जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित समझौते एवं सम्मेलन

डॉ. दिनेश मणि

जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन 7-18 दिसम्बर, 2009 में कोपेनहेगन में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बाली कार्य योजना का क्रियान्वयन तथा क्योटो प्रोटोकॉल की दूसरी प्रतिबद्धता अवधि के सम्बन्ध में निर्णय लेना था। यद्यपि सम्मेलन में बाली कार्य योजना तथा क्योटो प्रोटोकॉल की दूसरी प्रतिबद्धता के सम्बन्ध में कोई महत्त्वपूर्ण निर्णय नहीं हो सका, तथापि इन विषयों पर चर्चा जारी रखने तथा कानकुन, मैक्सिको में दिसम्बर 2010 में आयोजित होने वाले सम्मेलन में ठोस निर्णय लेने की सम्भावना व्यक्त की गई।

सारिणी-10.1


जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में कुछ अन्तरराष्ट्रीय प्रयास

1972

स्टॉकहोम सम्मेलन (यूनेप का गठन)

1987

मांट्रियल समझौता

1988

आईपीसीसी की स्थापना

1990

आईपीसीसी की पहली रिपोर्ट प्रकाशित हुई

1992

रियो-डि-जेनेरो में एजेंडा- 21 की घोषणा

1995

बर्लिन सम्मेलन

1996

जेनेवा सम्मेलन

1997

क्योटो समझौता

1998

क्योटो समझौता का पुनरावलोकन (ब्यूनस आयर्स में)

2002

जोहान्सबर्ग में पृथ्वी- 10 नामक सम्मेलन आयोजित किया गया। यूरोपीय संघ, जापान समेत कई देशों ने क्योटो समझौते की पुष्टि की, लेकिन अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया इसमें शामिल नहीं हुए

2004

रूस भी क्योटो समझौते पर सहमत

2005

मांट्रियल वार्ता जारी

2006

नैरोबी सम्मेलन

2007

जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी की चौथी रिपोर्ट जारी

2007

बाली सम्मेलन

2008

बैंकॉक सम्मेलन

2009

कोपेनहेगन सम्मेलन

2010

कानकुन सम्मेलन

2011

डरबन सम्मेलन

2012

दोहा सम्मलेन

कोपेनहेगन समझौता

2008 में जलवायु परिवर्तन पर विकसित राष्ट्रों ने नेतृत्व प्रदान करते हुए 2050 तक कार्बन उत्सर्जन में 50 प्रतिशत कमी करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन उसे भी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने एक तरह से अनदेखा ही कर दिया था, गौर से देखा जाये, तो विकसित राष्ट्रों का मंतव्य 1990 के क्योटो प्रोटोकाल से अलग नहीं है, जिसमें कहा गया था कि 2020 तक विकसित राष्ट्र अपने कार्बन उत्सर्जन में 5.2 प्रतिशत की कमी करेंगे, लेकिन अमेरिका और क्योटो प्रोटोकॉल के सबसे बड़े पैरोकार जापान ने गैस उत्सर्जन में कटौती करने का वायदा नहीं निभाया।

यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज

कानकुन सम्मेलन

कानकुन समझौता- एक नजर में क्या हुआ हासिल

क्या नहीं हुआ हासिल

1997 में धनी देश उत्सर्जन में छोटी कटौती पर सहमत हो गए थे, लेकिन वे उस पर अमल नहीं कर सके, वर्ष 1990 से 2005 के बीच इन देशों का उत्सर्जन 11 प्रतिशत बढ़ा है, वहीं इसके लिये विकास मेें प्रयुक्त ईंधन की बढ़ोत्तरी 15 फीसदी तक हुई है, ऑस्ट्रेलिया का कार्ब उत्सर्जन 37 प्रतिशत बढ़ा और अमेरिका का 20 फीसदी। ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े उद्योगों का उत्सर्जन 24 प्रतिशत बढ़ा जबकि यातायात जनित उत्सर्जन 28 फीसदी।

डरबन सम्मेलन

दोहा सम्मेलन

बाली में जो कार्यक्रम तैयार होना आरम्भ हुआ था उसका उद्देश्य था औद्योगिक रूप से विकसित राष्ट्रों के लिये उत्सर्जन में कमी की रूपरेखा तैयार करना जो क्योटो संधि के अन्तर्गत शामिल नहीं थे। उस श्रेणी में अमेरिका भी है। साथ ही विकासशील देश, जिन पर क्योटो संधि के अन्तर्गत कोई जिम्मेदारी नहीं थी, के लिये स्वेच्छा से उत्सर्जन में कमी की रूपरेखा बनाना। इसके अतिरिक्त जलवायु में परिवर्तन के कारण जिन देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे। वे किस प्रकार उनके लिये तैयारी कर सकते हैं यह विषय भी उसी कार्य क्षेत्र में आता है।

दोहा बैठक में भारत की अपनी कुछ माँग थी। पहली माँग थी कि वर्तमान में जो 10 अरब डॉलर प्रतिवर्ष का वित्तीय प्रावधान है उसे बढ़ाया जाये। दूसरी माँग थी कि स्वच्छ प्रौद्योगिकी का खुले रूप से आदान-प्रदान हो। उस क्षेत्र में कॉपीराइट के मुद्दे को समाप्त किया जाये। एक और माँग थी कि विमानन तथा समुद्रीय क्षेत्र में जो कार्बन टैक्स लगाने की बात है उसे समाप्त किया जाये। उसमें से कुछ को मान लिया गया और उन पर भविष्य में चर्चा जारी रहेगी। परन्तु भारत में कई प्रेक्षकों का मत यह भी था कि दोहा में जो कुछ हुआ वह केवल शब्दों का खेल था।

भारतीय सन्दर्भ में जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान

सारिणी-10.2

एनेक्स के देश और उनका वर्ष 2012 तक ग्रीनहाउस गैसों में कटौती का लक्ष्य (वर्ष 1990 में होने वाले उत्सर्जन का प्रतिशत)

देश

2012 में 1990 के उत्सर्जन का प्रतिशत

ऑस्ट्रेलिया

108

आइसलैंड

110

न्यूजीलैंड, उक्रेन, रशियन फेडरेशन

100

नार्वे

99

बेलारूस, क्रोशिया

95

कनाडा, हंगरी, जापान, पोलैंड

94

अमेरिका

93

ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लेटविया, लिचटेस्टीन, लिथुवानिया, लक्समबर्ग, मोनाको, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम

92

सन्दर्भ

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