लेख

संसाधन आधार - ऊर्जा संसाधन, खनिज संसाधन, वन संसाधन एवं कृषि उत्पाद

Author : छत्तीसगढ़ प्रदेश में औद्योगिक विकास और उसका पर्यावरण पर प्रभाव (पुस्तक), 2002

ऊर्जा संसाधन -

1. कोयला :

संसाधन आधार - छत्तीसगढ़ प्रदेश में औद्योगिक विकास और उसका पर्यावरण पर प्रभाव

1.

ऊर्जा संसाधन - कोयला

2.

खनिज संसाधन - लौह अयस्क, चूना पत्थर, बॉक्साइट, डोलोमाइट, क्वार्टजाइट, क्वार्ट्ज, फ्लुओराइट, कोरण्डम, टिन अयस्क, लेड, अभ्रक, ग्रेफाइट, फेल्सपार, तांबा अयस्क, अग्नि मृत्तिका, सोना, अलेक्जेंडराइट, हीरा।

3.

वन संसाधन - छत्तीसगढ़ प्रदेश में वन क्षेत्र, जिलेवार वन क्षेत्र, जिलेवार आरक्षित, संरक्षित तथा अवर्गीकृत वन क्षेत्रफल, वनवृत्तावारनुसार वन क्षेत्रफल, प्रमुख वन उत्पाद।

4.

कृषि उत्पाद

छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोयला उत्पादक क्षेत्र

01. सरगुजा तथा कोरिया जिले के अन्तर्गत कोयाल उत्पादक क्षेत्र :-



सरगुजा जिले में कोयले के निक्षेप क्षेत्र विश्रामपुर, झिलमिली, चरचा, बानसोर, सोनहट, चिरमिरी, झागराखण्ड, लखनपुर, रामपुर तथा पंचभैया में है। सरगुजा तथा कोरिया जिले के अन्तर्गत 16000 लाख टन कोयले के संचित भण्डार है। इन क्षेत्रों में कोयले की सतह की मोटाई 50 सेमी है।

सरगुजा तथा कोरिया जिलों के अन्तर्गत प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्रों का विवरण इस प्रकार है :-

क. हसदो अरंद-कोयला क्षेत्र :-

इस क्षेत्र के अन्तर्गत तारा, बैगापारा, उदयपुर, हरिहरपुर, इंगेमार ग्राम सम्मिलित है। यहाँ बाराकर संस्तर में कोयले के 4320.78 मीट्रिक टन कोयले के संचित भण्डार हैं, जो B से F श्रेणी के हैं।

ख. लखनपुर कोयला क्षेत्र :-

इस कोयला क्षेत्र के अन्तर्गत प्रेमनगर एवं रामानुजगंज विकासखण्ड के अन्तर्गत लखनपुर ग्राम सम्मिलित है, जहाँ 313.89 मीट्रिक टन कोयले के संचित भण्डार हैं।

ग. विश्रामपुर कोयला क्षेत्र :-

इस क्षेत्र में सूरजपुर विकासखण्ड के अन्तर्गत विश्रामपुर, बड़गाँव, नवापारा, शंकरपुर, जयनगर, कुण्डा तथा सोनपुरा ग्राम सम्मिलित हैं। संचित भण्डार की दृष्टि से यहाँ 596.16 मीट्रिक टन कोयले के भण्डार हैं, जो A से D श्रेणी के हैं।

घ. झिलमिली कोयला क्षेत्र :-

झिलमिली कोयला क्षेत्र में बैकुण्ठपुर विकासखण्ड के कटकोना तथा पाण्डवपारा ग्राम, भाइयाथान विकासखण्ड का ग्राम पटना तथा सूरजपुर विकासखण्ड के अन्तर्गत बसकर एवं बरसारा ग्राम सम्मिलित हैं, जहाँ 267.10 मीट्रिक टन कोयले के संचित भण्डार हैं जहाँ A से F श्रेणी का कोयला प्राप्त होता है।

ङ. सोनहट कोयला क्षेत्र :-

इस कोयला क्षेत्र के अन्तर्गत सोनहट विकासखण्ड के चरचा, आनंदपुर, सोनहट, रामगढ़ तथा कटगोरी ग्राम सम्मिलित हैं, जहाँ 225.28 मीट्रिक टन कोयले के संचित भण्डार हैं। इस क्षेत्र से प्राप्त कोयले की श्रेणी A से D के मध्य है।

च. चिरमिरी कोयला क्षेत्र :-

खादगाँव विकासखण्ड के अन्तर्गत ग्राम चिरमिरी, गोदरीपारा, बुरतुंगा, सोनवानी, हल्दीबाड़ी, कुरासिया, चिरमिरी कोयला क्षेत्र सम्मिलित हैं यहाँ A से D श्रेणी के कोयले के 362.16 मीट्रिक टन कोयले के संचित भण्डार हैं।

छ. सोहागपुर कोयला क्षेत्र :-

इस क्षेत्र के प्रमुख कोयला उत्पादक ग्राम मनेन्द्रगढ़, कोंगापानी तथा ग्राम झिमार हैं, जो कि मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड में सम्मिलित हैं। इस क्षेत्र में A से D श्रेणी के कोयले के 2711.75 मीट्रिक टन कोयले के संचित भण्डार हैं।

ज. रामकोला तातापानी कोयला क्षेत्र :-

इस कोयला क्षेत्र के अन्तर्गत वाड्रफनगर विकासखण्ड का ग्राम तातापानी तथा प्रतापपुर विकासखण्ड के नवाडीह तथा रामकोला ग्राम सम्मिलित हैं। यहाँ प्राप्त होने वाला कोयला C से F श्रेणी का है एवं संचित भण्डार 1141.88 मीट्रिक टन है।

उपर्युक्त सभी क्षेत्रों में बाराकर संस्तर के अन्तर्गत कोयले के निक्षेप पाये गए हैं।

2. कोरबा जिले के अन्तर्गत कोयला उत्पादक क्षेत्र :-

क. कोरबा कोयला क्षेत्र :-

इस क्षेत्र के अन्तर्गत प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र कोरबा विकासखण्ड के अन्तर्गत कोरबा, रजगामार, मानिकपुर, कुसमुन्डा, बांकी मोगरा तथा सराईपाली एवं पाली विकासखण्ड के अन्तर्गत ग्राम-दिलवारी, बारपाली तथा सोनपुरी एवं कटघोरा विकासखण्ड का ग्राम दुरपा सम्मिलित है, जहाँ कोयले के निक्षेप गोंडवाना क्रम के बाराकर संस्तर में पाये गए हैं। यहाँ प्राप्त कोयले की श्रेणी B से G के मध्य है। कोरबा कोयला क्षेत्र में 98,500.8 लाख टन कोयले के संचित भण्डार हैं।

ख. सेन्दुरगढ़ कोयला क्षेत्र :-

यह दूसरा प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र है जो सेन्दुरगढ़, पालानी, बीजाददं तथा अरसारे ग्राम में विस्तृत है। यहाँ कोयले के निक्षेप बाराकर संस्तर के अन्तर्गत B से F श्रेणी के मध्य है। संचित भण्डार की दृष्टि से इस क्षेत्र में 2792.1 लाख टन कोयले के भण्डार हैं।

ग. हसदो अरंद कोयला क्षेत्र :-

इस कोयला क्षेत्र का अधिकांश भाग सरगुजा जिले में है। कोरबा जिले में इस क्षेत्र का विस्तार पाली विकासखण्ड के अन्तर्गत ग्राम मोरगा तथा पटुरिया में एवं कटघोरा तहसील के गिरमुधी एवं मदनपुर ग्राम में है। यहाँ कोयले के निक्षेप बाराकर संस्तर के अन्तर्गत B से F श्रेणी के मध्य है।

3. रायगढ़ जिले के अन्तर्गत कोयला उत्पादक क्षेत्र :-

क. मांद रायगढ़ कोयला क्षेत्र :-

इस क्षेत्र के मुख्य कोयला उत्पादक ग्राम कोमनारा, छाल, बारौद, लाथ, घरघोड़ा, जामपाली, बिजारी, कुरुमकेला, सितारा, खारगाँव गारो तथा पेलमा हैं, जहाँ बाराकर संस्तरों के अन्तर्गत C से G श्रेणी का कोयला प्राप्त होता है। संचित भण्डार की दृष्टि से यहाँ 96225.7 लाख टन कोयले के भण्डार हैं।

छत्तीसगढ़ प्रदेश में जिलेवार कोयला उत्पादन की मात्रा निम्नांकित है :-

तालिका 2.1 छत्तीसगढ़ प्रदेश : जिलेवार कोयला उत्पादन इकाई टन में

वर्ष

कोरबा

रायगढ़

सरगुजा

कोरिया

1900-91

23215000

-

3574500

4893800

1991-92

25312500

-

3587500

4688300

1992-93

2577500

85700

3442000

4783900

1993-94

26930000

31000

2915500

4698200

1994-95

26181700

42100

2353800

4585900

1995-96

29288200

24100

2475500

4598900

1996-97

30521000

51300

2744900

4528100

1997-98

52756800

85100

2918200

4515600

स्रोत : खनिज सांख्यिकी 1997, भौमिकी तथा खनिकर्म संचालनालय, रायपुर (छ.ग.)

धान के कटोरे के रूप में बहुप्रचारित छत्तीसगढ़ प्रदेश को कोयले की खनिज सम्पदा का कटोरा भी कहा जा सकता है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोयले के 213,518.6 लाख टन कोयले के संचित भण्डार हैं, जिसके फलस्वरूप प्रदेश को अपने ऊर्जा उत्पादन, विद्युत सीमेंट तथा इस्पात उत्पादन के कारण आर्थिक मानचित्र में विशिष्ट स्थान प्राप्त है।

प्रदेश में कोयले की खाने कोरबा से रायगढ़ जिले तक फैली हुई है। इन खानों के फलस्वरूप ही इस क्षेत्र में रेल संचार सेवाओं, दूरसंचार तथा विद्युत ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्रों में असाधारण वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में सन 1890 में कोयला उत्खनन का कार्य प्रारम्भ हो चुका था, जब उमरिया (जो प्रदेश की उत्तरी पश्चिमी सीमा के पास है) की खानों से कोयला निकाला जाने लगा था। इसे विशेष प्रतिष्ठा तथा महत्त्व उस समय मिला जब सन 1956 में भारत सरकार ने एक अर्थ नीतिक प्रस्ताव पास कर सार्वजनिक क्षेत्र में राष्ट्रीय योजना विकास निगम की स्थापना की, तब से इस क्षेत्र में निगम द्वारा संचालित कोयला खदानों की प्रगति होती रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोयला उत्खनन का कार्य साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एस ई सी एल)

उत्पादन प्रतिरूप :

तालिका 2.2 छत्तीसगढ़ प्रदेश में एस.ई.सी.एल. के अन्तर्गत वर्षवार कोयला उत्पादन (इकाई टन में)

वर्ष

उत्पादन

1990-91

31683300

1991-92

33487400

1992-93

34086600

1993-94

34574700

1994-95

33163500

1995-96

36386700

1996-97

37845300

1997-98

60275700

स्रोत : कार्यालय, एस.ई.सी.एल बिलासपुर

आर्थिक समृद्धि हेतु कोयला आज भी ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। इस परिप्रेक्ष्य में एसईसीएल को देश भर में सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने का श्रेय प्राप्त है। सम्पूर्ण देश के कोयला उत्पादन का पाँचवाँ हिस्सा एसईसीएल द्वारा उत्पादित होता है।

कर्मचारियों की संख्या एवं प्रदान की गई सुविधाएँ :-

लोकहित एवं सामाजिक सांस्कृतिक दायित्व :-

उपलब्धियाँ :-

पर्यावरण संरक्षण हेतु किये गए प्रयास :

तालिका : 2.3 एस.ई.सी.एल : वृक्षारोपण की मात्रा

वर्ष

वृक्षों की संख्या

1985-86

302270

1986-87

551356

1987-88

1124557

1988-89

1141286

1989-90

1939276

1990-91

1588079

1991-92

2445883

1992-93

1111336

1993-94

1450115

1994-95

1259506

1995-96

1861835

1996-97

2112025

1997-98

1462500

1998-99

612000

योग

18959774

स्रोत : कार्यालय, एस.ई.सी.एल., बिलासपुर

स्पष्ट है कम्पनी द्वारा अभी तक 1 करोड़ से अधिक पौधों का वृक्षारोपण किया जा चुका है।

एस.ई.सी.एल. के अन्तर्गत प्रदेश में कार्यरत खदानें एवं परियोजनाएँ निम्नांकित हैं :-

1. विश्रामपुर क्षेत्र

(1) कुमदा परियोजना




(2) जयनगर परियोजना



(3) बिश्रामपुर परियोजना

(क) कुमदा 1 एवं 2 खदान (ख) कुमदा 7 एवं 8 खदान (ग) बलरामपुर खदान


(क) जयनगर 5 एवं 6 खदान, (ख) जयनगरग 3 एवं 4 खदान


(क) बिश्रामपुर खुली खदान

(2) बटगांव क्षेत्र

(1) भटगाँव परियोजना


(2) कल्याणी/महामाया परियोजना



(3) डुग्गा परियोजना

(क) भटगाँव खदान


(क) महामाया खदान (ख) कल्याणी खदान


(क) डुग्गा खुली खदान।

उपर्युक्त खदानें सरगुजा जिले के अन्तर्गत सम्मिलित हैं।

(3) बैकुण्ठपुर क्षेत्र

(1) चरचा परियोजना


(2) चरचा पश्चिम परियोजना


(3) कटकोना परियोजना


(4) पांडवपारा परियोजना

(क) चरचा खदान


(क) चरचा पश्चिम खदान


(क) कटकोना खदान।


(क) पांडवपारा खदान, (ख) झिलमिली खदान

(4) चिरमिरी क्षेत्र

(1) चिरमिरी परियोजना



(2) डुमानहिल परियोजना



(3) कुरासिया परियोजना



(4) एनसीपीएच परियोजना



(5) पश्चिमी चिरमिरी परियोजना

(क) चिरमिरी भूमिगत खदान, (ख) चिरमिरी खुली खदान


(क) डुमान हिल खदान, (ख) उत्तरी चिरमिरी खदान


(क) सोनवानी खदान, (ख) कुरासिया भूमिगत एवं खुली खदान।


(क) एनसीपीएच (पुरानी) खदान, (ख) एनसीपीएच (नई) खदान


(क) पश्चिमी चिरमिरी खदान, (ख) कोरिया भूमिगत खदान।

(5) हसदेव क्षेत्र

(1) झागराखण्ड परियोजना

(क) दक्षिणी झागराखण्ड खदान, (ख) पश्चिमी झागराखण्ड खदान, (ग) बी सीम, (घ) पालकीमारा खदान।

उपर्युक्त खदानें कोरिया जिले के अन्तर्गत सम्मिलित हैं।

(6) कोरबा क्षेत्र

(1) रजगामार परियोजना



(2) सुराकछार परियोजना




(3) बांकी परियोजना



(4) ढेलवाडीह परियोजना



(5) बल्गी परियोजना


(6) मानिकपुर परियोजना

(क) रजगामार खदान, (ख) पवन खदान


(क) सुराकछार मुख्य खदान, (ख) सुराकछार 3 एवं 4 खदान, (ग) सुराकछार 5 एवं 6 खदान


(क) बांकी खदान, (ख) बांकी 9 एवं 10 खदान


(क) ढेलवाडीह खदान, (ख) सिंगहाली खदान


(क) बल्गी खदान


(क) मानिकपुर खुलीखदान

(7) कुसमुन्डा क्षेत्र

(1) कुसमुन्डा परियोजना


(2) लक्ष्मण परियोजना

(क) कुसमुन्डा खुली खदान


(क) लक्ष्मण खुली खदान

(8) गेवरा क्षेत्र

(1) गेवरा परियोजना


(2) दीपका परियोजना

(क) गेवरा खदान


(क) दीपका खदान,

उपर्युक्त खदानें कोरबा जिले के अन्तर्गत सम्मिलित हैं।

(9) रायगढ़ क्षेत्र

(1) छाल परियोजना


(2) बारौन्द परियोजना

(क) छाल खदान, (ख) धरम खदान


(क) बारौन्द खुली खदान।

उपर्युक्त खदानें रायगढ़ जिले के अन्तर्गत सम्मिलित हैं।

गेवरा परियोजना प्रदेश की वृहत परियोजना है, अतः गेवरा परियोजना का अध्ययन पर्यावरण प्रदूषण के दृष्टिकोण से किया गया है।

गेवरा परियोजना :-

साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स के अन्तर्गत संचालित गेवरा परियोजना कोरबा कोयला क्षेत्र के पश्चिमी भाग में गेवरा नामक स्थान पर स्थित है। यह एशिया की सबसे वृहद खुली खदान है, जिसका कुल क्षेत्रफल 2023 हेक्टेयर है, जिसमें उत्खनन कार्य के अन्तर्गत 780 हेक्टेयर भूमि है। गेवरा परियोजना 329.78 करोड़ रुपयों की लागत से वर्ष 1979 में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित की गई। जनवरी 1981 में 50 लाख टन प्रतिवर्ष कोयला उत्पादन की क्षमता से यह खदान प्रारम्भ की गई, जिसके द्वारा कोरबा सुपर थर्मल पावर स्टेशन को कोयले की आपूर्ति की जाती है। वर्तमान में इसकी उत्पादन क्षमता ताप विद्युत गृह (2100 मि.यू.) की उत्पादन क्षमता में वृद्धि के साथ ही बढ़कर 180 लाख टन प्रतिवर्ष हो गई है। यहाँ उत्पादित कोयला एफ ग्रेड का है, जिसमें राख की मात्रा 35 से 40 प्रतिशत होती है। यहाँ कोयले के 6500 लाख टन के भण्डार का अनुमान लगाया गया है तथा खदान की आयु 62 वर्ष अनुमानतः निर्धारित की गई है।

भू-वैज्ञानिक संरचना :-

अपवाह तन्त्र :-

परिवहन सुविधा :-

प्रमुख कच्चे पदार्थ :-

1. विस्फोटक पदार्थ :-

खदान में विस्फोटक पदार्थ की आवश्यकता प्रतिदिन 863 टन की है जिसकी आपूर्ति आई.बी.पी. कम्पनी गोपालपुर द्वारा की जाती है।

2. जल :-

खदानों में प्रतिदिन औद्योगिक उपयोग हेतु 2800 किलोलीटर प्रतिदिन एवं घरेलू उपयोग हेतु 2600 किलोलीटर प्रतिदिन जल की आवश्यकता होती है जिसकी आपूर्ति कोलार नाला, मालेगाँव टैंक तथा कुसमुंडा फिल्टर प्लांट से की जाती है।

उत्पादन प्रतिरूप :-

तालिका - 2.4 गेवरा परियोजना : कोयला उत्पादन वर्ष 1981-82 से 1999-2000

वर्ष

उत्पादन (लाख टन में)

वर्ष

उत्पादन (लाख टन में)

1981-82

4

1991-1992

132

1982-83

3

1992-1993

133

1983-84

14

1993-94

140

1984-85

32

1994-95

146.3

1985-86

42

1995-96

154

1986-87

50

1996-97

168

1987-88

64

1997-98

178.8

1988-89

82

1998-99

172.9

1989-90

97

1999-2000

180.1

1990-91

112

  

स्रोत : कार्यालय, गेवरा परियोजना, गेवरा

कर्मचारियों की संख्या एवं प्रदान की गई सुविधाएँ :-

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण हेतु किये गए उपाय :-

तालिका - 2.5 गेवरा परियोजना : वृक्षारोपण की मात्रा

क्र.

स्थान

क्षेत्र

वृक्षों की संख्या

01.

ऊपरी भाग

80 हेक्टेयर

226800

02.

आन्तरिक डम्प क्षेत्र

21 हेक्टेयर

50150

03.

एवेन्यू वृक्षारोपण

348 हेक्टेयर

2497250

 

योग

449 हेक्टेयर

2774200

5. खदानों में कार्यरत सभी कर्मचारियों को एल.पी. गैस सुविधा दी गई है तथा घरेलू उपयोग हेतु कोयला जलाने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है।

खदानों में जल-प्रदूषण का प्रमुख स्रोत मशीनों की धुलाई है जिससे निकलने वाले जल में मुख्यतः तेल तथा ग्रीस की उपस्थिति बनी रहती है। प्रबन्धन द्वारा मशीनों की धुलाई के लिये एच.ई.एम.एस. प्लेटफॉर्म का निर्माण किया गया है। यहाँ मशीनों की धुलाई हेतु 48 किलोमीटर जल की आवश्यकता प्रतिदिन होती है तथा 38.40 किलोलीटर जल मशीनों की धुलाई से निस्सारित होता है। मशीनों की धुलाई से निकलने वाले दूषित जल के उपचार हेतु यहाँ तीन टैंक बनाए गए हैं। सर्वप्रथम दूषित जल को प्रीसैटलिंग टैंक में एकत्र किया जाता है। जिसकी क्षमता 160 किलोलीटर जल की है। इसके पश्चात जल को आइल ट्रैप टैंक में ले जाया जाता है, जहाँ जल में मौजूद ठोस कण नीचे बैठ जाते हैं। इस टैंक की क्षमता 96 किलोलीटर जल की है। तत्पश्चात जल को पम्प द्वारा फ्लोगेलेशन टैंक में ले जाया जाता है। जहाँ प्रदूषित जल को एल्यूमिनियम सल्फेट द्वारा उपचारित किया जाता है। इससे निकलने वाले साफ जल का पुनः उपयोग मशीनों की धुलाई हेतु किया जाता है।

इसके अतिरिक्त खदान से निकलने वाले जल के लिये तीन सैटलिंग टैंक बनाए गए हैं। दूषित जल तीनों टैंकों में से होता हुआ लक्ष्मण नाले में मिल जाता है। इसके अतिरिक्त धूलकणों के दमन के लिये सम्प (Sump) (खनन कार्य के पश्चात छोड़ी गई निचली भूमि में जल भर जाने से बने हुए गड्ढे) के जल का उपयोग किया जाता है।

घरेलू बर्हिस्राव के लिये आवासीय क्षेत्र में सेप्टिक टैंक तथा सोकपिट का निर्माण किया गया है।

ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण हेतु किये गए उपाय :

2. खनिज संसाधन :-

1. लौह अयस्क :-

प्रदेश में लौह-अयस्क के 23012.6 लाख टन के संचित भण्डार हैं। लौह अयस्क के भण्डार मुख्यतः बस्तर, दुर्ग, राजनांदगाँव तथा रायपुर जिले में पाये गए हैं।

क. बस्तर जिले के अन्तर्गत लौह-अयस्क भण्डार के क्षेत्र :-

बस्तर जिले में लौह अयस्क के 19392.6 लाख टन के भण्डार पाये गए हैं। लौह अयस्क के अधिकांश निक्षेप बैलाडीला तथा रावघाट क्षेत्र में है। इनके अतिरिक्त कुछ मात्रा में चारगाँव, छोटाडोंगर, मेटाबोड़ली तथा हहलाडीह क्षेत्र में भी लौह अयस्क के निक्षेप प्राप्त हुए है।

1. बैलाडीला क्षेत्र :-

बैलाडीला क्षेत्र में 10741.89 लाख टन के संचित भण्डार हैं। बैलाडीला की पहाड़ियाँ उत्तर दक्षिण दिशा में 35 किमी. लम्बी तथा पूर्व पश्चिम दिशा में 9 किमी. की चौड़ाई में फैली हुई है।

2. रावघाट क्षेत्र :-

यह क्षेत्र नारायणपुर से 9 किमी. उत्तर उत्तर पश्चिम में स्थित है। यहाँ लौह अयस्क के 9030 लाख टन के संचित भण्डार हैं इस क्षेत्र में लौह अयस्क के 6 निक्षेप पाये गए हैं जो इस प्रकार हैं :-

निक्षेप क्रमांक

संचित भण्डार (लाख टन में)

ग्रेड% Fe

A

2300 (Proved)

60-66

B

  

C

  

D

88 (In Ferred)

61-68

E

  

F

5850 (Proved)

60-68

निक्षेप क्रमांक A से E लम्बाई 17 किमी. तथा चौड़ाई 250 मीटर है। निक्षेप क्रमांक E सबसे वृहद है जिसकी लम्बाई 13 किमी तथा चौड़ाई 500 मीटर है।

1. छोटा डोंगर क्षेत्र :-

इस क्षेत्र में 353.1 लाख टन लौह अयस्क के भण्डार हैं, जो छोटा डोंगर क्षेत्र में 45 किमी. के क्षेत्र में फैले हुए हैं। यह क्षेत्र सड़क मार्ग द्वारा नारायणपुर से सम्बद्ध है।

इस क्षेत्र में उपलब्ध लौह अयस्क निक्षेपों को 5 विभिन्न खण्डों में बाँटा गया है, जो इस प्रकार है :-

निक्षेप क्रमांक

संचित भण्डार (लाख टन में)

ग्रेड % Fe

1.

4.9

64

2.

21.8

65

3.

254.4

64 से 66

4.

57.6

64 से 66

5.

14.4

65

1. चारागाँव क्षेत्र :- चारागाँव ग्राम से 3.2 किमी. पश्चिम की ओर लौह अयस्क के 218 लाख टन के संचित भण्डार पाये गए हैं, जिन्हें 2 खण्डों में विभक्त किया गया है जो इस प्रकार है:-

निक्षेप क्रमांक

संचित भण्डार (लाख टन में)

ग्रेड % Fe

1. (वृहद)

183.6

60

2. (लघु)

34.4

60

2. मेटाबोडली क्षेत्र :-

इस क्षेत्र में 156 लाख टन लौह अयस्क के अनुमानित संचित भण्डार हैं। भौमिकी तथा खनिकर्म संचालनालय द्वारा मेटाबोड़ली क्षेत्र में उच्च कोटि लौह अयस्क के 2 क्षेत्रों का पता लगाया गया है, जो कि मेटाबोड़ली पठार से 30 किमी. की दूरी पर नारायणपुर तहसील में अन्तागढ़ के पश्चिम में स्थित है। इस क्षेत्र के निक्षेप में लोहे की मात्रा 65 प्रतिशत है। दूसरा क्षेत्र दक्षिण पश्चिम दिशा में 200 मीटर लम्बा तथा 40 मीटर चौड़ा है। जिसके निक्षेप में लोहे की मात्रा 64 प्रतिशत है।

3. हहालाड़ी क्षेत्र :-

हहालाड़ी एक पहाड़ी क्षेत्र है जो 40 किमी लम्बी तथा 0.6 किमी. चौड़ा क्षेत्र है। यहाँ 123.2 लाख टन लौह अयस्क के संचित भण्डार हैं।

ख. दुर्ग जिले के अन्तर्गत लौह अयस्क के भण्डार क्षेत्र :-

तालिका - 2.6 दल्लीराजहरा खदान क्षेत्र : लौह अयस्क उत्पादन (मात्रा हजार टन में)

वर्ष

राजहरा खदान

दल्ली खदान

योग

1990-91

3442993

2901939

6344932

1991-92

3463532

3060391

6523923

1992-93

3351870

3087713

6439583

1993-94

3512343

3292942

6805285

1994-95

3500857

3790084

7290941

1995-96

3552553

4359551

7912104

1996-97

3871380

4186770

8058150

1997-98

4172814

5114263

9287077

स्रोत : प्रचालन सांख्यिकी 1992-93 से 1997-98, भिलाई इस्पात संयंत्र।

ग. राजनांदगाँव जिले के अन्तर्गत लौह अयस्क भण्डार क्षेत्र :-

घ. रायपुर जिले के अन्तर्गत लौह अयस्क भण्डार क्षेत्र :-

राष्ट्रीय खनिज विकास निगम :-

निक्षेप क्रमांक

संचित भण्डार (लाख टन में)

ग्रेड % % Fe

1.

1380

60

2. और 3.

610

68

4.

1074.5

64

5.

1272

68

6. तथा 7

N.E.

65

8.

300

64

9.

N.E.

65

10.

2090

68

11/अ

170

68

11/ब

1040

68

11/स

998.7

68

12.

N.E.

65

13.

1500

64

14.

301.69

61

Note : N.E. (Not estimated)

बैलाडीला के उपरोक्त निक्षेप वर्गों में कुल 9462.39 लाख टन लौह अयस्क के संचित भण्डार है जो विश्व में सर्वोत्तम कोटि के लौह अयस्क में से एक है। निक्षेप क्रमांक 5, 10, 14, 11A तथा 11C में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम द्वारा खनन कार्य किया जा रहा है। उपरोक्त निक्षेप बैलाडीला के ग्राम किरन्दुल तहसील दन्तेवाड़ा में स्थित है। यहाँ पाया जाने वाला लौह अयस्क हेमेटाइट लौह अयस्क है। वर्ष 1998-99 निक्षेप क्रमांक 5 में 2022624.02 टन लौह पिंड अयस्त तथा 2514837.23 टन लौह चूर्ण अयस्क उत्पादित हुआ।

बैलाडीला में उत्पादित लौह अयस्क का निर्यात जापान को किया जाता है। इसके अतिरिक्त विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र, जिसकी उत्पादन क्षमता 20 लाख टन वार्षिक इस्पात उत्पादन की है, को लौह अयस्क की आपूर्ति भी इन्हीं खदानों से होती है। एस्सार लिमिटेड तथा सनप्लैग वाइजैग को भी यहाँ से लौह अयस्क का निर्यात किया जाता है। इसके अतिरिक्त एन एम डी सी द्वारा कोरिया तथा चीन को भी निर्यात किया जाता है।

3. चूना पत्थर :-

क. रायपुर जिले के अन्तर्गत चूना पत्थर भण्डार क्षेत्र :-

1. मांढर क्षेत्र :-

हावड़ा-मुम्बई मार्ग पर स्थित मांढर रेलवे स्टेशन से 2 से 5 किमी पूर्व में चूना पत्थर के भण्डार मांढर, दोंदकला, मटिया तथा लालपुर ग्राम में पाये गए हैं। इन क्षेत्रों में 320 लाख टन चूना पत्थर के संचित भण्डार हैं।

2. सिलयारी क्षेत्र :-

सिलयारी रेलवे स्टेशन से 3 किमी दक्षिण में सिलयारी, तर्रा, पथरिया तथा खुड़मुड़ी ग्रामों में 480 लाख टन सीमेंट ग्रेड चूना पत्थर के भण्डार पाये गए हैं।

3. तिल्दा क्षेत्र :-

तिल्दा रेलवे स्टेशन से 5 किमी दक्षिण पूर्व में बहेसर, कुंदरू तथा टंडवा ग्रामों के मध्य 380 लाख टन चूना पत्थर के निक्षेप पाये गए हैं। इसी आधार पर यहाँ 1975 में 12 टन वार्षिक उत्पादन क्षमता वाला सीमेंट कारखाना बैकुण्ठ में स्थापित किया गया है।

4. रावन क्षेत्र :-

भाटापारा रेलवे स्टेशन से 16 किमी पूर्व में ग्राम रावन, पौसरी तथा कुकुरड़ी ग्राम में 1390 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार हैं।

5. सोनाडीह क्षेत्र :-

निपनिया रेलवे स्टेशन से 23 किमी दक्षिण में सोनाडीह, रिसदा/रिसदी तथा खपरी ग्राम में चूना पत्थर में 1600 लाख टन के निक्षेप पाये गए हैं।

6. माल्दी मोपार क्षेत्र :-

भाटापार से 16 किमी दक्षिण-पूर्व में माल्दीमोपार क्षेत्र में 3050 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार अवस्थित हैं।

7. जिपान क्षेत्र :-

हथबंद से 18 किमी पूर्व में जिपान, रावन तथा अमेरी पंड्री ग्रामों में 1000 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार उपलब्ध हैं।

8. हिरमी क्षेत्र :-

तिल्दा से 18 किमी पूर्व में हिरमी, सकलोर तथा परसवानी ग्राम में 1600 लाख टन चूने के पत्थर के भण्डार हैं।

9. चांदी क्षेत्र :-

हथबंद से 22 किमी पूर्व में 800 लाख टन चूनापत्थर के भण्डार चांदी क्षेत्र में पाये गए हैं।

10. गैतरा क्षेत्र :-

यह क्षेत्र भाटापारा से 20 किमी पूर्व में स्थित है तथा रावन क्षेत्र का पूर्वी विस्तार है, जहाँ 1190 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार पाये गए हैं। इस निक्षेप क्षेत्र के अधिकांश भाग कृषिगत सिंचित क्षेत्र है।

11. फरहाड़ा क्षेत्र :-

भाटापारा से 10 किमी दक्षिण में स्थित फरहाड़ा क्षेत्र में 60 लाख टन चूना पत्थर के निक्षेप पाये गए हैं।

12. चिचपोल बिटकुली क्षेत्र :-

निपनिया से 5 किमी दक्षिण पूर्व में स्थित चिचपोल बिटकुली क्षेत्र में 110 लाख टन चूने पत्थर के भण्डार हैं।

13. सेमराडीह मोहरा क्षेत्र :-

यह क्षेत्र खरोरा के निकट स्थित है जहाँ 1024 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार उपलब्ध हैं। यहाँ उपलब्ध अधिकांश चूना पत्थर का उपयोग एल एण्ड टी सीमेंट संयंत्र द्वारा किया जाता है।

14. भटबेहरा - अमेरी-बेसिन क्षेत्र :-

अमेरी पेण्ड्री बेसिन क्षेत्र में कुल 221.3 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार का अनुमान लगाया गया है जो लघु सीमेंट को चूना पत्थर आपूर्ति हेतु पर्याप्त होगा।

15. सुकेलाभाटा क्षेत्र :-

भाटापारा से 25 किमी पूर्व में सुकेलाभाटा तथा परसाभादर गाँव में 1750 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार पाये गए हैं।

ख. बिलासपुर जिले के अन्तर्गत चूना पत्थर भण्डार क्षेत्र :-

1. अकलतरा क्षेत्र :-

इस क्षेत्र में चूना पत्थर के निक्षेप अकलतरा रेलवे स्टेशन से 4 किमी दक्षिण में स्थित हैं, जहाँ 440 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार पाये गए हैं जिसके आधार पर यहाँ सीमेंट कारपोरेशन ऑफ इण्डिया द्वारा 4 लाख टन वार्षिक उत्पादन क्षमता का सीमेंट संयंत्र स्थापित किया गया है।

2. अरसमेटा क्षेत्र :-

अरसमेटा क्षेत्र अकलतरा से 12 किमी दक्षिण पूर्व में स्थित है जहाँ 1000 लाख टन चूना पत्थर के संचित भण्डार हैं। इस निक्षेप के आधार पर यहाँ रेमण्ड सीमेंट वर्क्स स्थापित हुआ है जिसकी उत्पादन क्षमता 22.40 लाख टन वार्षिक है।

3. चिलहटी क्षेत्र :-

मुम्बई हावड़ा रेलमार्ग पर जयराम नगर से 45 किमी दक्षिण में शिवनाथ तथा लीलागर नदियों के बीच चिलहटी ग्राम के चारों ओर उत्तम कोटि के 4850 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार पाये गए हैं।

4. बारगाँव क्षेत्र :-

अकलतरा से 12 किमी. दक्षिण में बारगाँव क्षेत्र में 300 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार पाये गए हैं।

5. पामगढ़ क्षेत्र :-

अकलतरा से 30 किमी दक्षिण में पामगढ़ क्षेत्र में 500 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार पाये गए है।

6. तेन्दुआ क्षेत्र :-

बिलासपुर कटनी रेलमार्ग पर करगी रोड रेलवे स्टेशन से 18 किमी पश्चिम में तेन्दुआ क्षेत्र में स्थित है, जहाँ 120 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार पाये गए हैं।

स. दुर्ग जिले के अन्तर्गत चूना पत्थर भण्डार क्षेत्र :-

1. नंदनी क्षेत्र :-

दुर्ग से 20 किमी दूर दुर्ग बेमेतरा मार्ग पर नंदिनी चूना पत्थर क्षेत्र स्थित है, जहाँ 1980 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार उपलब्ध हैं।

2. मेरेसरा क्षेत्र :-

यह क्षेत्र दुर्ग से 25 किमी उत्तर में दुर्ग-धमधा मार्ग पर स्थित है जहाँ 351.7 लाख टन सीमेंट रोड चूना पत्थर उपलब्ध हैं।

3. सेमरिया क्षेत्र :-

दुर्ग से 30 किमी उत्तर, उत्तर पूर्व में दुर्ग बेरला मार्ग पर सेमरिया क्षेत्र में 800 लाख टन सीमेंट चूना पत्थर के भण्डार उपलब्ध हैं।

4. अछोली क्षेत्र :-

अछोली क्षेत्र दुर्ग से 55 किमी उत्तर में दुर्ग-धमधा-गंडई मार्ग पर स्थित है, जहाँ 800 लाख टन सीमेंट ग्रेड चूना पत्थर के संचित भण्डार हैं।

5. गोटवानी क्षेत्र :-

अछोली से 5 किमी पूर्व में गोटवानी ग्राम में 210.4 टन सीमेंट ग्रेड चूना पत्थर के भण्डार उपलब्ध हैं।

6. मतरागोटा क्षेत्र :-

दुर्ग से 45 किमी उत्तर पूर्व में दुर्ग-बेरला मार्ग पर मतरागोटा ग्राम में 874.6 लाख टन सीमेंट ग्रेड चूना पत्थर के भण्डार हैं।

घ. राजनांदगाँव जिले के अन्तर्गत चूनापत्थर भण्डार क्षेत्र :-

ङ. बस्तर जिले के अन्तर्गत चूना पत्थर भण्डार क्षेत्र :-

1. मांझीडोंगरी क्षेत्र :-

मांझीडोगरी क्षेत्र कांगेर नदी के दाहिने तट पर 18050 उत्तरी अक्षांश से 18055 उत्तरी अक्षांश से 81050 से 82000 पूर्वी देशान्तर तक विस्तृत है तथा जगदलपुर से 30 किमी जगदलपुर कोन्टा मार्ग पर स्थित है। यहाँ 1200 लाख टन सीमेंट ग्रेड चूना पत्थर के भण्डार उपलब्ध हैं।

2. देवरापाल क्षेत्र :-

इस क्षेत्र में चूना पत्थर के निक्षेप जगदलपुर मुख्यालय से 22 किमी की दूरी पर है, जहाँ 190 लाख टन चूना पत्थर के संचित भण्डार हैं जिस आधार पर यहाँ दो लघु सीमेंट संयंत्रों की स्थापना की गई है।

3. पोटनार बरांजी क्षेत्र :-

जगदलपुर चित्रकूट मार्ग पर 19 किमी पश्चिम में पोटनार तथा बरांजी क्षेत्र में 220 लाख टन सीमेंट ग्रेड चूना पत्थर के भण्डार उपलब्ध हैं।

4. जूनागुड़ा क्षेत्र :-

जूनागुड़ा क्षेत्र जगदलपुर जिला मुख्यालय से 17 किमी की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 पर स्थित है। यह क्षेत्र इन्द्रावती बेसिन का क्षेत्र है जहाँ 3 वर्ग किमी. क्षेत्र पर 24 मीटर की मोटाई में सीमेंट ग्रेड चूना पत्थर के 1215.6 लाख टन के भण्डार उपलब्ध हैं।

5. रायकोट क्षेत्र :-

जगदलपुर से 25 किमी पश्चिम में जगदलपुर गीदम मार्ग पर रायकोट क्षेत्र के अन्तर्गत 160 लाख टन चूना पत्थर के भण्डार पाये गए हैं।

6. सुकमा क्षेत्र :-

जगदलपुर से 108 किमी की दूरी पर जगदलपुर - कोन्टा मार्ग पर स्थित सुकमा ग्राम में 16 किमी उत्तर में 8 किमी चौड़ी पट्टिका में चूना पत्थर के 60 लाख टन के भण्डार पाये गए हैं।

च. सरगुजा जिले के अन्तर्गत चूना पत्थर भण्डार क्षेत्र :-

छ. रायगढ़ जिले के अन्तर्गत चूना पत्थर भण्डार क्षेत्र :-

4. बाक्साइट :-

क. सरगुजा जिले के अन्तर्गत बाक्साइट भण्डार क्षेत्र :-

1. मैनपाट क्षेत्र :-

मैनपाट क्षेत्र में 271.2 लाख टन बाक्साइट के संचित भण्डार का अनुमान लगाया गया है। यह क्षेत्र अम्बिकापुर से 30 किमी दक्षिण में स्थित है। यहाँ बाक्साइट के भण्डार सपनादन्द, नगरदन्द, कुडरीडीह, केसरा, धानकेसोरा, परपाटिया, ललया, नर्मदापुर (बारिमा), खैर कन्दराजा तथा सरभंजा क्षेत्र के निकट पाये गए हैं। इनमें कंदराजा तथा नर्मदापुर में 124 लाख टन बाक्साइट के निक्षेप उपलब्ध हैं।

2. जमीरापाट सामरीपाट क्षेत्र :-

इस क्षेत्र में 356.2 लाख टन बाक्साइट के अनुमानित भण्डार हैं, जहाँ छुटई, सेरांगदंग, तातीजहरिया, सामरी, चारघाट, जमीरापाट, बीरहारपाट, कुटीपाट तथा गौपाटो में बाक्साइट निक्षेप उपलब्ध हैं।

3. अन्य क्षेत्र :-

बारपाट, असानपानी, जोका, गरहडील तथा सतपथारिकार क्षेत्रों में भी न्यून मात्रा में बाक्साइट के भण्डार पाये गए हैं।

उपरोक्त सभी क्षेत्रों में इयोसीन क्रम की चट्टानों में बाक्साइट के निक्षेप पाये गए हैं।

ख. बिलासपुर जिले के अन्तर्गत बाक्साइट भण्डार क्षेत्र :-

ग. रायगढ़ जिले के अन्तर्गत बाक्साइट भण्डार क्षेत्र :-

घ. राजनांदगाँव जिले के अन्तर्गत बाक्साइट भण्डार क्षेत्र :-

ङ. बस्तर जिले के अन्तर्गत बाक्साइट भण्डार क्षेत्र :-

1. तारेलीमेट्टा क्षेत्र :-

बाक्साइट निक्षेप मुख्यतः बैलाडीला श्रेणी में पाये गए हैं, जिसकी कुछ मात्रा तारेलीमेट्टा पहाड़ी में पाई गई है। यहाँ 8.3 लाख टन बाक्साइट भण्डार का अनुमान लगाया गया है।

2. केसकाल क्षेत्र :-

केसकाल क्षेत्र में उत्तम कोटि के बाक्साइट भण्डार उपलब्ध हैं। यह क्षेत्र जगदलपुर से 130 किमी की दूरी पर जगदलपुर-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 पर स्थित है। यहाँ बाक्साइट निक्षेप के प्रमुख क्षेत्र बंधनपारा, कुआ, कुन्दरवाही, छेरबेरा तथा बुधियारमरी है। छेराबेरा में 1,89,470 टन तथा कुन्दरवाही में 6,30,870 टन बाक्साइट के भण्डार पाये गए हैं।

3. करीतगौन क्षेत्र :-

यह क्षेत्र जगदलपुर जिला मुख्यालय से 17 किमी की दूरी पर स्थित है, जहाँ बाक्साइट निक्षेप के 50 मीट्रिक टन के भण्डार 2 वर्ग किमी क्षेत्र में 20 मीटर की मोटाई में उपलब्ध हैं।

1. डोलोमाइट :-

क. रायपुर जिले के अन्तर्गत डोलोमाइट भण्डार क्षेत्र :-

1. भाटापारा पटपार क्षेत्र :-

भाटापारा रेलवे स्टेशन से .8 किमी की दूरी पर स्थित इस क्षेत्र में 1.32 लाख टन डोलोमाइट के संचित भण्डार पाये गए हैं।

2. गंडाडीह क्षेत्र :-

गंडाडीह ग्राम के उत्तर-पूर्व में न्यूनमात्रा में डोलोमाइट के निक्षेप पाये गए हैं।

3. टिकुलिया क्षेत्र :-

टिकुलिया ग्राम के समीप डोलोमाइट के निक्षेप न्यून मात्रा में उपलब्ध हैं।

ख. बिलासपुर जिले के अन्तर्गत डोलोमाइट भण्डार क्षेत्र :-

1. हिर्री क्षेत्र :-

हिर्री क्षेत्र में 410 लाख टन डोलोमाइट के भण्डार का अनुमान लगाया गया है। यह निक्षेप क्षेत्र बिलासपुर से 14 किमी की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में बिलासपुर बिल्हा मार्ग पर स्थित है।

2. बाराद्वार क्षेत्र :-

इस क्षेत्र में उच्चकोटि के 2500 लाख टन डोलोमाइट के भण्डार पाये गए हैं। यहाँ प्रमुख डोलोमाइट निक्षेप के क्षेत्र डुमरापारा, बाराद्वार, छपोरा, दरबा, घौघरी, सकरेली तथा चीतापंड़रिया है।

3. बेलपान धुमा क्षेत्र :-

इस क्षेत्र में 118.5 लाख टन उच्चकोटि के डोलोमाइट भण्डार पाये गए हैं। यह निक्षेप क्षेत्र हिर्री क्षेत्र का ही पश्चिमी विस्तारित क्षेत्र है। पोंगरिया में 65.59 लाख टन तथा बेलपान में 52.93 लाख टन डोलोमाइट के संचित भण्डार हैं।

ग. दुर्ग जिले के अन्तर्गत डोलोमाइट भण्डार क्षेत्र :-

घ. बस्तर जिले के अन्तर्गत डोलोमाइट भण्डार क्षेत्र :-

1. क्वार्टजाइट :-

प्रदेश में क्वार्टजाइट मुख्यतः दुर्ग, राजनांदगाँव तथा रायगढ़ जिलों में पाया गया है।

दुर्ग जिले में 200 लाख टन क्वार्टजाइट के संचित भण्डार हैं। प्रमुख निक्षेप क्षेत्र दानीटोला है। यह क्षेत्र दुर्ग से 60 किमी की दूरी पर दुर्ग डौण्डी मार्ग पर स्थित है।

राजनांदगाँव में क्वार्टजाइट के भण्डार पीपला-कछार ग्राम में पाये गए हैं। यह क्षेत्र खैरगढ़ से 15 किमी की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है।

रायगढ़ में क्वार्टजाइट के निक्षेप छत्तीसगढ़ सुपर ग्रुप की चंद्रपुर संस्तर के अन्तर्गत उरदाना, भूपदेवपुर तथा चिराईपानी ग्राम में पाये गए हैं।

2. क्वार्टज :-

प्रदेश में क्वार्टज के 240 लाख टन के संचित भण्डार पाये गए हैं, जो कि मुख्यतः राजनांदगाँव तथा बस्तर में उपलब्ध हैं।

राजनांदगाँव जिले में क्वार्टज के 190 लाख टन के अनुमानित संचित भण्डार डोंगरगढ़ विकासखण्ड के अन्तर्गत बोरतलाव तथा पनियाजोब ग्राम में पाये गए हैं।

बस्तर जिले में 50 लाख टन क्वार्टज के संचित भण्डार जगदलपुर से 47 किमी दक्षिण में जगदलपुर सुकमा मार्ग पर झिराम क्षेत्र के अन्तर्गत पुलुटोंगु डोंगरी तथा गोजिया डोंगरी में पाये गए हैं।

3. फ्लुओराइट :-

फ्लुओराइट निक्षेप प्रदेश के रायपुर तथा राजनांदगाँव जिले में पाये गए हैं फ्लुओराइट सामान्यतः Pneumatolitie तथा Pegmatitic निक्षेपों में पाया जाता है, जिसका उपयोग अधिकांशतः धातु उद्योग, रसायन उद्योग, कांच तथा सिरेमिक उद्योग में किया जाता है।

रायपुर जिले में 4300 टन फ्लुओराइट के संचित भण्डार है, जो जिले के सरायपाली क्षेत्र के छुराकुटा, मकरमुता तथा घाटकछार ग्राम में पाये गए हैं।

राजनांदगाँव जिले में .65 लाख टन फ्लुओराइट के भण्डार हैं जो राजनांदगाँव से 19 किमी पश्चिम में चांदी डोंगरी क्षेत्र में पाये गए हैं।

4. कोरण्डम :-

कोरण्डम प्राकृतिक ऑक्साइट का एक बहुत ही कठोर खनिज है, इसके पारदर्शक रूप पुखराज, नीलम तथा अन्य बहुमूल्य पत्थर हैं। प्रदेश में 24 टन कोरण्डम के संचित भण्डार हैं जो कि मुख्यतः बस्तर जिले में उपलब्ध हैं। बस्तर में कोरण्डम भोपालपट्टनम के समीप उत्तरी कछनुर तथा उत्तरी छिकुड़ापाली में पाया गया है।

1. टिन अयस्क :-

प्रदेश में टिन अयस्क के 6773.59 टन के संचित भण्डार हैं, जो मुख्यतः बस्तर जिले में पाये गए हैं। यहाँ टिन अयस्क के निक्षेप तोंगापाल, कातेकल्याण तथा पाधापुर क्षेत्र में पाये गए हैं। तोंगापाल क्षेत्र के मुंड़वाल, चितलनार, गोविंदपाल, कछीरास तथा छिपुरवारा ग्राम एवं किकिरपाल, बोदवारा, लिटिरास ग्राम में 2091.93 टन टिन अयस्क के भण्डार हैं।

कातेकल्याण क्षेत्र के कातेकल्याण, लकरास, कोरापाल तथा मारजुन ग्राम में 4181.66 टन टिन अयस्क के अनुमानित संचित भण्डार हैं।

जगदलपुर से 120 किमी की दूरी पर जगदलपुर-बैलाडीला मार्ग पर पाधापुर ग्राम में 500 टन टिन अयस्क के भण्डार उपलब्ध है।

2. लेड :-

लेड खनिज मुख्यतः सरगुजा जिले में लुण्ड्रा क्षेत्र के ग्राम भेलाई, वाइलांगी, धौरपुर तथा करमाटोला में आर्कियन क्रम की चट्टानों में पाया गया है।

3. अभ्रक :-

अभ्रक खनिज प्रदेश के सरगुजा एवं बस्तर जिले पाया गया है। सरगुजा जिले में अभ्रक निक्षेप सूरजपुर क्षेत्र के अन्तर्गत कालिकापुर, हरिवारपुर, पहाड़करवान, पेन्ड्री, कानजिया तथा गया दान ग्राम में आर्कियन क्रम की चट्टानों में मिलते हैं।

बस्तर में अभ्रक के निक्षेप बोदीनार, कनकापाल, जुनजाने कोंटा तहसील के मटिया तथा झिराम नदी के समीपवर्ती क्षेत्रों में पाये गए हैं। साथ ही जगदलपुर-दंतेवाड़ा मार्ग के बीच तीरताम तथा बस्तावीर क्षेत्र में भी अभ्रक खनिज के उपस्थिति पाई गई है।

4. ग्रेफाइट :-

ग्रेफाइट प्रदेश के एक मात्र सरगुजा जिले में पाया गया है, यहाँ मुख्यतः गिरवानी, सुरसा, केन्नापारा, तोलकीपारा, कोबी तथा मानिकपुर ग्राम में आर्कियन क्रम की चट्टानों में ग्रेफाइट के निक्षेप प्राप्त हुए हैं।

5. फेल्सपार :-

फेल्सपार खनिज के निक्षेप बस्तर जिले में जगदलपुर-सुकमा मार्ग पर 48 किमी की दूरी पर झिराम क्षेत्र में पाये गए हैं। यहाँ 3 मीटर की मोटाई में .7 लाख टन फेल्सपार के भण्डार पाये गए हैं।

6. तांबा अयस्क :-

प्रदेश में तांबा अयस्क के भण्डार बस्तर जिले के इतेपाल, गिलगिचा, तथा मोदेनार क्षेत्र में आर्कियन क्रम की चट्टानों में पाये गए हैं।

तालिका : 2.7 छत्तीसगढ़ प्रदेश : मुख्य खनिजों का जिलेवार उत्पादन (मात्रा लाख टन में)

क्रम

खनिज/जिला

1990-91

991-92

1992-93

1993-94

1994-95

1995-96

1996-97

1997-98

1.

लौह अयस्क

        
 

दुर्ग

54.17

66.0

65.19

55.28

70.7

68.81

68.58

72.64

 

बस्तर

-

100.97

89.72

104.18

99.13

108.85

  

2.

चूना पत्थर

        
 

बिलासपुर

21.70

23.80

21.90

22.37

20.66

18.13

16.54

21.91

 

दुर्ग

20.88

26.40

27.53

27.19

20.02

17.59

18.85

19.46

 

रायपुर

26.35

28.07

27.64

43.18

43.77

61.76

70.08

71.13

 

रायगढ़

28.30

40.89

40.00

32.98

0.04

0.04

0.3

0.02

 

राजनांदगाँव

-

0.13

27.64

43.18

-

-0.88

-

-

 

बस्तर

-

 

0.69

0.65

0.75

 

0.67

-

3.

डोलोमाइट

        
 

रायपुर

-

      

0.02

 

बिलासपुर

3.82

2.92

40.39

3.62

3.91

5.64

6.78

6.34

 

दुर्ग

5.357

4.99

6.17

16.30

4.37

4.06

3.13

3.4

4.

बाक्साइट

        
 

बस्तर

-

 

2.44

1.30

-

 

-

0.1

 

बिलासपुर

1.05

7.19

8.38

7.40

0.68

0.73

0.76

0.57

 

सरगुजा

    

1.10

1.56

1.90

2.76

स्रोत : खनिज सांख्यिकी विभाग, संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म, रायपुर

6. अग्नि मृत्तिका :-

प्रदेश में अग्नि मृत्तिका के भण्डार बिलासपुर, सरगुजा तथा रायगढ़ जिले में पाये गए हैं।बिलासपुर जिले में अग्निमृत्तिका के निक्षेप गरीपरवा, गोपालपुर, दिसानपुर तथा थाड़पथरा क्षेत्र में पाये गए हैं। साथ ही पाली, बंधखुर तथा खुटा क्षेत्र में बाराकर संस्तर में अग्निमृत्तिका के निक्षेप लघुमात्रा में पाये गए हैं।

सरगुजा जिले के बामपुरा, नवापारा तथा विश्रामपुर क्षेत्र में बाराकर संस्तर में अग्निमृत्तिका के निक्षेप न्यून मात्रा में उपलब्ध हैं।

रायगढ़ जिले के डोमनारा, बरौद, भांजीखोल, उर्बा तथा चिंतापानी क्षेत्र में 70 लाख टन अग्नि मृत्तिका के भण्डार बाराकर संस्तर में पाये गए हैं।

7. सोना :-

सोना एक बहुमूल्य खनिज है। प्रदेश में सोने के 2804 किग्रा सोने के संचित भण्डार उपलब्ध है। प्रदेश के रायपुर, रायगढ़ एवं बस्तर जिले में सोने के निक्षेप पाये गए हैं।

रायपुर जिले में कसडोल क्षेत्र के अन्तर्गत सोनाखान तथा बागमारा क्षेत्र में सोने के 2780 किग्रा के भण्डार पाये गए हैं। यह क्षेत्र रायपुर से 123 किमी की दूरी पर उत्तर पूर्व में स्थित है।

रायगढ़ जिले का पूर्वी भाग सोना निक्षेप की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। यहाँ इब, मैनी तथा मांद नदियों के क्षेत्र में सोना पाया गया है। सोना निक्षेप के मुख्य क्षेत्र परसाबहार, टुब धौरा सेन्ड मेनदर बहार, कन्दई बहार, माथगड़ा, बरजोर देवरी तथा दोकरा है जो कि 500 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है तथा यहाँ 25 किग्रा सोने के भण्डार उपलब्ध हैं।

8. अलेक्जेंडराइट :-

अलेक्जेंडराइट एक दुर्लभ खनिज पदार्थ है जो विश्व के कुछ ही देशों में पाया जाता है। प्रदेश के रायपुर जिले में अलेक्जेडराइट खनिज देवभोग से 8 किमी दक्षिण पूर्व में लाटापारा तथा सेदमुड़ा ग्राम में सन 1982 में पाया गया है।

9. हीरा :-

प्रदेश में रायपुर जिले के दक्षिण-पूर्वी भाग में हीरे के भण्डार क्षेत्र है। यह क्षेत्र बिन्द्रानवागढ़ के मैनपुर से 20 किमी दक्षिण में बोहराडीह तथा 40 किमी दक्षिण पूर्व में पयालीखण्ड है।

प्रमुख खनिजों का जिलेवार उत्पादन तालिका 2.5 में दृष्टव्य है।

3. वनसंसाधन :-

छत्तीसगढ़ प्रदेश में वन क्षेत्र :-

तालिका 2.8 छत्तीसगढ़ प्रदेश : जिलेवार वन क्षेत्रफल (वर्ग किमी) वर्ष 1997-98

क्रम

जिले का नाम

कुल भौगोलिक क्षेत्रफल

कुल वन क्षेत्र

कुल वन क्षेत्र का प्रतिशत

01

बिलासपुर

19897

7913

39.77

02

रायगढ़

12924

6081.61

47.06

03

दुर्ग

8537

1723.64

20.19

04

राजनांदगाँव

11127

2936.81

26.39

05

सरगुजा

22337

11903.92

53.29

06

रायपुर

21258

7200.21

33.87

07

बस्तर

39114

21525.79

55.03

 

योग

1,35,194

59,285.26

43.85

स्रोत : कार्यालय, मुख्य वन संरक्षक, भोपाल।

स्पष्ट है प्रदेश में वन क्षेत्र का सर्वाधिक विस्तार बस्तर तथा सरगुजा जिले में क्रमशः 55.03% तथा 53.29% है। ये क्षेत्र मुख्यतः पहाड़ी तथा पठारी क्षेत्र है। अन्य जिलों की अपेक्षा दुर्ग में वन क्षेत्र का प्रतिशत (20.19%) कम रहा।

तालिका 2.9 छत्तीसगढ़ प्रदेश : जिलेवार आरक्षित, संरक्षित तथा अवर्गीकृत वन क्षेत्रफल (वर्ग किमी)

क्रम

जिला का नाम

आरक्षित वन

संरक्षित वन

अवर्गीकृत वन

योग

01

बिलासपुर

1,432.00

6481.28

-

7913.28

02

रायगढ़

2818.62

2364.99

698

6081.61

03

दुर्ग

482.54

1241.10

-

1723.64

04

राजनांदगाँव

1473.40

1463.41

-

2936.81

05

सरगुजा

3938.06

7965.86

-

11903.21

06

रायपुर

4005.92

2973.29

221

7200.21

07

बस्तर

9815.91

8616.88

3093

21525.79

 

योग

23966.45

31106.81

4212

59285.26

प्रदेश में संरक्षित वनों का क्षेत्रफल 31106.81 वर्ग किमी अर्थात 52.46% है। आरक्षित एवं अवर्गीकृत वनों का प्रतिशत क्रमशः 40.42% एवं 7.10% रहा।

विभिन्न वन वृत्तों के अन्तर्गत वनों का क्षेत्रफल इस प्रकार है :-

तालिका 2.10 छत्तीसगढ़ प्रदेश : वनवृत्तानुसार वन क्षेत्रफल (वर्ग किमी) 1997-98

क्रम

वनवृत्त का नाम

कुल भौगोलिक क्षेत्रफल

कुल वन क्षेत्र

आरक्षित वन

संरक्षित वन

अवर्गीकृत वन

कुल भौगोलिक क्षेत्रफल में कुल वनक्षेत्र का प्रतिशत

01

बिलासपुर

32,821

13994.89

4250.62

8846.27

898

42.64

02

रायपुर

21,258

7200.21

4005.92

2973.29

221

33.87

03

सरगुजा

22337

4660.45

1955.94

2704.51

-

23.70

04

दुर्ग

19664

4660.45

1955.94

2704.51

-

23.70

05

कांकेर

18614

9789.11

3863.87

3210.14

2805.1

52.59

06

जगदलपुर

20500

11736.68

5952.05

5496.74

287.89

57.25

स्रोत : कार्यालय, मुख्य वन संरक्षक, भोपाल

वन वृत्तानुसार वनों का क्षेत्रफल जगदलपुर वनवृत्त में सर्वाधिक 57.25% तत्पश्चात सरगुजा वनवृत्त में 53.29% है।

वन प्राणियों की दृष्टि से भी छत्तीसगढ़ प्रदेश का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यहाँ वर्तमान में तीन राष्ट्रीय उद्यान संजय राष्ट्रीय उद्यान (सरगुजा), इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान (बस्तर) तथा कांगेर-घाटी राष्ट्रीय उद्यान (बस्तर) है। इनमें संजय राष्ट्रीय उद्यान का मुख्यालय सीधी जिले में है। प्रदेश में 10 अभयारण्य, बादल खोल (रायगढ़) वारनवापारा (रायपुर), सीतानदी (रायपुर), अचानकमार (बिलासपुर), सेमरसोत (सरगुजा), तमोरपिंगला (सरगुजा), भैरमगढ़ (बस्तर), पामेड़ वन भैंसा अभयारण्य (बस्तर), उदन्ती वन भैसा अभयारण्य (रायपुर) तथा गोमरदा अभयारण्य (रायगढ़) है। इन अभयारण्यों में बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, वनभैसा, भालू, गौर, नीलगाय आदि जानवर पाये जाते हैं। उपरोक्त राष्ट्रीय उद्यान तथा अभयारण्यों में 227 बाघ तथा 834 तेंदुआ मौजूद है। (वर्ष 1997 के अनुसार)

प्रदेश के छः वनवृत्तों में 1997 की गणनानुसार बिलासपुर वृत्त में 34 बाघ एवं 166 तेंदुआ, दुर्ग वृत्त में 12 बाघ एवं 68 तेंदुआ, जगदलपुर वृत्त में 73 बाघ एवं 93 तेंदुआ, कांकेर में 33 बाघ एवं 141 तेंदुआ, रायपुर में 57 बाघ एवं 262 तेंदुआ और सरगुजा वृत्त में 18 बाघ एवं 104 तेंदुआ होने की पुष्टि की गई है।

वनउत्पाद :-

छत्तीसगढ़ के वनों में साल एवं सागौन के वृक्ष प्रमुख हैं। प्रमुख वनोपजों में काष्ठ एवं जलाऊ चट्टा तथा लघु वनोपजों के अन्तर्गत बांस, तेंदूपत्ता, हर्रा, सालबीज, गोंद सम्मिलित है।

वर्ष 1997-98 में काष्ठ की मात्रा 114662 घनमीटर, जलाऊ चट्टा की संख्या 130217 बाँस का उत्पादन 77248 मीट्रिक टन तथा साल बीज का उत्पादन 292927.60 क्विंटल रहा। काष्ठ तथा जलाऊ चट्टा का सर्वाधिक उत्पादन रायपुर वनवृत्त में क्रमशः 50951 तथा 36464 घनमीटर रहा। वहीं बाँस का सर्वाधिक उत्पादन 39046 मीट्रिक टन दुर्ग वन वृत्त में रहा। तेंदूपत्ता का उत्पादन 4.58 लाख बोरा बिलासपुर वन वृत्त में रहा जो अन्य वनवृत्तों की तुलना में अधिक है। प्रदेश में सालबीज का उत्पादन बिलासपुर वनवृत्त में 1,24,559.15 क्विंटल रहा तथा हर्रा का सर्वाधिक उत्पादन 19839.82 क्विंटल कांकेर वनवृत्त के अन्तर्गत रहा। प्रदेश में गोंद का कुल उत्पादन 2308.22 क्विंटल रहा। बिलासपुर वनवृत्त में गोंद का उत्पादन 1413.12 क्विंटल अन्य वनवृत्तों की अपेक्षा अधिक रहा। (तालिका 2.11)

4. कृषि उत्पाद :-

2

तालिका : 2.11 छत्तीसगढ़ प्रदेश : वन वृत्तावार कूपों में विभिन्न वन उत्पादों की मात्रा (वर्ष 1997-98)

वृत्त का नाम

काष्ठ (घनमीटर में)

जलाऊ चट्टा (संख्या)

बाँस (मी. टन में)

तेंदुपत्ता (लाख बोरों में)

साल बीज (क्विंटल में)

हर्रा (क्विंटल में)

गोंद (क्विंटल में)

बिलासपुर

33731

26738

6050

4.58

124559.15

431.97

1413.12

दुर्ग

23531

35893

39046

2.07

163.21

252.82

457

जगदलपुर

1098

-

4504

0.69

40019.58

245.93

-

कांकेर

2241

573

25970

3.41

49883.13

19839.82

98.1

रायपुर

36436

50951

1384

3.31

7371.53

2436.41

340

सरगुजा

17597

16062

294

3.62

70931

708.22

-

योग

114662

130217

77248

17.68

292927.60

23915.18

2308.22

स्रोत : कार्यालय, मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) भोपाल

प्रदेश में चावल का औसत उत्पादन 4186.34 मीट्रिक टन तथा तत्पश्चात मक्का का उत्पादन 124.9 मीट्रिक टन है। रायपुर सम्भाग के अन्तर्गत चावल का उत्पादन 2088.67 मीट्रिक टन अन्य क्षेत्र की तुलना में अधिक है। वहीं बिलासपुर सम्भाग में गेहूँ उत्पादन की मात्रा 42.07 मीट्रिक टन तथा रायपुर एवं बस्तर सम्भाग में क्रमशः 41.14 तथा 2.3 मीट्रिक टन है। रायपुर सम्भाग में चना उत्पादन की मात्रा 74.24 मीट्रिक टन तथा बिलासपुर सम्भाग में 22.67 मीट्रिक टन रही, वहीं बस्तर सम्भाग में यह मात्रा 1.06 मीट्रिक टन रही। कोदो कुटकी का उत्पादन बस्तर सम्भाग में अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक (23.23 मीट्रिक टन) रहा। (तालिका 2.12)

तालिका : 2.12 छत्तीसगढ़ प्रदेश : विभिन्न फसलों का औसत उत्पादन (हजार मीट्रिक टन में)

क्रम

जिला/संभाग

चावल

ज्वार

मक्का

कोदो कुटकी

तुअर

गेहूँ

चना

मूँगफली

तिल

अलसी

राई सरसों

सोयाबीन

1.

रायपुर

1143.23

0.74

0.77

2.17

2.6

16.54

11.5

7.17

1.00

3.4

0.94

0.70

2.

दुर्ग

607.84

0.14

0.14

3.94

3.4

11.00

34.74

0.97

0.2

6.14

0.17

5.34

3.

राजनांदगाँव

337.60

0.03

4.17

18.7

7.4

13.60

28.00

0.1

0.44

10.00

1.00

28.34

 

रायपुर सम्भाग

2088.67

0.94

5.06

22.14

13.4

41.14

74.24

8.24

1.64

19.54

2.1

34.36

 

बस्तर जिला/सम्भाग

564.37

5.07

38.14

23.23

2.74

2.30

1.06

0.1

0.64

1.3

6.50

0.26

1.

बिलासपुर

771.44

0.8

14.4

6.5

5.0

13.27

18.87

4.57

0.47

3.17

2.34

3.9

2.

सरगुजा

334.27

2.9

56.8

5.5

11.94

25.37

2.3

6.37

1.27

2.27

13.94

0.1

3.

रायगढ़

427.6

0.17

10.5

5.4

3.1

3.44

1.5

10.94

0.54

0.40

3.30

-

 

बिलासपुर सम्भाग

1533.30

3.87

81.7

17.4

20.03

42.07

22.67

21.87

2.27

5.84

19.57

3.94

 

कुल औसत उत्पादन

4186.34

9.87

124.9

62.77

36.17

85.5

97.97

30.20

4.54

26.67

28.17

38.57

स्रोत : मध्य प्रदेश का आधार भूत कृषि सांख्यिकी, 1993-94 से 1997-98।

SCROLL FOR NEXT