आपदा

उत्तराखंड में सभी जल विद्युत परियोजना को बंद करे सरकार : मातृसदन

मीनाक्षी अरोड़ा, देव

जोशीमठ  और  हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं को लेकर मातृ सदन में 12 से 14 फरवरी को तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें  देश-विदेश से कई  बुद्धिजीवों और पर्यावरणविदों ने हिस्सा लिया। सेमिनार के पहले दिन मातृ सदन के स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि विकास के नाम पर उत्तराखंड में विनाश हो रहा है । उत्तराखंड बचेगा, तभी देश बचेगा। इसलिए सभी लोगों को एकजुट होकर उत्तराखंड को बचाने के लिए प्रयास करना होगा।  वही  पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने  उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही जलविद्युत परियोजनाओं पर अपनी चिंता जाहिर की और कहा संवेदनशील पश्चिमी हिमालयी इलाकों में कई जलविद्युत परियोजनाओं का बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है वो कई हद तक पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ सकता है । इस मौके पर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने जोशीमठ आपदा के लिए एनटीपीसी तपोवन विष्णु गाड़ परियोजना को जिम्मेदार  ठहराया और कहा इस आपदा के और भी कई कारण हो सकते हैं लेकिन एनटीपीसी के परियोजना के बाद ही यहां व्यापक रूप से  भू- धसाव हुआ है।  वही सेमिनार के दूसरे और तीसरे दिन अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और महान राजनीतिज्ञ नेल्सन मंडेला की सरकार में मंत्री रह चुके जय नायडू, जल पुरुष राजेन्द्र सिंह समेत अन्य बुद्धिजीवी और पर्यावरणविदों ने  नदियों को बचाने  के लिए अपने-अपने अपने विचार रखे । सम्मेलन के आखिरी दिन सरकार, प्रशासन के निर्णयकर्ताओं की जिम्मेदारी तय की गयी। सम्मेलन में पांच बिंदुओं पर प्रस्ताव पारित कर यह  मांग की गई कि उत्तराखंड में सरकार सभी परियोजनाओं को तत्काल रोके और प्रस्ताव का संज्ञान ले। साथ ही इन्हें नीति निर्धारण में सम्मिलित करे।

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