लेख

कालीबेई संत का सत्कर्मण

Author : अरुण तिवारी

2003 में कालीबेई की दुर्दशा ने संत की शक्ति को गुरु वचन पूरा करने की ओर मोड़ दिया-पवन गुरु, पानी पिता, माता धरती मात। कहते हैं कि कीचड़ में घुसोगे तो मलीन ही होओगे। सींचवाल भी कीचड़ में घुसे लेकिन मलीन नहीं हुए। उसे ही निर्मल कर दिया। यही असली संत स्वभाव है। संत ने खुद शुरुआत की। समाज को कारसेवा का करिश्मा समझाया। कालीबेई से सिख इतिहास का रिश्ता बताया।

नसीहत

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