लेख

शिप्रा पर एक पर्यावरणीय चिन्तन

कृपाशंकर व्यास

भौतिक विकास की अंधी दौड़ से न केवल भारत का वरन् सम्पूर्ण विश्व का पर्यावरण आज असंतुलित हो रहा है। भौतिक विकास की अदम्य लालसा ने व्यक्ति को अत्यधिक स्वार्थी एवं विवेकशून्य बना दिया है। भौतिक सुख की वेदी पर आज व्यक्ति अपने भविष्य की आहुति खुशी-खुशी दे रहा है। यह है व्यक्ति की विवेक शून्यता की उच्चावस्था। व्यक्ति को आज चिन्ता है केवल स्वार्थ पूर्ति की-उसका सिद्धान्त बन गया है – “यावत् जीवेत् सुखं जीवेत्”। इस हेतु, वह मान्य, अमान्य सभी कार्य करने को सदैव तत्पर रहता है। आज वह उत्तरदायी है-केवल अपने स्वार्थ के प्रति। समाज की भावी पीढ़ी के प्रति उत्तरदायी होना उसकी दृष्टी में मूर्खता है। इसी मनोभावना का प्रतिफल है कि वह प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का दोहन व शोषण निर्ममता से करने में सदा अग्रणी बनने की चेष्टा कर रहा है। परिणाम प्रत्यक्ष है- पर्यावरण असंतुलन व जल प्रदूषण।

व्यक्ति की निर्मम स्वार्थ भावना से शिप्रा व उसका परिक्षेत्र भी मुक्त नहीं है। आज सम्पूर्ण परिक्षेत्र व्यक्ति की इसी भावना से आक्रान्त एवं आहत है। फलस्वरूप परिक्षेत्र का पर्यावरण असंतुलित हो गया है और हो गयी है शिप्रा प्रदूषित। व्यक्ति की इन स्वार्थ प्रेरित चेष्टाओं से परिक्षेत्र मुक्त होकर हरीतिमामय कैसे बने और परिक्षेत्र में प्रवाहित शिप्रा का जल पुनः निर्मल व पुण्यदायी कैसे हो जाये- यही यहां चिन्तन का विषयवस्तु है।

यह अध्याय विषय की दृष्टि से तीन खण्डों में विभाजित है। प्रथम खण्ड है परिक्षेत्र का पर्यावरणीय चिन्तन. द्वितीय खण्ड है शिप्रा का स्वरूप एवं उसका प्रदूषण और अंत में निष्कर्ष।

पर्यावरणीय चिन्तन :-

“पग पग रोटी, डग डग नीर” ।
“भौतिक-विकास क्षेत्र की सभ्यता और पर्यावरण की कीमत पर नहीं होना चाहिए। विकास कार्यक्रम जीवन के परम्परागत तौर तरीकों का नुकसान किये बिना लोगों को लाभ पहुँचाएं और वास्तव में उनके जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हो-यही विकास का यथार्थ स्वरूप है।
“सावन के सेरे और भादों में गेरे”
“चिपको आन्दोलन”
“उगता हुआ पेड़ राष्ट्र का प्रतीक है। वन राष्ट्र की महत्वपूर्ण सम्पदा है। इसकी सुरक्षा एवं समुचित उपयोग किसी भी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिये आवश्यक है। कारण कि मानव अस्तित्व ही पेड़ पर निर्भर है।”
“जल-अकाल”
“कुछ वर्षों पहिले नदी में गर्मी के समय हाथी डूबन पानी रहता था अब कुत्ता चाटन पानी नहीं रहता है।”
“शिप्रा नर्मदा लिंक”
“नेशनल ग्रिड योजना”
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