लेख

जैव विविधता प्रबंधन

Author : सुकन्या दत्ता

इस बात से शायद ही कोई इन्कार करेगा कि जैव विविधता का सरंक्षण आज के समय की मांग है। पर इस बात पर कोई एकमत नहीं है कि इसे कैसे किया जाए।

मूल रूप से संरक्षण क्रियाएं दो प्रकार की हो सकती हैं - ‘इन-सीटू’ एवं ‘एक्स-सीटू’ संरक्षण। इन-सीटू से तात्पर्य है, ”इसके वास्तविक स्थान पर या इसके उत्पत्ति के स्थान तक सीमित।“ इन-सीटू संरक्षण का एक उदाहरण आरक्षित या सुरक्षित क्षेत्रों का गठन करना है। एक्स-सीटू संरक्षण की कोशिश का उदाहरण एक जर्मप्लाज्म बैंक या बीज बैंक की स्थापना करना है।

संरक्षण योजना की दृष्टि से इन-सीटू संरक्षण प्रयासों को बेहतर माना जाता है। परन्तु कई बार इस प्रकार का संरक्षण कार्य किया जाना संभव नहीं होता है। उदाहरण के लिए यदि किसी प्रजाति का प्राकृतिक आवास पूरी तरह नष्ट हो गया हो तो एक्स-सीटू संरक्षण प्रयास, जैसे एक प्रजनन चिडि़याघर का गठन, अधिक आसान होगा। वास्तव में एक्स-सीटू संरक्षण इन-सीटू संरक्षण को सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।

तो, क्या सब कुछ समाप्त हो चुका है? या हमारे पास अभी भी जैव विविधता को बनाए रखने के लिए एक मौका बाकी है। इस विषय की शुरूआत करने के लिए इस दिशा में इन्सानी कोशिशों को देखना बेहतर होगा।

जैव संरक्षण में परम्पराओं भूमिका

पवित्र प्रजातियां

गणचिह्न प्रजातियां

पवित्र क्षेत्र

पवित्र उपवन

सांस्कृतिक मानदण्डों का स्थायित्व

वर्तमान चुनौतियों के साथ संरक्षण के प्रयास

जीवमण्डल आरक्षित क्षेत्र

भारत और जैव विविधता

भारत में जीवमण्डल रिजर्व की सूची

क्र. सं.

नाम

स्थापना दिनांक

क्षेत्रफल (वर्ग कि.मी. में)

स्थिति

1

अचानकामर - अमरकंटक 2005 3835.51 (अभ्यन्तर 551.55 एवं मध्यवर्ती 3283.86)

म.प्र. के अनूपुर और डिंडोरी जिलों और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कुछ भागों को मिलाकर बना है।

2

अगस्त्यमलाई 12.11.2001 1701

केरल की नेय्यार, पेप्पारा और शेन्डर्नी वन्यजीव अभ्यारण्य और उनके आसपास का क्षेत्र।

3

देहांग-दिबांग 02.09.1998 5111.50 (अभ्यन्तर 4094.80 एवं मध्यवर्ती 1016.70)

अरूणाचल प्रदेश की सियांग और दिबांग घाटियों का भाग।

4

डिब्रू-साइखोवा 28.07.1997 765 (अभ्यन्तर 340 एवं मध्यवर्ती 425) डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों (असम) के कुछ हिस्से।

5

ग्रेट निकोबार 06.01.1989

885 (अभ्यन्तर 705 एवं मध्यवर्ती 180)

अण्डमान एवं निकोबार के सबसे दक्षिणी द्वीप।

6

मन्नार की खाड़ी 18.02.1989 10500-खाड़ी का कुल क्षेत्र (द्वीपों का क्षेत्रफल 5.55)

भारत और श्रीलंका के मध्य मन्नार की खाड़ी का भारतीय हिस्सा (तमिलनाडु)।

7

कंचनजंघा 07.02.2000 2619.92 (अभ्यन्तर 1819.34 एवं मध्यवर्ती 835.92) कंचनजंघा पहाड़ों और सिक्किम के भाग।

8

मनास 14.03.1989 2837 (अभ्यन्तर 391 एवं मध्यवर्ती 2446)

कोकराझार, बोंगईगांव, बारपेटा, नलबरी, काम्परूप और दरांग जिलों (असम) के भाग।

9

नन्दा देवी 18.01.1988 5860.69 (अभ्यन्तर 712.12 एवं मध्यवर्ती 5148.570 तथा परिवर्ती 546.34)

उत्तरांचल के चमोली, पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर जिलों के हिस्से।

10

नीलगिरी 01.09.1986 5520 (अभ्यन्तर 1240 एवं मध्यवर्ती 4280)

वायानाड, नागरहोल, बान्दीपुर एवं मधुमलाई, नीलाम्बर, साइलेन्ट घाटी तथा सिरूवनी पहाड़ (तमिल नाडु, केरल एवं कर्नाटक)

11

नोकरेक 01.09.1988

82 (अभ्यन्तर 47.48 एवं मध्यवर्ती 34.52)

मेघालय के गारो पहाड़ों के भाग।

12

पचमढ़ी 03.03.1999 4926 मध्य प्रदेश के बैतूल, होशंगाबाद एवं छिन्दवाड़ा जिलों के भाग।

13

सिमलीपाल 21.06.1994

4374 (अभ्यन्तर 845 एवं मध्यवर्ती 2129 और परिवर्ती 1400)

उड़ीसा के मयूरगंज जिले का हिस्सा।

14

सुन्दरवन 29.3.1989 9630 (अभ्यन्तर 1700 एवं मध्यवर्ती 7900) गंगा और ब्रह्मपुत्रा नदी तंत्रों के डेल्टा का भाग। (पश्चिम बंगाल)।

इसकी निम्न प्रमुख विशेषताएं हैं:

वास्तविक अभिलेख

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