कंधों पर लदी इसके एक सदी है
यह बहते हुए पानी से लदी है।
जल वर्षा का खलियानों में रोको
खुशहाली की अब फसलों को रोपो
नदी ये, नदी ये सबकी नदी है
यह बहते हुए पानी से लदी है।
पेड़ की यह जड़े मिट्टी की है बांधे
तभी तो मजबूत है पर्वत के कांधे
यह रोई तो सदा रोई सदी है
यह बहते हुए पानी से लदी है।
समय का बोझ कांधे पर है लादे
सत्ता की तरह नहीं करती यह झूठे वादे।
यह अपना दुःख स्वयं ढोती सदी है
यह बहते हुए पानी से लदी है।
मुनाफाखोर नदियों को भी बाजारों में लाये
नेताओं ने भी इससे करोड़ों है कमाये
आग के भीतर सिसकती एक नदी है
यह बहते हुये पानी से लदी है।