आज से पच्चीस साल पहले बहुत-से ओरण जो उस समय के लोकप्रिय माने गये, 'बीस सूत्री कार्यक्रम' के कारण नष्ट हो गये। किसी भी राज्य में इस समृद्ध वन क्षेत्र की गिनती वन विभाग की भूमि के अंतर्गत नहीं की जा सकी थी। बहुत हुआ तो इन्हें राजस्व का एक ऐसा हिस्सा, जिसे जिले के अधिकारी गांव से बिना पूछे हुए किसी भी काम में झोंक सकते हैं, दो कौड़ी के वोट के लिये बांट सकते हैं।