नदियों को बचाने के लिए पिछले कई सालो से विरासत स्वराज यात्रा मातृसदन धरातल पर काम कर रही है और उत्तर भारत में सभी नदियों के पुनर्जीवन और उनकी स्वच्छता पर ध्यान दे रही है हाल ही में इस संसथान ने गंगा और उनके अलावा और नदियों को साफ़ और स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया जिसके लिए गंगा धर्म संसद का भी पुनर्गठन किया गया । 24 दिसंम्बर 2021 को हरिद्वार में गंगा चिंतन-मंथन शिविर का आयोजन किया और सभी लोगो ने अपने विचार रखे जिसमें रिटायर्ड फौजियों ने गंगा संकट पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, समाज की स्थिति देखकर उन्हें दुख होता है कि, किस तरीके से हमारी प्रकृति का सर्वनाश किया जा रहा है।
बैठक में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, सब जानते है कि, गंगा नदी दुनिया की दूसरी नदियों से अलग विशिष्टताओं वाली नदी है आधुनिक भारत में गंगा पर सैकड़ो शोध हो चुके हैं जो गंगा की विशिष्टता सिद्ध करते हैं, जैसे कानपुर से 20 किलोमीटर ऊपर बिठूर से लिये गंगाजल में कॉलिफोर्म नष्ट करने की विलक्षण शक्ति मौजूद है, जो कानपुर के जल आपूर्ति कुएं में आधी रह जाती है, और यहां के भूजल में यह शक्ति शून्य हो जाती है।यह गंगा जल में मौजूद सूक्ष्मकणों (बायोफ़ाज्म) के कारण हैं वहीँ हरिद्वार के गंगा जल में बीओडी को नष्ट करने की अत्याधिक क्षमता है। इसका क्षय करने वाले तत्वों का सामान्य जल से 16 गुना अधिक है और यह संभव है हिमालय की वनस्पति से आये अंशो के कारण है भागीरथी की जल में धातुओ के एक विशिष्ठ मिश्रण से शक्ति का पता चला है। ऐसा मिश्रण संसार में अभी तक कहीं न पाया गया है
2017 में गंगा के डीएनए विश्लेषण से पता चला है की गंगा गाद में बीसों रोगों के रोगाणुओ को नष्ट करने की सक्षम शक्ति है। इसमें 18 रोगाणु की प्रजातियां जिनमे टीबी, हैजा,पेट की बहुत सी बीमारियां और टाइफाइड शामिल है। लेकिन आज मां गंगा जी को बांधो से बांध दिया गया। गंगा जी पर अतिक्रमण, शोषण, प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है ,सभी गंगा प्रेमियों ने गंगा धर्म संसद का गठन किया गया। जिसमें जलपुरुष जी ने 2 सदस्यीय चुनाव कमेटी का गठन किया। जिसमें हरियाणा से श्री विर्क जी और उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से संजय राणा जी को चुनाव कमेटी के मेंबर नियुक्त किया ,और सर्वसम्मति से स्वामी श्री शिवानंद सरस्वती जी को धर्म संसद का अध्यक्ष बनाया गया। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए केवल एक संसद नहीं बल्कि सब नदियों की अलग-अलग संसद बनाने की जरूरत है|
बैठक में मौजूद बुद्धिजीवियों ने कहा की ,वर्तमान में नदियों पर संकट है अतिक्रमण प्रदूषण और खनन से जल से शोषण हो रहा है, दुनिया की नदियां मर रही हैं। भारत की नदियां नाले बन गए हैं, और आधे से ज्यादा मर गई है या सूखती जा रही है। आज के लालची विकास, कमर्शियल वक्ताओं ने सरकार की नगर पालिका और पंचायतों ने नदियों को मैला ढोने वाली मालगाड़ी बना दिया जल पुरुष ने कहा की नदियों के शोषण, अतिक्रमण और प्रदूषण से बचाने के लिए भारत की नदियों को एक संसद की जरूरत है।