मध्य प्रदेश में कुल सिंचित भूमि का केवल 18.5 प्रतिशत नहरों और तालाबों से सिंचित है, जबकि 65 प्रतिशत के लगभग खेती भूजल कोष्ठक कुएं एवं ट्यूबेल पर आधारित है। जिस तरह भू-जल निरंतर गहराई में उतरता जा रहा है। किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में खेत में तालाब बनाकर किसान अपनी जल जरूरतों की पूर्ति कर सकते हैं और भू-जल भरण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
अभी पिछले कुछ वर्षों में बारिश की बारिश की तीव्रता और बारिश का पैटर्न आसामान्य हो गया है। बारिश के दिन और अंतराल भी कम या अधिक होते जा रहे हैं। इस कारण भूजल रिचार्ज, नदियों के बहाव और जलाशयों में जल उपलब्धता में बहुत तेजी से बदलाव आया है और पानी के इन स्रोतों की विश्वसनीयता खतरे में आ चुकी है। इनकी निर्भरता पर भी प्रश्न चिन्ह लग चुका है। अब ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में धरती और बारिश के पानी के पहले संपर्क बिंदु अर्थात खेत से ही बारिश के इस पानी के प्रबंधन की शुरुआत करनी होगी। जो पानी आपके खेत में वर्षा के रूप में गिरता है। उसका लगभग 0.2 हिस्सा अर्थात 20 प्रतिशत बहाव के रूप में बहकर निकलता है।
इसका अर्थ यह है कि 80 प्रतिशत पानी धरती के अंदर जाकर भूमिगत जल स्रोतों को रिचार्ज करेगा। यह 80 प्रतिशत पानी भूमि के अंदर तो जाता है पर भूवैज्ञानिक बनावट यह तय करती है कि यह पानी भूमिगत भंडारों तक पहुंचेगा या नहीं। विशेषकर पश्चिमी उत्तर-पश्चिमी और दक्षिणी मध्य प्रदेश में भूवैज्ञानिक संरचना कुछ ऐसी है कि इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में यह पानी मिट्टी की सतह से नीचे ही नहीं पहुंच पाता। इस कारण या तो यह उपरी सतह से जमा हो जाता है या मिट्टी की सतह के नीचे ही बहते हुए पास के किसी नदी या नाले में पहुंच जाता और भूजल भंडार को कोई लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में वर्षाजल के इस वार्षिक उपहार का हम कोई उपयोग नहीं कर पाते और इसीलिए वर्षाजल के बह जाने या मिट्टी की परत में चले जाने के नुकसान को रोकने के लिए खेत-तालाबों के माध्यम से पानी का व्यवस्थित एकत्रीकरण और संग्रहण कारगर उपाय हो सकता है।
चूंकि खेत-तालाब का मूल उद्देश्य वर्षाजल को एकत्रित करना है। तालाब में आने वाले वर्षाजल के लिए पर्याप्त जलग्रहण क्षेत्र उपलब्ध होना चाहिए। जो तालाब की प्रस्तावित जल क्षमता के अनुरूप वर्षा जल का प्रवाह उपलब्ध करा सकें।
जलग्रहण क्षेत्र ऐसा होना चाहिए जहां अधिक मात्रा में मिट्टी बह कर आए और तालाब में गाद का निर्माण करे।
खेत-तालाब किसानों के लिए संकटमोचक सिद्ध हो सकते हैं।
खेत-तालाब के निर्माण स्थल के चयन के लिए आवश्यक मापदंड होने चाहिए। यदि उपयुक्त स्थल नहीं होगा तो खेत-तालाब सफल नहीं होगा। जिनके खेत में बनाया जाना है। उन कृषक सब भाइयों को यह पता होना चाहिए और उन्हें इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि उनकी जमीन का एक हिस्सा खेत-तालाब में उपयोग किया जाए।