मध्यप्रदेश के धार जिले में अब रासायनिक खेती के खिलाफ़ गाँव-गाँव में लोग लामबंद हो रहे हैं। यहाँ केंचुओं के ज़रिए जैविक खेती के लिए बड़े पैमाने पर पहल की गई है। हैं। जिले में रबी और खरीफ फसलों में क़रीब 297 करोड़ के रासायनिक खाद की खपत होती है। मकसद है कि 10 फीसदी तक इस बिक्री को घटाया जा सके। किसानों ने ठान लिया है कि वे पंजाब की तरह ज़हरीले रसायनों की खेती से गंभीर बीमारियों के प्रकोप से अपने इलाके को बचाएँगे।
गाँवों में किसान वर्मी कम्पोस्ट यानी केंचुए और गोबर से खाद बना रहे हैं। यह खेती में अमृत का काम कर रहा है और किसानों के लिए बेहतर आजीविका का ज़रिया भी बन रहा है। यहाँ एक हजार से ज़्यादा वर्मी कम्पोस्ट पिट बन चुके हैं और एक हजार महिलाओं समेत ढाई हजार लोग काम में जुटे हुए हैं। खाद की कीमत भी बेहद किफायती है। 40 रुपए का पाँच किलो और 350 रुपए में 50 किलो। इसकी खरीदी-बिक्री के लिए हर जनपद पंचायत स्तर पर केन्द्र खोले जा चुके हैं। वर्मी समिति घर पहुँच खाद खरीद कर हितग्राहियों के खातों में पैसा ट्रांसफर करती है। यहाँ वर्मी वाश भी बन रहा है जो फसलों में जैविक पेस्टिसाइड की तरह इस्तेमाल होता है। किसान बताते हैं कि इससे खेती की लागत में कमी के साथ उनके खेतों की मिट्टी उपजाऊ बनने से फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है।
वर्मी कम्पोस्ट पर यह फिल्म मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित प्रोडक्शन हाउस ‘द टेलीप्रिंटर’ ने तैयार की है। ‘द टेलीप्रिंटर’ सरकारी एंव ग़ैर सरकारी संगठनों के लिए किफ़ायती दाम पर बेहतर गुणवत्ता वाली शॉर्ट फ़िल्म और डॉक्यूमेंट्री तैयार करता है। आप इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं- 9425049501