जलवायु परिवर्तन

दरकते पहाड़ -बिखरते लेाग,खतरे में भारत का ऐतिहासिक शहर

देव, मीनाक्षी अरोरा

जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव ने इस वक़्त पूरे भारत का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया हुआ है क्योंकि मामला बेहद गंभीर है और हजारों लोगों की न सिर्फ सुरक्षा से जुड़ा हुआ है बल्कि एक ऐसे पुराने शहर के अस्तित्व से भी जुड़ा है जो हजारो साल पुराना है शुरूआती दौर में जब ये भू-धसाव शुरू हुआ तो ये देश की मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाया लोगो ने सोचा शायद भूकंप या अन्य किसी वजह से उनके मकानों में ये दरारें आ रही होंगी लेकिन धीरे-धीरे इस भू-धसाव ने लगभग लगभग न सिर्फ पूरे शहर को ही अपनी चपेट में ले लिया बल्कि विश्व पटल पर पर्यटन के मशहूर औली को भी अपनी जड़ में ले लिया और वहां संचालित हो रही रोपवे सेवा को भी अग्रिम आदेशों तक बंद कर दिया गया। क्योंकि जहाँ रोपवे के टावर है उसके आस पास की जमीन में भी अब दरारे पड़ने लगी है। पिछले साल जब ये भू-धसाव शुरू हुआ तो इसकी जांच के लिए एक भू-वैज्ञानिक का दल वहां भेजा गय। उस दल ने सितंबर में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि जोशीमठ मुख्य रूप से पुराने भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर बसा है। ऐसे क्षेत्रों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने की स्थिति में भूमि में समाने वाले पानी के साथ मिट्टी बहने से कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

रिपोर्ट में जोशीमठ में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करने, अलकनंदा नदी से हो रहे भूकटाव की रोकथाम का कदम उठाने, नालों का चैनलाइजेशन व सुदृढ़ीकरण करने के साथ ही धारण क्षमता के अनुरूप निर्माण कार्यों को नियंत्रित करने के सुझाव दिए गए थे। 5 जनवरी को फिर से अब धामी सरकार ने एक दल को यहाँ भेजा और अगले दो चार दिन तक स्तिथि पर नज़र बनाए रखने के लिए कहा है इतने बड़े भूभाग में ऐसा विशाल भू-धसाव पिछले कुछ दशकों में पहली बार देखा गया है जिससे स्थानीय निवासियों के बीच दहशत का माहौल है और उन्हें डर है की कही उन्हें उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि को हमेशा के लिए न छोड़ना पड़ जाये। जमीन से निकल रहा पानी खेतों की दरारों में घुस रहा है इससे खतरा और भी बढ़ गया है एहतियात के तौर पर फिलहाल प्रशासन ने कुछ लोगो को गेस्ट हाउस में रुकने की व्यवस्था की है तो कुछ लोगो को कही और सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है अब देखना ये होगा की जो जांच दल पिछले वर्ष यहाँ पर मॉनिटरिंग करने आया था और उन्होंने पानी की निकासी के लिए जो सुझाव दिए थे उनपर कब तक अमल होगा और क्या उसके बाद स्तिथि नियंत्रण में आ सकेगी या फिर भी हजारो लोगो की छत पर खतरा मंडराता रहेगा।

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