जल जीवन मिशन के तहत आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले के एक सुदूर जनजातीय गांव पंतलचिंटा में जलापूर्ति उपलब्ध कराई गई है। गांव में 136 आबादी वाले 32 परिवार हैं, जहां एक घर को छोड़कर अन्य सभी परिवार जनजातीय हैं जो आजीविका के लिए पोडु की खेती पर निर्भर हैं (भारत में जनजातियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली खेती की एक पारंपरिक प्रणाली, जिसके तहत फसलों के लिए भूमि तैयार करने के लिए हर साल जंगल के अलग-अलग हिस्सों को जलाकर साफ किया जाता है।)। चूंकि खेती से केवल मौसमी रोजगार मिलता है, इसलिए गांव के कई लोग बाकी बचे साल में श्रमिक के रूप में काम करते हैं।
पानी की कमी लोगों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय था क्योंकि उनके पास केवल सार्वजनिक स्टैंड पोस्ट और आसपास के तालाब जिनमें दूषित पानी था, तक ही पहुंच थी। चूंकि, तालाब बस्ती से कुछ ही दूरी पर था, इसलिए ग्रामीणों को प्रतिदिन लगभग 5 किमी पैदल चलना पड़ता था। महिलाओं और युवतियों को अपनी दैनिक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी से भरे बर्तन लेकर कई चक्कर लगाने पड़ते थे।
'हर घर जल' कार्यक्रम के शुभारंभ के साथ ही, जिला प्रशासन ने पंतलचिंटा गांव के लोगों को योजना के बारे में जानकारी दी। ग्रामीण यह सुनकर बहुत खुश हुए और जेजेएम दिशानिर्देशों के अनुसार आवश्यक कदमों का पालन करने के लिए सहमत हुए। एक ट्रांज़ेक्ट वॉक का आयोजन किया गया और एक ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) का गठन किया गया। इंजीनियरों और विभाग के अधिकारियों की मदद से गांव में जलापूर्ति योजना विकसित की गई। जलआपूर्ति प्रणाली को कम लागत किफायती बनाने के उद्देश्य से गुरुत्वाकर्षण आधारित योजना के लिए पानी के स्रोत के रूप में एक झरने का उपयोग किया गया था। प्रत्येक आदिवासी परिवार में पाइप से पानी की आपूर्ति के लिए 10 किलोलीटर वाले भू-सतही जलाशय बनाया गया था।
आज सभी 32 परिवारों को उनके घर, स्कूल, आंगनबाडी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और पंचायत भवन में प्रतिदिन 55 एलपीसीडी स्वच्छ नल का पानी मिल रहा है। फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके स्रोत और जल वितरण बिंदुओं पर पानी की गुणवत्ता का बार- बार परीक्षण करने के लिए एक पांच सदस्यीय महिला उप-समिति का गठन किया गया है। पंतलचिंटा गांव में आपूर्ति किया जाने वाला जल संबंधी दिशा-निर्देशों के अनुसार निर्धारित गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है। वीडब्ल्यूएससी गांव में जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे के संचालन और रखरखाव का कार्य देखता है।
लोग घर पर नल का पानी पाकर खुश हैं क्योंकि इससे न केवल कठिन परिश्रम से मुक्ति मिली है बल्कि उन्हें लाभकारी रोजगार में काम करने का अवसर भी मिला है। जिन युवतियों को पानी इकट्ठा करने के लिए स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, वे अब अपनी शिक्षा पूरी करने में सक्षम हैं। गांव के सरपंच बेहतर सेवाओं के लिए आभारी थे, जिससे ग्रामीणों का जीवन आसान हो गया है।