देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर जहाँ प्रदूषण की मार से बेहाल है, वहीं 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर घोषित किए गए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की आबोहवा बदल चुकी है। बीते सात वर्षों में यहाँ जो प्रयास हुए वे बाकी देश के लिए मॉडल बन सकता है। पत्रिका पड़ताल में सामने आया कि यह प्रयास न सिर्फ राज्य सरकार, शासन-प्रशासन, नगर निगम ने किए बल्कि जनता ने भी बखूबी साथ दिया। सरकार ने उद्योगों पर लागम कसी। निर्माण के दौरान ग्रीन नेट जरूरी किया गया। कचरा जलाने को अपराध बनाया गया। बीते दो वर्षों से एक दिसम्बर से 30 जनवरी के बीच पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध है। ईंट भट्टों और कचरा डपिंग यार्ड को शहर से बाहर किया गया। पूरे शहर में लाखों पौधे रोपे गए। आखिरकार कोशिशे रंग लाई।
शहर से लगे औद्योगिक क्षेत्र उरला, सांकरा, गोगाँव, सोनडोगरी सिलतरा, मंदिर हसौद है। एक समय वह भी था कि जब मकानों की छत पर उद्योगों के धुँए की काली परत जम जाया करती थीं। मगर अब स्थिति पलट गई है।