लेख

वायु प्रदूषण की नई राजधानियाँ

अजीत सिंह, अनुपम चक्रवर्ती


राजधानी दिल्ली में जहाँ वायु प्रदूषण की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, वहीं उत्तर व मध्य भारत के कई शहर इस मामले में दिल्ली को भी पीछे छोड़ रहे हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली जिस प्रदूषण से उबर नहीं पाई, अब वैसी ही दूषित हवा कई दूसरे शहरों का दम घोंट रही है। अजीत सिंह के साथ अनुपम चक्रवर्ती की रिपोर्ट

दीपावली के बाद नवम्बर का दूसरा सप्ताह। लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के साँस रोग विभाग में मरीजों की भीड़ अचानक बढ़ गई है। विभागाध्यक्ष डॉक्टर सूर्यकांत बताते हैं कि आँख और नाक की एलर्जी के मरीजों की तादाद दीपावली के बाद करीब 25 फीसदी ज्यादा है। पहले गम्भीर निमोनिया के महीने में एक-दो मामले आते थे, अब हफ्ते में ऐसे चार-पाँच मरीज आ रहे हैं। ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के मरीज भी बढ़ गए हैं।

जी हाँ, आप वायु प्रदूषण की नई राजधानी लखनऊ में हैं। फसल कटाई के मौसम में दीपावली के बाद जहरीले धुएँ में लिपटी तो धूल और धुँध यानी स्मॉग दिल्ली को अपनी गिरफ्त में ले लेता है, अब वह उत्तर भारत के लखनऊ जैसे शहरों का दम भी घोंटने लगा है। केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के अनुसार, गत 29 और 30 अक्टूबर को कानपुर देश के 32 प्रमुख शहरों में सबसे प्रदूषित शहर था। अगले आठ दिनों में फरीदाबाद पाँच बार इस फेहरिस्त में टॉप पर रहा, जबकि 8 व 9 नवम्बर को लखनऊ देश का सबसे प्रदूषित शहर था। ताजनगरी आगरा भी इस साल स्मॉग से बुरी तरह घिरी रही। यही हाल नौ नवम्बर को बनारस का था।

अब दिल्ली दूर नहीं

वायु प्रदूषण से रोजाना 1701 मौतें

कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं

अमृतसर

21 यातायात पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य पर किए गए अध्ययन में पता चला कि ऑटोमाबाइल से निकलने वाले प्रदूषित हवा जीनोटॉक्सिक प्रभाव से युक्त होते हैं और लम्बे समय तक इससे सम्पर्क में रहना जोखिम भरा हो सकता है।

लखनऊ

सड़कों के करीब रहने वाले बच्चों के बीच उच्च ऑक्सीडेटिव तनाव पाया गया।

खलनायक की तलाश

जलगाँव

वर्ष 2005 की इंडिया इन इंडस्ट्रियल हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, जलगाँव शहर के ट्रैफिक पुलिसकर्मियों में साँस सम्बन्धी परेशानियाँ बहुत अधिक पाई गई हैं।

अहमदाबाद

शहर के सबसे प्रदूषित इलाकों में दुकानदारों के फेफड़ों में काफी खराबी पाई गई। यह अन्तर सर्वाधिक प्रदूषित और अपेक्षाकृत कम प्रदूषित क्षेत्रों में साफ नजर आया।

बीकानेर

2010 में शहर के 100 डीजल टैक्सी ड्राइवरों और इतने ही स्वस्थ लोगों पर हुए एक अध्ययन में ड्राइवरों में साँस और फेफड़े सम्बन्धी समस्याएँ अधिक पाई गईं।

कानपुर

धुएँ शहर के विकास नगर जैसे प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के फेफड़ों की सक्रियता अपेक्षाकृत साफ वातावरण में रहने वाले लोगों के मुकाबले कम पाई गई।

छोटे शहरों पर बड़ी मार

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