उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में प्रवाहित देश की सबसे स्वच्छ चंबल नदी के जलस्तर के प्रचंड गर्मी में करीब 10 फुट के आसपास घटने से दुर्लभ जलचरों को खासी तादाद में नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। इटावा जिले के उदी स्थित केंद्रीय जल आयोग के स्थल प्रभारी मनीष जैन बताते है कि इस माह चंबल नदी का जलस्तर 105.30 मीटर चल रहा है,एक सप्ताह से इसी अनुरूप जलस्तर टिका हुआ नजर आ रहा है जब की पिछले दस साल पहले इन दिनों जलस्तर 107.08 मीटर तक इन दिनों रिकॉर्ड किया गया था।
केंद्रीय जल आयोग के अधिकारी ऐसा भी बताते हैं कि भीषण गर्मी में जल स्तर 10 फीट घट रहा है,यह बेहद ही खतरे की घंटी आने वाले समय के लिए मानी जा रही है अगर इसी तरह से जलस्तर में गिरावट आती रही तो आगे आने वाले दिनों में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है। उनका कहना है कि पिछले पन्द्रह सालो में चंबल नदी के जलस्तर में करीब दस फुट की गिरावट एक नए तरह के खतरे की ओर इशारा कर रही है। अगर जल स्तर के गिरावट की यही दशा रही तो आगे आने वाले दिनों में भीषण गर्मी के मौसम में व्यापक खतरा पैदा होना शुरू हो जायेगा । चंबल नदी का घटता जलस्तर राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में पाए जाने वाले दुर्लभ वन्यजीवों को व्यापक पैमाने के रूप में हो सकता है।
पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के महासचिव डॉ. राजीव चौहान बताते हैं कि नदी में पानी कम होने से अन्य जीवों को इतना खतरा नहीं रहता क्योंकि वह गहरे पानी की ओर पैरों से भी चलकर चले जाते हैं लेकिन कभी-कभी गांगेय डॉल्फिन को खतरा हो जाता है जब वह हल्के पानी के गढ्ढों में फस जाती हैं तब वह वापस गहरे पानी में नहीं पहुंच पाती ऐसे में उनकी मृत्यु हो जाती है।
प्रचंड गर्मी में हर और त्राहि त्राहि मची हुई है, ऐसे में जलस्तर घटने की भी खबरें सामने आना शुरू हो गई है। ऐसा भीषण गर्मी की विभीषिका के चलते होना माना जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार चंबल नदी का जलस्तर करीब दस फुट तक घट गया है। दस फुट के आसपास जलस्तर घटने से चंबल इलाके के सैकड़ों गांव में त्राहि-त्राहि मची हुई है, गांव वाले अपने मवेशियों को पानी पिलाने के लिए जहां खासे परेशान हो रहे हैं वहीं इंसानों को भी पानी की कमी से दो चार होना पड़ रहा है।
देश की सबसे स्वच्छ नदियों में शुमार मानी जाने वाली चंबल नदी के जलस्तर में करीब 10 फुट के आसपास गिरावट देखी जा रही है, केंद्रीय जल आयोग से जुड़े हुए अधिकारी ऐसा मान करके चल रहे हैं कि भीषण गर्मी की जद में आने के कारण चंबल नदी के जलस्तर में यह गिरावट आई हुई है।
देश में पांच नदियों के इकलौते संगम वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में 11 प्रमुख नदियों का प्रवाह देखने को मिलता है। इनमे से चंबल, यमुना, सिंधु,क्वारी और पहुज नदी तो चंबल घाटी में ही प्रवाहित होती है जबकि अन्य नदियां इटावा के दूसरे अन्य विकास खंड में खेत खलिहान को सिंचित करती है। इनमे सिरसा,सेंगर,अहनैया,अरिंद, पुरहा ओर पांडू शामिल है। 18 फीट तक के जल स्तर गिरने का असर यह देखा जा रहा है कि चंबल इलाके में प्रवाहित क्वारी नदी तो करीब करीब पिछले दस सालो से लगातार मई जून में हर साल सूख ही जाती है तो दूसरी अन्य नदिया सिरसा, सेंगर, अहनैया, अरिंद, पुरहा ओर पांडू की भी धारा टूट जाती है। जब इन नदियों की धारा टूट जाती है तो इन नदियों के आसपास वास करने वाले गांव वालो की तो मुसीबत बढ़ती ही साथ ही मवेशियों की आदि के लिए पानी की खासी किल्लत शुरू हो जाती है। मवेशियों के लिए पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए गांव वालों को ट्यूबवेल या फिर हैंडपंपों के सहारे रहना पड़ता है।
इटावा और आसपास जल संरक्षण की दिशा में काम करने वाली संस्था नेचर कंजर्वेशन एंड ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी के सचिव निर्मल सिंह बताते है कि यमुना नदी के जलस्तर में व्यापक पैमाने पर कमी तो देखी जा रही है दूसरे सबसे बड़ी बात यह कि यमुना नदी का जल खासी तादाद में दूषित भी है जिसे कोई गांव वाला तो दूर मवेशी तक छूना पसंद नहीं कर रहे है। कई घटनाएं तो ऐसी भी देखी गई है कि यमुना नदी में पाए जाने वाले जलचरो की मौतें भी हुई है।
जल प्रतिनिधियों का कहना है कि चंबल इलाके में जलस्तर में यह कमी कोई आज से नहीं आई है बल्कि इसकी शुरुआत 1993 से सही मायने से हुई है जब इटावा में इंडिया मार्का हैंडपंप लगना शुरू हुए तो प्राकृतिक स्रोत खत्म हो गए हैं और समर पंपों से पानी की खूब बर्बादी हो रही है। इटावा जिले में 1993 से जलस्तर में गिरावट आने का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह अभी लगातार जारी बना हुआ है।