जलवायु सम्बन्धी अधिकांश सिद्धान्तों में यह इंगित किया गया था कि वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन वैश्विक तापन के साथ बढ़ेगा क्योंकि इससे समुद्रों से वाष्पीकरण बढ़ जाएगा और कुल मिलाकर अधिक वर्षा होगी। आँकड़े वास्तव में यह दर्शाते भी हैं कि कुछ क्षेत्रों में नमी उससे अधिक हो गई, जितनी वहाँ प्रायः हुआ करती थी। परन्तु, हाल के अध्ययनों ने यह संकेत दिये हैं कि पिछले दशक में ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका एवं दक्षिणी अमेरिका सहित दक्षिणी गोलार्ध के विशाल क्षेत्रों में मृदा सूखती रही है जिसके कारण वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन की दर में काफी कमी हो रही है।