भारत में ज्यादातर कृषि-भूमि वर्षा पर निर्भर करती है। यह वर्षा मानसून के महीनों में ही प्राप्त होती है। यदि इस मौसम में प्राप्त अत्यधिक जल का संरक्षण तथा नियंत्रण किया जा सके तो क्षेत्र की कई समस्यायें जैसे कि तलछट हानि, सूक्ष्म जलवायु आदि के सुधार में लाभकारी सिद्ध होगा। इस प्रपत्र में पंजाब के होशियारपुर जिले में बलोवल सोंखरी क्षेत्र के लिये सस्य कर्तन संरचना की योजना का वस्तुस्थिति अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन में प्रयोग आने वाली विभिन्न संबंधित परिभाषाओं का भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। प्राप्त परिणाम बहुत ही आशाजनक है तथा यह संकेत देते हैं कि यदि जलाशय में एकत्रित जल को छोटी-छोटी नालिकाओं द्वारा खेतों में ले जाया जाये तो इस क्षेत्र कि अपरदन समस्या कम होगी पुनः पूरण में वृद्धि तथा अधिक उपजता प्राप्त होगी।
भारत में कृष्य भूमि का लगभग 25 प्रतिशत भाग ही सिंचित है, शेष अन्य प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर करता है। पंचवर्षीय योजनाओं में सिंचाई को सबसे अधिक महत्वता प्रदान की गई है तथा यह अनुमान किया जा रहा है कि कुल कृष्य भूमि का लगभग 50 प्रतिशत सींचित हो जायेगा (स्वामीनाथन, 1979) इसके बावजूद कृष्य भूमि को प्राकृतिक वर्षा पर निर्भर रहना पड़ेगा। इसलिये मानसून से प्राप्त अत्यधिक जल के संरक्षण, नियंत्रण तथा अधिकतम प्रयोग के प्रयास किये जाने चाहिये ताकि अन्य ऋतुओं में उसी जलविभाजक में आधिक्य जल से सस्य कर्तन किया जा सकता है। यह मानसून के महीनों में बाढ़ गति की भी रोकथाम करेगा, जलग्रहण क्षेत्र में तलछट हानि तथा जलविभाजक में सूक्ष्म जलवायु में सुधार होगा।
मनोनित प्रोजेक्ट का क्षेत्र, पंजाब के पूर्वी भाग में होशियारपुर जिलें में स्थित है यह क्षेत्र शिवालिक पहाड़ियों के गिरिपाढ़ में है तथा इसका जलदायी स्तर गहरा एवं स्थलाकृति तरंगित है। यह नलकूप तथा नहरी सिंचाई प्रणाली के लिये रोधक का कार्य करता है। वर्षा ऋतु में जल के तेज बहाव से अवनालिका बनती है तथा अत्यधिक मृदा अपरदन से उस क्षेत्र कि उर्वरता प्रभावित होती है। इस क्षेत्र में सीमित सिंचाई हेतु तथा इसके प्रबंधन के लिये सबसे उचित रास्ता छोटी संचयन संरचना द्वारा ही है। इन संचयन स्थानों में मानसून के अत्यधिक बहाव को एकत्रित किया जा सकता है, जिसका कि समय आने पर प्रयोग हो सके। इन्हीं कारकों को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ होशियारपुर जिले के बलोवल सोंखरी, बलाचौढ़ के कांडी क्षेत्र के लिये जल सस्य कर्तन संरचना कि योजना की गई ।
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