पेयजल

जल जीवन मिशन एक उम्मीद की किरण

देव

जल जीवन मिशन योजना के तहत हर-घर नल से जल पहुंचाने में देहरादून पहले स्थान पर है। वहीं देहरादून का पिछला इलाका कहा जाने वाले जौनसार मे भी जन जीवन 
मिशन आने के बाद हालात काफी सुधरे है. जौनसार बावर का सबसे सूखाग्रस्त गांव भंद्रोली को भी अब जल जीवन मिशन से ही उम्मीद की किरण दिख रही है ।  वही इस इलाके के निवासी चितराम नेगी अपने गांव के बारे में बताते हुए कहते हैं कि पहले उनके गांव में हालात ठीक थे, खेती-बाड़ी से लेकर पशुओं की भोजन की व्यवस्था हो जाती थी, क्योंकि तब सही समय पर बारिश होती थी और इतनी पर्याप्त थी कि साल भर पूरे गांव के लिए पानी की व्यवस्था हो जाती थी। लेकिन यह स्थिति अधिक साल तक नहीं रह पाई। चेतराम कहते हैं कि जलवायु  परिवर्तन का असर उनके गांव पर भी हुआ है। अब समय पर बारिश नही होती बर्फबारी भी बीते जमाने की बात हो गई है। स्रोत सारे सूख गए हैं । अब हालात पहले के मुकाबले काफी ख़राब हो गए है।  

वही गांव के दूसरे निवासी कृपाल सिंह नेगी कहते हैं सरकार ने 1986 में यहां घरों तक के लिए पाइप लाइन बिछाई थी। लेकिन गांव के सभी स्रोत सूखने के बाद इनमें पानी आना बंद हो गया। इसके बाद सरकार ने लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए गांव में ही बोरिंग करने का फैसला किया लेकिन कई फीट बोरिंग करने के बाद भी निराशा ही हाथ लगी। लेकिन भारत  सरकार ने इसका समाधान ढुंढ ही लिया है। दरअसल, उत्तराखंड जल जीवन मिशन के चीफ इंजीनियर डीके पांडे कहते हैं कि घरों तक PWS की व्यवस्था तो थी। लेकिन हर घर तक कनेक्शन नहीं पहुंच पा रहा था।  ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की गई। इसका मकसद था कि हर घर तक पानी का कनेक्शन पहुंचे।  डीके पांडे आगे कहते हैं कि इस योजना का मकसद  पानी को  हर घर तक पहुंचाना तो है ही लेकिन पानी के स्रोतो को अगले 30 साल के लिए कैसे सुरक्षित रखा जाए उसके लिए भी कार्य करना है।  मैंने कहा उत्तराखंड में भी व्यापक रूप से जल जीवन मिशन का कार्य चल रहा है और उम्मीद है कि हर घर तक वह इस योजना पहुंचने में सफल रहेंगे।

बता दे जनवरी में देहरादून, टिहरी, चंपावत, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, बागेश्वर और चमोली के साथ फरवरी में चंपावत जिला भी शामिल हो गया है। अब प्रदेश के आठ जिले ऐसे हैं, जिनमें जल जीवन मिशन का 75 से 100 फीसदी तक काम पूरा हो चुका है

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