पुस्तकें

अम्बा नींबू बनिया गर दाबे रस देयँ

Author : घाघ और भड्डरी


अम्बा नींबू बनिया गर दाबे रस देयँ।
कायथ कौवा करहटा मुर्दा हू सों लेयँ।।


भावार्थ- आम, नींबू और बनिया ये बिना दबाये रस नहीं देते और कायस्थ कौवा और किलहटा (एक पक्षी) ये मुर्दे से भी रस निकाल लेते हैं।

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