमी के मापन को विभिन्न कर सिंचाई के क्षेत्र में पानी की उपयोग दक्षता को सुधारने पर बल दिया गया है।

सिंचाई जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने के लिये मृदा नमी आकलन की तकनीकें (Techniques of soil moisture measurement for enhancing irrigation Water use efficiency)

सारांश

Abstract

प्रस्तावना

मृदा जल मापन

मृदा जल की मात्रा (Soil water content)

मृदा जल चूषण (Soil water potential/suction)

मृदा जल मापने की तकनीक

मात्रात्मक विधियाँ

भारात्मक विधि:
न्यूट्रॉन प्रकीर्णन विधि:
द्वि-विद्युत स्थिरांक विधि :
गुणात्मक विधियाँ:

विद्युत प्रतिरोधक ब्लॉक

टेन्सियोमीटर

सिंचाई की गहराई का आकलन

सारणी 1 विभिन्न मृदाओं के लिये सिंचाई की गहराई का विवरण

मृदा का प्रकार

सिंचाई जल (मिमी) प्रति मीटर गहराई (मृदा नमी की 50 प्रतिशत उपलब्धता पर)

रेतीली

25 से 50

रेतीली दोमट

45 से 80

मृत्तिका दोमट

80 से 120

मृत्तिका

100 से 140

मृदा जल माप का सिंचाई अनुसूची में उपयोग

सारणी 2 - मृदा जल की उपलब्धता के अनुसार मृदा तनाव रीडिंग

मृदा के प्रकार

क्षेत्रजल धारण क्षमता

मृदा चूषण मृदा नमी की उपयुक्त सीमा

सेन्टीबार 50 प्रतिशत मृदा नमी पर (सिंचाई आवश्यक)

रेतीली दोमट

10-15

30-50

45-60

दोमट/गाद दोमट

10-20

35-55

50-70

मृत्तिका दोमट/ मृत्तिका

15-20

40-60

60-100

निष्कर्ष

संदर्भ

सम्पर्क

जयवीर त्यागी, एस एल श्रीवास्तव एवं राजदेव सिंह, (Jaivir Tyagi, SL Srivastava & RD Singh)
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, (National Institute of Hydrology, Roorkee 247 667 (Uttarakhand))
भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका, 01 जून, 2012
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