‘ओरण’ की परम्परा के सम्बन्ध में मान्यता यह है कि गाँव की भूमि का एक भूखंड अपने लोकदेव के प्रति अपार श्रद्धा के रूप में लोक कल्याण हेतु छोड़ने से उनके प्रति ‘उऋण’ हुआ जा सकता है और इसी कारण यह भूखंड ‘ओरण’ कहलाता है। मरुक्षेत्र में इन ‘ओरणों’ का पारिस्थितिकी तन्त्र से कितना निकट सम्बन्ध है, इसकी लेख में रोचक चर्चा है।