बेकार कागज की रीसाइक्लिंग न की जाए तो जगह-जगह कागज के ढेर लग जाएँ, जिनसे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और प्रदूषण जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। कागज की रीसाइक्लिंग रद्दी कागज को नए कागज में बदलकर कई समस्याओं को दूर कर सकती है।
किसी जीव के समूचे पर्यावास में प्राकृतिक बल और वे अन्य जीवित वस्तुएँ शामिल होती हैं जो वृद्धि और विकास के साथ-साथ खतरे और क्षति की परिस्थितियाँ भी पैदा करती हैं। रीसाइक्लिंग अपशिष्ट पदार्थों को नई सामग्री या वस्तुओं में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है। यह पारम्परिक अपशिष्ट निपटान का एक विकल्प है जो विभिन्न पदार्थों को बचाकर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने में मदद कर सकता है। रीसाइक्लिंग पदार्थों की बर्बादी को रोक सकता है और नए कच्चे माल की खपत को कम कर सकता है। हम बात करेंगे उपयोग हुए कागज को नए रूप में ढालकर कागज को बचाने की।
यह प्रयोग हो चुके कागज को फिर से काम का कागज बनाने की पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रिया है। देश में रोजाना टनों कागज की खपत होती है और लेखन तथा मुद्रण के लिए उपयोग किए जाने के बाद इसे आमतौर पर बेकार सामग्री के रूप में फेंक दिया जाता है। रीसाइक्लिंग न की जाए तो यह कागज कचरे के बड़े ढेरों में बदलकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और प्रदूषण जैसी समस्याओं में योगदान देता है। कागज की रीसाइक्लिंग रद्दी कागज को नए कागज में बदलकर कई समस्याओं को दूर कर सकती है। पेड़ों को काटने से बचाने के अलावा भी ऐसा करने के कई महत्त्वपूर्ण लाभ हैं। इस प्रकार तैयार होने वाले कागज को लकड़ी के गूदे से बनने वाले नए कागज की तुलना में कम ऊर्जा और पानी की जरूरत होती है। ऐसा करने से बेकार कागज को गड्ढों में सड़ते हुए मीथेन पैदा से बचाया जा सकता है। अमरीका में अब सभी कागज उत्पादों का लगभग दो तिहाई नवीनीकृत अथवा रीसाइकिल होता है, हालांकि सारा नया कागज इसी से नहीं बनता।
रीसाइकल्ड कागज बनाने के कच्चे माल के रूप में उपयोग किए जा सकने वाले कागज की तीन श्रेणियाँ हैं, मिल ब्रोक (कागज मिलों की रद्दी तथा फटा बेकार कागज), अप्रयुक्त कागज अपशिष्ट और उपयोग के बाद का कचरा कागज। मिल ब्रोक इसमें कागज निर्माण के दौरान की जाने वाली कटाई-छंटाई से बचे कागज और किसी अन्य खराबी वाले कागज को मिल में रीसाइकिल किया जाता है। अप्रयुक्त कागज अपशिष्ट ऐसी सामग्री को कहते हैं जो कागज से उपभोक्ता तक पहुँचने के लिए निकलता तो है लेकिन उपयोग के लिए तैयार होने से पहले छोड़ या छांट दिया गया होता है। उपभोग के बाद निकलने वाली अपशिष्ट सामग्री-जैसे पुराने गत्ते के डिब्बे, पुरानी पत्रिकाएँ और समाचार पत्र आदि तीसरी श्रेणी है। रीसाइकिल के लिए उपयुक्त कागज को स्क्रैप पेपर कहा जाता है, जिसका उपयोग अक्सर लुगदी से ढाली गई पैकेजिंग सामग्री बनने के लिए किया जाता है। स्याहीमुक्त लुगदी बनाने के लिए रीसाइकल्ड कागज के रेशों से छपाई में प्रयुक्त स्याही हटाने की औद्योगिक प्रक्रिया को डी-इंकिंग कहा जाता है, जिसका आविष्कार जर्मन न्यायविद् जस्टिस क्लैप्रोथ ने किया था।
बेकार कागज की रिसाइक्लिंग की प्रक्रिया में अक्सर पुराने कागज को तोड़ने के लिए पानी और रसायन मिलाए जाते हैं। फिर इसे काटा और गरम किया जाता है जिससे यह सेल्यूलोज में बदल जाता है। इससे मिलने वाले मिश्रण को लुगदी या घोल कहा जाता है। इस स्तर पर गोंद अथवा प्लास्टिक तथा अन्य अशुद्धियाँ दूर करने के लिए इसे छाना जाता है। फिर साफ करके डी-इंकिंग, ब्लीच और पानी में मिलाने की प्रक्रियाएँ की जाती है। इस प्रकार तैयार साफ लुगदी से नया रीसाइकल्ड कागज बनाया जा सकता है। रद्दी कागज में स्याही का हिस्सा कुल वजन का लगभग 2 प्रतिशत होता है।
कागज की रीसाइक्लिंग प्रक्रिया को अच्छे से समझने के लिए पहले यह जानना आवश्यक है कि कागज कैसे बनता है। इसके पहले कुछ तथ्यों पर नजर डाले :
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