पर्यावरण

ग्रीन क्रेडिट के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं

जानिए कैसे आने वाले समय में ग्रीन क्रेडिट क्षेत्र में रोजगार के असीम अवसर उपलब्ध होंगे और कैसे होगी कमाई और कैसे कार्बन क्रेडिट आपकी फैलाई गंदगी को साफ़ कर पर्यावरण को नियंत्रित करेंगे | Know how there will be immense employment opportunities created in the green credit sector and how carbon credit will control the pollution in the environment

Author : नवनीत कुमार गुप्ता

वर्तमान में विकास का आधार ऊर्जा है। लेकिन ऊर्जा के परंपरागत रूप ग्रीन हाउस गैंसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। ग्रीन हाउस गैंसों में से एक व कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के लिए अहम कारक है। कार्बन उत्सर्जन व इससे उपजे प्रदूषण को कम करने के लिए नई-नई युक्तियां विकसित की जा रही हैं और समाधान तलाशे जा रहे हैं। इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार की नई संभावनाएं भी पनप रही हैं। यदि आप एक ऐसे करिअर की तलाश कर रहे हैं जो रोमांचक होने के साथ-साथ नवाचार को प्रोत्साहित करता है, तो वह है ग्रीन क्रेडिट का क्षेत्र यह क्षेत्र रोजगार के रूप में अच्छा विकल्प है।

ग्लोबल वार्मिंग की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए अक्षय ऊर्जा या नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दिनों-दिन सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। विभिन्न नवाचारों के माध्यम से कम लागत के साथ भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा के वादे को पूरा करने के प्रयासों में तेजी आई है। हर क्षेत्र में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने और कार्बन शून्य करने पर ध्यान दिया जा रहा है। ऐसे में दुनिया को एक अच्छी पर्यावरणीय दशाएं प्रदान करने के लिए ग्रीन क्रेडिट की संकल्पाना को विश्वभर में मान्यता मिल रही है। आने वाले समय में ग्रीन क्रेडिट क्षेत्र में रोजगार के असीम अवसर उपलब्ध होंगे।

<p><h3><em>‘बहुआयामी क्षेत्र-  ग्रीन क्रेडिट एक बहुआयामी  क्षेत्र है। इसमें पर्यावरण विज्ञान,पर्यावरण अभियांत्रिकी, वानिकी, जल विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस)  और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों का अहम योगदान है। इसके अलावा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन करने वाले विशाल संयंत्रों में हर एक चीज को संभालने और उसके संचालन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) का उपयोग किया जा रहा है। कई उद्योगों की तरह, डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और बृहत आंकड़ा विश्लेषक (बिग डेटा एनालिटिक) भी लागत कम करने के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करके ऊर्जा क्षेत्र को बदल रहे हैं। आने वाले दिनों में ग्रीन क्रेडिट बाजार के लिए बिग डेटा और एनालिटिक बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी का मिलकर विकास एवं हस्तांतरण जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य भी किया जा सकता है।’</em></h3></p>

ग्रीन क्रेडिट और कार्बन क्रेडिट

ग्रीन क्रेडिट को समझने से पहले हमें कार्बन क्रेडिट के बारे में जानना आवश्यक है। कार्बन क्रेडिट की अवधारणा को क्योटो प्रोटोकॉल के क्रियान्वयन के दौरान बल मिला। इसके तहत विकासशील देशों ने लाखों की संख्या में कार्बन क्रेडिट अर्जित किया। इस प्रोटोकॉल के तहत केवल विकसित देशों को ही अनिवार्य रूप से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करनी थी। कार्बन क्रेडिट एक तरह से आपको कार्बन उत्सर्जन की भरपाई करते हैं। आसान भाषा में कहें तो आप जितनी गंदगी फैलाते हैं, उतनी ही सफाई करते हैं। कार्बन क्रेडिट में एक इकाई (यूनिट) एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य के बराबर होता है। कार्बन बाजार के अंतर्गत विश्व के विभिन्न देश या कंपनियां उनके द्वारा ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के चलते प्राप्त किए गए एक प्रमाण-पत्र, जिसे प्रमाणित उत्सर्जन कटौती या कार्बन क्रेडिट कहा जाता है, का क्रय-विक्रय करती हैं।

कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग से उपजी पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के रूप में योगदान करने के उद्देश्य से लोग अब कार्बन क्रेडिट की ओर बढ़ रहे हैं। कंपनियों के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी ऐसी कोशिशें हो रही हैं। वैश्विक स्तर पर कार्बन क्रेडिट का व्यापार दो अरब डॉलर तक पहुंच चुका है और लगातार तेजी से बढ़ रहा है। 'इकोसिस्टम मार्केटप्लेस' के मुताबिक इस क्षेत्र में वर्ष 2021 का व्यापार वर्ष 2020 के मुकाबले चार गुना ज्यादा रहा था जबकि 50 करोड़ कार्बन क्रेडिट का विक्रय हुआ। ये कार्बन क्रेडिट 50 करोड़ टन कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन के बराबर है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है। भारत ने स्वयं को वर्ष 2070 तक कार्बन शून्य (न्यूट्रल) होने का लक्ष्य रखा है यानी देश में उतनी ही कार्बन हाउस गैसें उत्सर्जित हों जितनी सोखी जा सकें। धीरे-धीरे देश में कार्बन क्रेडिट की मांग और बिक्री बढ़ रही है।

अभी हाल ही में दुबई में आयोजित सीओपी-28 (कॉप-28) के पहले सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को ग्रीन क्रेडिट को अपनाने पर जोर दिया। प्रकृति, विकृति और संस्कृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कार्बन क्रेडिट का दायरा बहुत ही सीमित है, और ये सिद्धांत एक प्रकार से व्यावसायिक तत्व से प्रभावित हो रहा है। कार्बन क्रेडिट की व्यवस्था में एक सामाजिक उत्तरदायित्व का जो भाव होना चाहिए, उसका बहुत अभाव है। हमें समग्र तरीके से नए तरीकों और सिद्धांतों पर बल देना होगा और यही ग्रीन क्रेडिट का आधार है।

ग्रीन क्रेडिट पहल को जलवायु परिवर्तन की चुनौती के लिए एक प्रभावी प्रतिक्रिया के रूप में, पृथ्वी के हित से जुड़े स्वैच्छिक कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए एक तंत्र के रूप में तैयार किया गया है। यह प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों का जीर्णोद्धार करने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए बंजर/ खराब भूमि और नदी जलग्रहण क्षेत्रों पर वृक्षारोपण के लिए ग्रीन क्रेडिट जारी करने की कल्पना करता है।

यहां हैं अवसर

भारत के साथ-साथ विदेशों में भी ग्रीन क्रेडिट का दायरा काफी व्यापक है। पूरी दुनिया में ऊर्जा स्रोतों का लगातार बढ़ता उपयोग और उसे ज्यादा महत्त्व देने का चलन चल रहा है। इसलिए, इस क्षेत्र में अनुसंधान कार्यों के साथ-साथ और अधिक फील्ड वर्क से संबंधित कार्य किए जा रहे हैं, जो इस क्षेत्र में विभिन्न आयामों का पता लगाने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए अनेक अवसर खोल रहे हैं। इस प्रकार, ग्रीन क्रेडिट का दायरा काफी बड़ा है। उम्मीदवारों को उनके संबंधित नवीकरणीय पाठ्यक्रमों से अर्हता प्राप्त करने के बाद कई संगठनों (सरकारी और निजी दोनों) में नौकरी पर रखा जाता है, और इस सेक्टर में वह अच्छे पैकेज के साथ बेहतर नौकरी के अवसर भी पा सकेंगे। ग्रीन क्रेडिट के क्षेत्र में छात्र अनुसंधान का विकल्प भी चुन सकते हैं क्योंकि इस रास्ते का अनुसरण करने का विकल्प भी मौजूद है। इसलिए, योग्य उम्मीदवार के करिअर की संभावनाएं उज्जवल हैं।

उभरता क्षेत्र

ग्रीन क्रेडिट एक ऐसी जीवन-शैली से सरोकार रखता है जो पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव को प्रेरित करता है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, 'विभिन्न हितधारकों के पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रीन क्रेडिट के लिए प्रतिस्पर्धी बाजार-आधारित दृष्टिकोण का लाभ उठाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 'पर्यावरण के लिए जीवन-शैली' अभियान का अंतर्गत प्रयास है।

यह नया कार्यक्रम स्वैच्छिक है। इसे चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है, पहला- वृक्षारोपण, जिसका उद्देश्य पूरे देश में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए गतिविधियों को बढ़ावा देना है। दूसरा- जल प्रबंधन, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण, जल संचयन और जल उपयोग दक्षता या जल बचत को बढ़ावा देना है, जिसमें अपशिष्ट जल का उपचार और पुनः उपयोग शामिल है। तीसरा है- संधारणीय कृषि जिसका मतलब उत्पादकता, मिट्टी के स्वास्थ्य और उत्पादित भोजन के पोषण मूल्य में सुधार के लिए प्राकृतिक और पुनर्योजी कृषि प्रथाओं और भूमि बहाली को बढ़ावा देना है। अपशिष्ट प्रबंधन का उद्देश्य अपशिष्ट प्रबंधन के लिए चक्रीयता, टिकाऊ और बेहतर प्रथाओं को बढ़ावा देना है, जिसमें संग्रह, पृथक्करण और पर्यावरण की दृष्टि से प्रबंधन शामिल है। इसके साथ वायु प्रदूषण को कम करने और अन्य प्रदूषण उपशमन गतिविधियों तथा मैंग्रोव के संरक्षण और पुर्नस्थापन के उपायों को बढ़ावा देना है। ग्रीन क्रेडिट प्राप्त करने के लिए किसी को वेबसाइट के माध्यम से पंजीकृत करना होगा। फिर गतिविधि को एजेंसी द्वारा सत्यापित किया जाएगा और उसकी रिपोर्ट के आधार पर प्रशासक आवेदक को ग्रीन क्रेडिट का प्रमाण पत्र प्रदान करेगा। अधिसूचना में कहा गया है कि किसी भी गतिविधि के संबंध में ग्रीन क्रेडिट की गणना वांछित पर्यावरणीय परिणाम प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधन आवश्यकता, पैमाने की समानता, दायरे, आकार और अन्य प्रासंगिक मापदंडों की समानता पर आधारित होगी।

उपलब्ध पाठ्यक्रम

सतत ऊर्जा प्रौद्योगिकियां और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की आवश्यकता वैश्विक पर्यावरण एजेंडे में सर्वोपरि है। ग्रीन क्रेडिट का क्षेत्र अंतःविषयी क्षेत्र है जिसमें पर्यावरण विज्ञान की समझ के साथ प्रबंधन और आंकड़ों के विश्लेषण का ज्ञान उपयोगी साबित हो सकता है। पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई (मास्टर डिग्री) से पर्यावरण का गहन अध्ययन किया जा सकता है। विद्यावाचस्पति यानी डॉक्टरेट के माध्यम से आप कार्बन क्रेडिट, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों, व्यावहारिक ऊर्जा प्रणालियों, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा प्रबंधन प्रणालियों आदि किसी भी क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं। इस पाठ्यक्रमों में छात्रों को पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों का गहन ज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत ही गहराई एवं विस्तार से अध्ययन करना पड़ता है। इनमें उन्नत और नवीनतम प्रौद्योगिकी से जुड़े विषयों पर ज्यादा जोर दिया गया है।

लेखक-

नवनीत कुमार गुप्ता-एफ-102, प्रथम तल कटवारिया सराय, नई दिल्ली-110016
ई-मेल: vigyanprasar123@gmail.com

कृषि क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए भारत के कुछ प्रमुख संस्थान

1 भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु https://iisc.ac.in
2 जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली https://www.jnu.ac.in
3 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई https://www.iitb.ac.in
4 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई https://www.iitm.ac.in
5 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जोधपुर https://iitj.ac.in
6 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, धनबाद https://www.iitism.ac.in
7 दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली https://www.du.ac.in
8 टेरी - द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली https://www.teriin.org
9  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी https://www.iitg.ac.in
10 सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर https://www.neeri.res.in

स्रोत :-

प्रतियोगिता दर्पण/जनवरी/2024/73

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