हाथीपावा पहाड़ी पर श्रमदान करते आदिवासी 
लेख

पानी को समर्पित शिवजी का हलमा

Author : भारतीय पक्ष टीम

28 फरवरी, 2012 को शिवगंगा द्वारा आयोजित शिवजी का हलमा कार्यक्रम के दौरान हजारों शिव साधक वनवासियों ने झाबुआ स्थित हाथीपावा की पहाड़ी पर श्रम की गंगा बहा कर महज चार घंटे में करीब तीन हजार रनिंग वाटर कंटूर और दो छोटी तलैयों का निर्माण किया। इससे वर्षा के दौरान पानी इन जल संरचनाओं में संग्रहित होकर जमीन में उतरेगा। धरती की प्यास इससे बुझेगी, तो गांव और शहर के सभी लोगों को लाभ मिलेगा।ज्ञात हो कि हलमा एक आदिवासी परंपरा है, जिसमें किसी व्यक्ति को जरूरत के समय गांव के सभी लोग सामूहिक रूप से सहयोग देते हैं। शिवगंगा के संचालक महेश शर्मा ने हलमा नामक इस प्राचीन आदिवासी परंपरा को एक आधुनिक संदर्भ दिया और झाबुआ की जल समस्या को दूर करने के लिए इसका सहारा लिया। संस्कृति के प्रति श्रद्धा और वर्तमान के प्रति सावधानी के चलते उनका यह कार्यक्रय देश-विदेश में चर्चा का विषय बन गया है।

27 फरवरी, 2012 को ही श्रमदान में भाग लेने के लिए लोग कालेज मैदान में इकट्ठा हो गए थे। यहां से शाम चार बजे लोगों ने गैंती यात्रा शुरू की। इसमें पुरुष कंधे पर गैंती उठाए चल रहे थे, तो महिलाओं के सिर पर तगारी थी। ढोल-मांदल की थाप और आदिवासी भजनों की स्वर लहरियां माहौल में उत्साह घोल रही थीं। यात्रा आजाद चौक, थांदल गेट, बस स्टैंड और सज्जन रोड होती हुई उसी स्थान पर जा पहुंची, जहां से शुरू हुई थी। इसके बाद लक्ष्मी नगर कालोनी में धर्मसभा का आयोजन किया गया, जिसमें शिवगंगा प्रमुख महेश शर्मा ने लोगों को गैंती यात्रा का उद्देश्य बताया।

हाथीपावा पहाड़ी पर रनिंग वॉटर कंटूर बनाते आदिवासी

पानी सहेजने का अद्भूत कार्य करते आदिवासी

शिवगंगा द्वारा आयोजित शिवजी का हलमा कार्यक्रम के दौरान सामूहिक श्रम करते आदिवासी

आदिवासियों की इस मेहनत से हाथीपावा पहाड़ी पर तीन हजार रनिंग वॉटर कंटूर और दो छोटी तलौयों का निर्माण हुआ

हाथीपावा पहाड़ी पर पानी सहेजने का सामूहिक श्रम करते आदिवासी

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