हवा के बहाव को पवन कहते हैं। पवनें पृथ्वी के मौसम तंत्र का महत्वपूर्ण घटक है। हवा के भार के कारण पवन चलती है। गर्म हवा की तुलना में ठंडी हवा के अधिक भारी होने के कारण ठंडी हवा का दाब भी अधिक होता है। सूर्य की ऊष्मा से हवा गर्म होकर हल्की होने पर ऊपर की ओर उठती है तब गर्म हवा के ऊपर उठने पर उसके द्वारा रिक्त किए गए स्थान पर आसपास की ठंडी और भारी हवा आ जाती है। इससे हम कह सकते हैं कि हवा सदैव उच्च दाब से निम्न दाब की ओर बहती है। यदि उच्च दाब का क्षेत्र निम्न दाब के क्षेत्र से बहुत निकट है एवं दाबांतर अथवा तापांतर बहुत अधिक होता है, तब पवनें अतितीव्र वेग से बहती हैं और घूमती हवा अपने साथ नमी, वर्षा वाले बादल एवं तड़ित-झंझा ला सकती हैं।
हवा के रंगहीन और पारदर्शी होने के कारण हम हवा के बहाव को देख नहीं सकते हैं। लेकिन यह हम जानते हैं कि हवा की शक्ति बहुत व्यापक भी हो सकती है। साफ मौसम में मंद-मंद बहती हवा के बहाव को अनुभव किया जा सकता है। जब हवा बहुत हल्की भी बह रही हो तब हम चेहरे और बालों पर उसका अनुभव कर सकते हैं। हवा के बहने से हमारे बाल उड़ते रहते हैं। लेकिन कभी-कभी हवा बहुत ही तेज गति से बहती हुई चक्रवात और तूफान का कारण बनती है जो पेड़ों को उखाड़ने के साथ कारों और इमारतों को नुकसान पहुंचा सकती है।
सामान्यतया जब हम पवनों की बात करते हैं तो हम उसकी क्षितिज गति की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। जिस दिशा से पवन आती है उसके अनुसार ही उसकी दिशा व्यक्त की जाती है। यदि हम कहते हैं कि पश्चिमी पवनें या वेस्टरलीज़ की गति 10 से 20 किलोमीटर प्रति घंटा है तो इसका मतलब है कि पश्चिम से आने वाली क्षैतिज हवाओं का वेग 10 से 20 किलोमीटर प्रति घंटा है।
जब ये पवनें क्षैतिज से बहती हैं तो इनके बहनें की गति ऊंचाई पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए भूमि के घर्षण के कारण पृष्ठीय पवनों का वेग बादल स्तर की पवनों के वेग की तुलना में कम होता है। क्षैतिज पवनें पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन करने के कारण उत्पन्न कोरिऑलिस बल के कारण भी प्रभावित होती हैं। इस बल के परिणामस्वरूप भूमध्य रेखा से उत्तर की ओर बहने वाली पवनें दाहिनी ओर तथा दक्षिण की ओर बहने वाली पवनें बांयी ओर झुक जाती हैं, इसी कारण से सतह के निकट की क्षैतिज पवनें धीमी हो जाती हैं। सागर के ऊपर बहने वाली हवाएं लहरों को जन्म देती हैं। लहरों का आकार पवनों की प्रबलता और सागर में उनके द्वारा तय की गई दूरी पर निर्भर करता है।
कभी-कभार वायुमंडल में पवनें लम्बवत दिशा में भी बहती हैं जिसके परिणामस्वरूप अक्सर गर्जन मेघों में तड़ित झंझा उत्पन्न होती है। घाटियों से पवनें पहाड़ी ढाल की ओर भी बहती हैं। क्षैतिज अवयव की तुलना में पवनों में लंबवत अवयव बहुत कम होते हैं लेकिन फिर भी ये प्रतिदिन के मौसम के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऊपर की ओर उठने वाली लंबवत पवनें ठंडी होने पर जब संतृप्त हो जाती हैं तब ये बादलों का निर्माण करने के साथ बारिश कर सकती हैं। नीचे की ओर घूमती पवनें गर्म होकर बादलों से वाष्पोत्सर्जन का कारण बन साफ मौसम लाती हैं।
बोफोर्ट मापक्रम | पवन की गति (किलोमीटर प्रति घंटा) | व्याख्या | सागर की स्थिति | भूमि की स्थिति |
0 | 0 | शांत | समतल। | शांत, धुंआ क्षैतिज की ओर उठता है |
1 | 1 से 6 | हल्की हवा | बिना शिखर की छोटी लहर। | धुंए की गति से हवा का पता लगता है। |
2 | 7 से 11 | मंद समीर | छोटी तरंगिका, काचाभ आभासी शिखर। | चेहरे पर पवन का अनुभव होता है। |
3 | 12 से 19 | धीर समीर | बड़ी तरंगिका, शिखर, टूटने लगते हैं; झागदार लहरें। | पेड़ों की पत्तियां और छोटी टहनियां हिलने लगती है। |
4 | 20 से 29 | अल्पबल समीर | छोटी लहरें। | धूल और हल्के कागज ऊपर उठते हैं। छोटी शाखाएं उड़ने लगती हैं। |
5 | 30 से 39 | सबल समीर | 1 से 2 मीटर ऊंची लहरें, कुछ झाग और फुहार। | छोटे पेड़ दूर तक जा सकते हैं। |
6 | 40 से 50 | प्रबल समीर | झागमय शिखरों व कुछ फुहार के साथ बड़ी लहरें। | बड़ी शाखाएं उड़ती हैं, छाते को संभालने में मुश्किल होती है। |
7 | 51 से 62 | झंझा सदृश्य | झाग बड़ी तेजी से आते हैं। | पूरा पेड़ गति करने लगता है। हवा के विरुद्ध चलने में परेशानी होती है। |
8 | 63 से 75 | झंझा | प्रायः टूटे हुए शिखर वाली उच्च लहरें, समुद्री फुहार बनती हैं। | पेड़ों से टहनियां टूटटने लगती हैं। सड़क पर कारों की दिशा बदल सकती है। |
9 | 76 ले 87 | प्रबल झंझा | सघन झाग के साथ 6 से 7 मीटर की ऊंची लहरें। लहर शिखर, फुहार। | हल्की संरचनाएं क्षतिग्रस्त होती हैं। |
10 | 88 से 102 | तूफान | बहुत ऊंची लहरें, सागरीय सतह श्वेत व दृश्यता कम हो जाती है। | वृक्ष उखड़ जाते हैं। इमारतों को काफी नुकसान हो सकता है। |
11 | 103 से 119 | प्रचंड तूफान | बहुत ऊंची लहरें। | व्यापक रूप से इमारतों को नुकसान होता है। |
12 | 120 से अधिक | हरीकेन | विशाल लहरें, हवा, झाग व फुहार से भर जाती है। फुहरों की गति से सागर पूरी तरह सफेद हो जाता है। दृश्यता बहुत हद तक कम हो जाती है। | व्यापक स्तर पर काफी अधिक नुकसान होता है। |