हर साल 2 मई को वर्ल्ड टूना डे (World Tuna Day) मनाया जाता है, ताकि टूना मछली के महत्व, समुद्री जैव विविधता में उसकी भूमिका को समझा जा सके। साथ ही समुद्री जीवन की प्रहरी इस तेज-तर्रार मछली के संरक्षण की जरूरत के बारे में लोगों को समझाया जा सके। संयुक्त राष्ट्र ने 2016 में इस दिन को मान्यता दी, ताकि दुनिया का ध्यान टूना मछली की तेजी से घटती आबादी और इसके संरक्षण की जरूरत की ओर आकर्षित किया जा सके। लोगों को यह समझाया जा सके कि टूना केवल भोजन नहीं, बल्कि पूरे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine ecosystem) और समुद्री खाद्य श्रृंखला (marine food chain) का एक अहम हिस्सा है। यह मछली लाखों लोगों की आजीविका और पोषण सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है, पर अत्यधिक शिकार और जलवायु परिवर्तन के चलते इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। यह लेख टूना मछली की खासियत, उस पर मंडराते खतरों और संरक्षण प्रयासों के अलावा आपको टूना मछली से जुड़े कई रोचक पहलुओं और तथ्यों से आपको अवगत कराने जा रहा है।
टूना मछलियां समुद्र की सबसे ताकतवर और तेज़ तैरने वाली मछलियों में गिनी जाती हैं। ये लंबी दूरी तक प्रवास करती हैं और समुद्र के विभिन्न तापमानों में जीवित रह सकती हैं। ब्लूफिन टूना, येलोफिन टूना, स्किपजैक टूना और अल्बाकोर टूना जैसी टूना की लगभग 15 प्रजातियां दुनिया भर में पाई जाती हैं।
टूना की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह शरीर का तापमान नियंत्रित रख सकती है, जो अन्य मछलियों में नहीं होता। इसका तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां बेहद सक्रिय होती हैं, जिससे यह बड़ी गहराई और दूरियों तक तेजी से तैर सकती है। ये समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में एक 'एपेक्स प्रीडेटर' की भूमिका निभाती हैं, यानी ये खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर होती हैं और छोटे मछली प्रजातियों की आबादी को संतुलित रखती है। अपनी खास किस्म की शारीरिक संरचना के चलते टूना मछली 70 किमी/घंटा की तेज रफ्तार से समुद्र में तैर सकती है, जो इसे समुद्र का 'स्पीडस्टर' बनाती है। टूना उन गिनी-चुनी मछलियों में से एक है जो गर्म खून वाली होती है, जिससे यह विभिन्न समुद्री जलवायु में जीवित रह सकती है।
टूना मछली के मांस को दुनिया भर में उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन स्रोत के रूप में देखा जाता है। इसका उपयोग खासतौर पर जापानी व्यंजनों, जैसे सुशी और साशिमी में किया जाता है। जापान विश्व का सबसे बड़ा टूना उपभोक्ता है, जहां ब्लूफिन टूना की नीलामी में करोड़ों येन में देखने को मिलती है। इसके अलावा अमेरिका, यूरोप और दक्षिण एशिया में भी डिब्बाबंद टूना के मांस की अच्छी खासी मांग है। इस बढ़ती मांग के कारण विश्व भर में टूना का शिकार बहुत बड़े पैमाने पर होने लगा है। जापान के अलावा अन्य देशों में भी इसकी लगातार बढ़ती मांग टूना प्रजातियों के लिए खतरा बनती जा रही है।
विगत दशकों में टूना मछलियों का अंधाधुंध शिकार किया गया है। अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्रों में अनियमित और अवैज्ञानिक तरीकों से हो रहे मछली पकड़ने के कारण इनकी आबादी में भारी गिरावट आई है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री तापमान में हो रही वृद्धि से इनके प्रवास और प्रजनन चक्र भी प्रभावित हुए हैं। साथ ही, समुद्रों में हो रहे प्रदूषण, प्लास्टिक कचरे और तेल रिसाव के चलते भी टूना के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि अगर इस रफ्तार से टूना मछली का शिकार होता रहा, तो इसकी कुछ प्रजातियां अगले कुछ दशकों में विलुप्ति हो सकती हैं। टूना मछली के शिकार में 'बायोकैच' यानी अनचाही प्रजातियों का भी फंसना एक गंभीर समस्या है, जिससे अन्य समुद्री जीव जैसे डॉल्फिन, समुद्री कछुए और शार्क भी प्रभावित होते हैं।
टूना के अस्तित्व पर मंडराते संकट को देखते हुए इसके संरक्षण के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं काम कर रही हैं। इनमें IOTC (Indian Ocean Tuna Commission) और ICCAT (International Commission for the Conservation of Atlantic Tunas) जैसे वैश्विक संगठन शामिल हैं। इन मछलियों को बचाने के लिए ये संस्थाएं वैज्ञानिक डेटा पर आधारित कोटा प्रणाली लागू करती हैं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य (UN SDG 14) महासागरों और समुद्री जीवन के संरक्षण पर जोर देता है, जिसमें टूना का संरक्षण भी शामिल है। कुछ महत्वपूर्ण प्रयासों की बात करें, तो इसमें टूना का 'MSC सर्टिफिकेशन' शामिल है, जो उपभोक्ताओं को सस्टेनेबल टूना (Sustainable Tuna) खरीदने का विकल्प देता है। कई देशों में टूना पकड़ने के नियम कड़े किए जा रहे हैं और निगरानी प्रणालियां लगाई गई हैं। साथ ही, मरीन बायोलॉजिस्ट्स टैगिंग और सैटेलाइट ट्रैकिंग के जरिये टूना के प्रवास और व्यवहार की निगरानी कर रहे हैं, जिससे इनके संरक्षण रणनीतियों को और प्रभावी बनाया जा सके।
टूना केवल भोजन या आर्थिक संसाधन नहीं, बल्कि एक संस्कृति परंपरा और जीवनशैली का हिस्सा है। प्रशांत द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों में यह सदियों से लोगों का पारंपरिक भोजन रही है। वहीं, टूना शिकार से जुड़े श्रमिकों के लिए यह रोजगार का प्रमुख स्रोत है। पर बीते दशकों में बेलगाम तरीके से टूना का शिकार किए जाने से इन समुदायों की आजीविका पर भी संकट गहराया है। समुद्री इको में टूना की भूमिका पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की है। क्योंकि, इसके विलुप्त होने से एक बड़े समुद्री क्षेत्र की पूरी खाद्य श्रृंखला असंतुलित हो सकती है। यही कारण है कि टूना के संरक्षण को केवल एक व्यावसायिक मामला नहीं बल्कि पारिस्थितिक और सामाजिक जरूरत का मुद्दा भी माना जा रहा है।
आज जरूरत इस बात की है कि वर्ल्ड टूना डे केवल एक प्रतीकात्मक दिन न बनाकर, हम इस बारे में सचेत हो जाएं कि हम अपनी अमूल्य समुद्री संपदा के साथ कैसा गैरजिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं। इस रवैये पर लगाम लगाते हुए टूना मछली का संरक्षण करना जरूरी है। यह न केवल जैव विविधता के लिए, बल्कि मानव सभ्यता की स्थिरता के लिए भी आवश्यक है। यदि हमने समय रहते नीतिगत और व्यवहारिक स्तर पर कारगर कदम नहीं उठाए, तो समुद्र का यह सजग प्रहरी खामोशी से हमारी आंखों के सामने विलुप्त हो जाएगा। इसलिए वर्ल्ड टूना डे पर यह समझना ज़रूरी है कि टिकाऊ मछलीपालन, जागरूक उपभोग और सख्त नियम ही इसे बचा सकते हैं।
प्रजाति | विशेषताएं | खतरा | विवरण | प्रयास |
ब्लूफिन टूना | सबसे बड़ी और महंगी प्रजाति, सुशी के लिए प्रसिद्ध | |||
येलोफिन टूना | तेज तैराक, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती | |||
स्किपजैक टूना | आकार में छोटी, डिब्बाबंद टूना उत्पादों में प्रमुख | |||
अल्बाकोर टूना | हल्की रंग की मांस वाली, व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण | |||
अत्यधिक शिकार | अनियमित और बड़े पैमाने पर मछली पकड़ना | |||
जलवायु परिवर्तन | प्रवास और प्रजनन चक्र में बाधा | |||
बायोकैच | अन्य प्रजातियों का भी फंसना | |||
समुद्री प्रदूषण | तेल रिसाव, प्लास्टिक कचरा आदि | |||
कोटा और प्रबंधन आधारित संरक्षण | IOTC और ICCAT | |||
टिकाऊ मत्स्य पालन को प्रोत्साहन | MSC सर्टिफिकेशन | |||
महासागरों के सतत उपयोग की नीति | SDG 14 | |||
प्रजातियों की निगरानी और अध्ययन | टैगिंग व ट्रैकिंग | |||