भारत में त्योहारों का लोगों के जीवन में बहुत महत्व है। त्यौहार हमारी मान्यताओं, धर्म और संस्कृति को दर्शाते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है रक्षा बंधन। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर 'राखी' का पवित्र धागा बांधती हैं, जिससे उन्हें उनकी जिम्मेदारी की याद आती है, और बदले में भाई अपनी बहनों को सभी बुराइयों से बचाने का संकल्प लेते हैं। यह त्योहार भाइयों में अपनी बहनों के प्रति जिम्मेदारी और भक्ति पैदा करता है और एक पवित्र बंधन का उत्सव है प्यार और सुरक्षा का।
इस वर्ष रक्षा बंधन बोड्डावलासा गांव के निवासियों द्वारा काफी खास और अनोखे तरीके से मनाया गया। बहन और भाई की जोड़ी सुश्री भोगापुरपु थानुजा, और मास्टर भोगापुरपु दिलेश्वर नायडू ने बेसब्री से रक्षा बंधन का इंतजार किया और अन्य आंगनवाड़ी छात्रों के साथ अपने आंगनवाड़ी केंद्र में पानी के नल में राखी बांधकर इस रक्षा बंधन को मनाने की योजना बनाई। बच्चों को उनके माता-पिता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का सहयोग मिला। सभी बच्चों ने बड़े गर्व के साथ पवित्र धागे को नल के कनेक्शन से बांधा और उसकी रक्षा, उसकी देखभाल करने और पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करने की शपथ ली।
बोड्डावलासा आकांक्षी जिले विजयनगरम, आंध्र प्रदेश में सांकिली ग्राम पंचायत का एक छोटा सा गाँव है। यह उप-जिला मुख्यालय रेजिडी अमदलवलसा से 5 किमी दूर स्थित है। बोड्डावलाशाला एक 'हर घर गांव' है, यानी सभी 129 घरों, 1 स्कूल और 1 आंगनवाड़ी केंद्र को नल कनेक्शन के माध्यम से पीने का पानी मिल रहा है।
जल जीवन मिशन (जेजेएम) के क्रियान्वयन से पहले, ग्रामीण नागावली नदी से पानी लाते थे जो गाँव से दो किलोमीटर की दूरी पर बहती है। स्कूल और आंगनबाडी के बच्चों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी और बच्चों के लिए पीने के पानी का संग्रह बहुत मुश्किल था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का ज्यादातर समय पानी लाने में बीतता था।
जेजेएम के कार्यान्वित होने से ग्रामीणों में आशा की किरण जगी। बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान देने के साथ, 2 अक्टूबर, 2020 को एक विशेष अभियान शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य सभी स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और आश्रमशालाओं (आदिवासी आवासीय विद्यालयों) को पीने के लिए नल का पानी कनेक्शन प्रदान करना, मध्याह्न भोजन बनाना, हाथ धोना और शौचालय में उपयोग करना था। इस अभियान के तहत, आंध्र प्रदेश ने नल कनेक्शन के माध्यम से पीने योग्य पानी उपलब्ध कराकर सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों को कवर किया। बोड्डावलासा के आंगनवाड़ी केंद्र के छोटे बच्चों और उनके माता-पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, जब उनके परिसर में नल का पानी चल रहा था।।