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पानी के लिए अब जरधोबा में नहीं होती लड़ाइयां : पहले था पानी के लिए हाहाकार, अब हर घर में साफ पानी

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से सटे जरधोबा गांव एक साल पहले तक जल संकट से जुझ रहा था। गर्मी के दिनों में पानी को लेकर यहां मारपीट हो जाती थी। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफ.आई.आर. तक करा दी थी। ऐसे में पानी को लेकर गांव में तनाव बना रहता था। लेकिन पिछले साल जब हर घर नल कनेक्शन के लिए जल जीवन मिशन के तहत नल जल योजना पर काम शुरू किया गया, तब यह उम्मीद जगी कि भविष्य में पानी को लेकर गांव में लड़ाइयां नहीं होगी। आखिरकार यह योजना क्रियान्वित हो गई और अब हर घर में साफ पानी मिलने लगा है।

Author : राजु कुमार

मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से सटे जरधोबा गांव एक साल पहले तक जल संकट से जुझ रहा था। गर्मी के दिनों में पानी को लेकर यहां मारपीट हो जाती थी। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफ.आई.आर. तक करा दी थी। ऐसे में पानी को लेकर गांव में तनाव बना रहता था। लेकिन पिछले साल जब हर घर नल कनेक्शन के लिए जल जीवन मिशन के तहत नल जल योजना पर काम शुरू किया गया, तब यह उम्मीद जगी कि भविष्य में पानी को लेकर गांव में लड़ाइयां नहीं होगी। आखिरकार यह योजना क्रियान्वित हो गई और अब हर घर में साफ पानी मिलने लगा है।

पन्ना जिला मुख्यालय से जरधोबा ग्राम पंचायत लगभग 20 किलोमीटर दूर है। गांव में आदिवासी परिवारों की संख्या ज्यादा है। ग्रामीण मुख्य रूप से खेती, मजदूरी एवं वनोपज संग्रह पर आश्रित हैं। गांव कई मोहल्लो में विभाजित है। पहले पानी के लिए ग्रामीण कुएं, तालाब और हैंडपंप पर आश्रित थे। लेकिन इनमें से अधिकांश सूख गए हैं। कई के पानी पीने लायक नहीं है। ऐसे में गांव की महिलाओं के लिए पेयजल का इंतजाम करना चुनौतीपूर्ण काम था। कुओं एवं हैंडपंप पर पानी के लिए घंटों खड़ा रहना पड़ता था। हैंडपंप पर पानी भरने को लेकर लड़ाइयां हो जाती थीं।

पूर्व सरपंच मेघन सिंह बताते हैं, ‘‘पहले गांव में पेयजल के लिए अधिकांश परिवार हैंडपंप पर आश्रित था। कुछ लोग पहले से ही बड़ी संख्या में पानी भरने के डब्बे लाइन में रख देते थे। ऐसे में उन परिवारों को बड़ी समस्या होती थी, जिन्हें कुछ डब्बे ही पानी भरने होते थे। कुछ डब्बे पानी के लिए उन्हें घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता था। अक्सर इसे लेकर लड़ाइयां होती थीं। कुछ मामले इतने बढ़ गए कि थाना में उनकी एफ.आई.आर. तक हो गई। इस तरह के मनमुटाव से पूरा गांव परेशान था। अब हर घर में नल कनेक्शन हो जाने से गांव की बड़ी समस्या का समाधान हो गया है।’’

गांव की आदिवासी महिला बेलावती राजगोंड का कहना है, ‘‘साल भर से हमें पानी के लिए परेशान नहीं होना पड़ता। सभी परिवारों को पानी मिल जाता है। कुछ छोटे परिवार वाले अपने नल से बड़े परिवार वालों को पानी दे देते हैं। इससे किसी को भी पानी की समस्या नहीं होती है।’’ वह बताती हैं कि एक दिन बिजली नहीं रहने से पानी की सप्लाई नहीं हो पाई थी, तो उन्हें आधा किलोमीटर दूर खेत के कुएं से पानी लाना पड़ा था। उस दिन वे घर के दूसरे काम नहीं कर पाई थीं। सीता बाई यादव ने बताया कि घर में पानी आने से बड़ी समस्या का समाधान हो गया है। उनके देवर का परिवार भी उन्हीं के घर में संयुक्त रूप से रहता है, इसलिए उन्होंने दो परिवार के लिए दो कनेक्शन लिया है और दोनों परिवार जल टैक्स देते हैं।

गांव की ही देविका राजगोंड अब बी.ए. अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। वे अपने बचपन को याद करते हुए बताती हैं, ‘‘मैं स्कूल जाने से पहले मां के साथ पानी लाने जाती थी और स्कूल से आने के बाद भी। रात को बिजली नहीं रहती थी। ऐसे में पढ़ने का समय कम मिल पाता था। आज गांव में हर घर में पानी आ जाने से गांव की किशोरियों को पढ़ने और खेलने का समय मिल जाता है।’’

समर्थन के क्षेत्रीय समन्वयक ज्ञानेन्द्र तिवारी ने बताया, ‘‘जरधोबा की स्थिति बहुत ही खराब थी। जल जीवन मिशन से यहां काम पूरा होने के पहले ही ठेकेदार ने कार्यपूर्णता का प्रमाण पंचायत से ले लिया और इसे हैंडओवर कर दिया। अधूरे कामों की वजह से समस्या का समाधान नहीं हो पाया। समुदाय को साथ लेकर संस्था ने पी.एच.ई. और पंचायत के साथ मिलकर उस काम को पूरा करवाया। इस योजना के संचालन के लिए ग्राम सभा के माध्यम से ग्राम जल स्वच्छता समिति का गठन किया गया और उसे जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद हर घर में पेयजल देने की व्यवस्था हो पाई।’’

गांव के जल मित्र प्रीतम विश्वकर्मा ने बताया कि गांव में एक साल से पानी की सप्लाई की जा रही है। धीरे-धीरे विभिन्न समस्याओं का समाधान भी किया जा रहा है। हर मोहल्ले में प्रेशर से पानी जा सके, इसके लिए 6 वाल्व लगाए गए हैं। एक बार में एक ही वाल्व खोला जाता है। गांव में किचेन गार्डन को बढ़ावा दिया गया है। कई लोगों ने इसे अपनाया है, जिसमें ग्रे वाटर का उपयोग हो जाता है। पानी की टंकी वाले परिसर में सब्जियां लगाई गई हैं।

वालंटियर के रूप में काम कर रहे मुन्नीलाल विश्वकर्मा ने बताया कि गांव के बाहर बसे नए मोहल्ले में टंकी की पानी की सप्लाई नहीं हो पाती है। वहां एक बोरिंग के माध्यम से घरों तक नल पहुंचाया जाता है। वहां के बोर में थोड़ी समस्या है, जिसकी वजह से उसका पानी उस मोहल्ले के ग्रामीण नहीं पीते हैं। इसलिए कोशिश है कि गांव के टंकी से बड़ी पाइप बिछाकर वहां भी टंकी के माध्यम से ही पानी की सप्लाई हो सके। इसके लिए ग्रामीण पी.एच.ई. और पंचायत से बात कर रहे हैं।

मेघन सिंह इस बात को लेकर नाराजगी दिखाते हैं कि महज 60 रुपए जल टैक्स देने में गांव के कुछ लोग आनाकानी करते हैं, जबकि वे संपन्न परिवार हैं। गांव में पानी को लेकर आगे कोई समस्या नहीं आए, इसके लिए सभी को एकजुटता से निर्णयों का पालन करना चाहिए। हर घर में नल ने जरधोबा की एक बड़ी समस्या का समाधान तो किया है, लेकिन समग्र स्वच्छता एवं ग्रे वाटर प्रबंधन की दिशा में समुदाय की सक्रियता बहुत जरूरी है। गांव को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए पुराने कुओं की सफाई और सूखे एवं गीले कचरे का प्रबंधन की दिशा में काम करने की जरूरत है।

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