एक अध्ययन में पता चला है कि वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में सिजोफ्रेनिया होने का खतरा बढ़ने की सम्भावना अधिक होती है। हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर न सिर्फ शारीरिक नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि यह मानसिक सेहत को भी बिगाड़ सकते हैं।
यह अध्ययन अमरिकन मेडिकल एसोसिएशन नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें आईसाइक नामक प्रोजेक्ट से आनुवंशिक डाटा का आंकलन किया। आईसाइक एक प्रोजेक्ट है, जो सबसे आम और गम्भीर मानसिक बीमारियों (जिनमें ऑटिज्म, बायपोलर डिसऑर्डर और डिप्रेशन शामिल हैं) के आधार और उपचार का पता लगाता है।
डेनमार्क को आरहुस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने देश के पर्यावरण विज्ञान विभाग से वायु प्रदूषण पर आधारित जानकारी के साथ आईसाइक के डाटा को जोड़ा। बच्चों के बढ़ती उम्र के दौरान वायु प्रदूषण के सम्पर्क में आने से सिजोफ्रेनिया का खतरा बढ़ जाता है।
प्रदूषित क्षेत्रों में रहने से, विशेष रूप से जीवन के शुरुआती दिनों में, मानसिक विकारों के होने की सम्भावना अधिक होती है। प्रदूषण के कम स्तर के सम्पर्क में आने वाले लोगों में इस रोग का खतरा लगभग दो प्रतिशत होता है। जबकि प्रदूषण के उच्च स्तर में रहने वालों को पांच फीसदी खतरा होता है।
TAGS |
air pollution, air pollution india,schizophrenia due to air pollutin, causes of air pollution, diseases from air pollution, air pollution hindi. |