दुनिया के सभी देशों में कुपोषण की समस्या बढ़ रही है। इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइएफपीआरआइ) द्वारा जारी ‘ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट’ के मुताबिक, प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति कुपोषण के किसी-न-किसी प्रारूप का शिकार है। कुपोषण के बचाव से मनुष्य के भोजन में पोषक तत्वों की उपलब्धता के लिहाज से मछली आहार का हिस्सा रही है। अपने देश में भले ही आबादी का एक बड़ा हिस्सा शाकाहारी है, लेकिन राज्य के कई हिस्सों में मछली कुपोषण से निपटने का प्रमुख साधन है।- का. सं.
गांधी मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर निशांत श्रीवास्तव का कहना है कि मछली खाने वालों को कभी भी दिल की बीमारी नहीं होती है। मांसाहार में सबसे पौष्टिक आहार मछली ही मानी जाती है। मछली खाने वाले सामान्य संक्रमण से दूर रहते हैं। मछली से गंभीर बीमारियाँ न होने की एक वजह यह है कि इसमें 100 फीसदी प्रोटीन होता है।