पर्यावरण

भूकंप इंजीनियरिंग से बनाएं अपना सुनहरा कल(Earthquake Engineering Jobs in Hindi)

शिवेंद्र

भूकंप विज्ञान एक नया वैज्ञानिक विषय है जो धरती के कंपनों का अध्ययन करती है। लोगों का भूकंपों से जुड़ा ज्ञान प्राचीन काल से ही है, परंतु अध्ययन विषय पर भूकंप विज्ञान का इतिहास 100 वर्ष पुराना है  भूकंप तरंगों का मापन करने के लिए सिस्मोमीटर का आविष्कार इसका प्रारंभिक चरण माना जाता है। 20वीं सदी में भूकंप विज्ञान में काफी प्रगति हुई और इसमें धरती के गहराई में होने वाले प्रक्रियाओं का समावेश हुआ। भूकंप विज्ञान और भूकंप इंजीनियरिंग में भूकंपों और धरती के अंदर होने वाली गतिविधियों का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जाता है। इस विषय में समुद्री भूकंपो, ज्वालामुखियों  के साथ ही परत सरचनाओं  का अध्ययन किया है।   

भूकंप के आने का कारण धरती की परतों में होने वाले आंतरिक बदलाव हैं। धरती की परतें एक-दूसरे के साथ स्थिर नहीं होती हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ सरकती हैं। इन परतों को महाद्वीपी प्लेट कहा जाता है। जब ये प्लेट एक-दूसरे से मिलती हैं, टकराती हैं, या एक-दूसरे के नीचे सरकती हैं, तो इनमें तनाव पैदा होता है। यह तनाव कुछ समय के बाद छूटता है, और इससे प्लेटों के सिरे में दरारें पड़ती हैं। इन दरारों से ऊर्जा की तरंगें प्रसारित होती हैं, जो धरती की सतह पर पहुंचकर हिलने-डुलने का कारण बनती हैं। भूकंप का प्रभाव मुख्यत: प्लेटों के सिरों की स्थिति, महासागरों, पहाड़ियों,मिट्टी और मानव-निर्मित संरचनाओं पर निर्भर करता है।

भूकंप वैज्ञानिकों का काम भूकंपीय घटनाओं की उत्पत्ति, प्रकार और माप को जानने का होता है ताकि उनका उपयोग विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा सके। भूकंप विज्ञान और भूकंप इंजीनियरिंग परस्पर सम्बद्ध क्षेत्र हैं, जिनमें भूकंप वैज्ञानिकों के अलावा कंप्यूटर, भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और सिविल और संरचना इंजीनियरिंग में पेशेवर तकनीकी कर्मी भी होते हैं। भूकंपों के प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करने के मुद्दे पर काम करने वाले लोगों में से एक हैं भूकंप इंजीनियर, जिनका काम है कि वे नए इमारतों का निर्माण करते समय भूकंप प्रतिरोधी सुविधाओं का होना सुनिश्चित करें। उनका काम दो पहलुओं से सम्बन्धित है -  पहला पहलु यह है कि वे विश्व के विभिन्न हिस्सों में भूकंपों की मात्रा और गुणवत्ता का अनुमान लगाने में भूकंप वैज्ञानिकों की मदद करते हैं। दूसरा पहलु यह है कि वे वास्तुकारों, नियोजकों और बीमा कम्पनियों के साथ मिलकर भवनों की संरचना, सामग्री और लागत को निर्धारित करते हैं।भूकंप विज्ञान और भूकंप इंजीनियरिंग संबंधी पाठ्यक्रम भूगोल और भौतिक विज्ञान विषयों का संयोजन हैं। यह एक वैज्ञानिक क्षेत्र है, इसलिए इसमें कॅरिअर बनाने के लिए बारहवीं कक्षा में भौतिकी और गणित के साथ पास होना जरूरी है। भूकंप इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए प्रवेश परीक्षाओं को भी सफलतापूर्वक पूरा करना होता है।

भूकंप विज्ञान और भूकंप इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा करने के बाद, सरकारी संस्थाओं, एजेंसियों, उद्योगों या विश्वविद्यालयों में अनुसंधान के लिए काम मिल सकता है। अनुसंधान के क्षेत्र में काम करने का मन हो, तो सरकारी और निजी दोनों प्रकार के संस्थाओं में मौके हैं। कुछ प्रमुख संस्थाओं में तो भूकंप वैज्ञानिक भू- वैज्ञानिक सहायक आदि प्रतिष्ठित पदों पर नियुक्ति होती हैं। 

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