लेख

भूगोलीय सूचना तंत्र तथा जल-विज्ञान में उसकी उपयोगिता

Author : अनिल कुमार लोहनी, राहुल जैसवाल, राजेश कुमा पॅवार

“भूगोलीय सूचना तंत्र” संगणक आधारित औजारों एवं विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किए गए आकाशीय आंकड़ों के समाकलन हेतु उपयोग की गई विधियों का ऐसा संयोजन है जिससे इन आंकड़ों का विश्लेषण, प्रतिरूपण एवं प्रदर्शन किया जा सकता है। विभिन्न डाईवर्स स्रोतों जैसेः जनगणना, सरकारी विभाग, भू-आकृतीय मानचित्रों एवं वायव फोटो से प्राप्त आंकड़ों को भूगोलीय सूचना तंत्र में उपयोग किया जा सकता है। इसके साथ-साथ बड़े पैमाने पर अंकित ग्रामीण ‘भू-सम्पत्ति मानचित्रों’ एवं सुदूर संवेदन आंकड़ों से प्राप्त आंकड़ों को भी उसी भूगोलीय सूचना तंत्र में एकत्रित किया जा सकता है। जैसा कि सर्वविदित है कि जल विज्ञान से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र जैसे सतही जल विज्ञान, भू-जल विज्ञान, जल गुणता, “जल विभाजक प्रबंधन”, हिमजल विज्ञान आदि सभी विषयों में बहुत बड़ी मात्रा में आकाशीय आंकड़ों का उपयोग किया जाता है। इसके साथ-साथ प्रत्येक प्रबंधन में भिन्न-भिन्न व्यवरोध भी होते हैं। अतः अध्ययन एवं प्रबंधन की प्रचलित तकनीकों में बहुत समय लगता है परन्तु भूगोलीय सूचना तंत्र के विशिष्ठ प्रकार के अभिकल्प एवं संगणक आधारित होने के कारण इसकी गति, परिशुद्धता, अविरोध एवं अभिकलन त्रुटि की अनुपस्थिति के कारण जल-विज्ञान से संबंधित अध्ययनों मे यह बहुत प्रभावशाली सिद्ध हुआ है।

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